सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया है. यह नोटिस भ्रामक विज्ञापन के मामले में दिया गया है. कोर्ट ने तीन हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पंतजलि आयुर्वेद पर विज्ञापन प्रकाशित करने से भी पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है. इंडियन मोडिकल एसोसिएशन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ विज्ञापनों को भ्रामक बताते हुए याचिका दायर की थी.
आदेश की अवहेलना
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आदेश देने के बाद भी पतंजलि ने भ्रामक विज्ञापन देना बंद नहीं किया. कोर्ट ने कहा कि पिछले आदेश के बावजूद पंतजलि ने अपने उत्पादों को केमिकल आधारित दवाओं से बेहतर बताना जारी रखा. सुनवाई के दौरान जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए अमानुल्लाह की पीठ ने पिछले आदेश के बावजूद विज्ञापन जारी करने के लिए पतंजलि आयुर्वेद की तीखी आलोचना की. वहीं पतंजलि के वरिष्ठ वकील विपिन सांघी ने जवाब में और समय दिए जाने की मांग की है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने क्या कहा
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के वरिष्ठ वकील पीएस पटवालिया ने कहा है नवंबर के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बाबा रामदेव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कुछ डॉक्टरों पर पतंजलि के खिलाफ दुष्प्रचार का आरोप लगाया था. हमारे पास हजारों मरीजों का डेटाबेस है. उन्होंने दिसंबर में विज्ञापन भी प्रकाशित किया था.’
पंतजलि ने दवाओं से बेहतर बताए उत्पाद
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा, उनके आदेश के बाद भी पंतजलि ने ऐसे विज्ञापन लाए जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनकी चीजें केमिकल आधारित दवाओं से बेहतर हैं. सु्प्रीम कोर्ट ने पतंजलि से कहा कि वो इससे इनकार नहीं कर सकती कि यह विज्ञापन उनके आदेश और अंडरटेकिंग के बाद छपे हैं. प्रथमदृष्टया जानकारी होने के बावजूद कोर्ट ने पंतजलि पर उनके आदेश का उल्लंघन करने की बात कही.