मनरेगा में काम मांगने वालों की घटी संख्‍या, लगातार छठे महीने दिखी गिरावट

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार लगभग 30.21 मिलियन व्यक्तियों ने अप्रैल में MGNREGs के तहत काम मांगा है, जो एक साल पहले के मुकाबले 4.9% कम है

मनरेगा में काम मांगने वालों की घटी संख्‍या, लगातार छठे महीने दिखी गिरावट

ग्रामीण इलाके के लोगों को रोजगार मुहैया कराने के मकसद से सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGs) की शुरुआत की थी. आमतौर पर गर्मियों के दिनों में इसमें काम की मांग बढ़ जाती है, लेकिन लगातार छठे महीने इसमें गिरावट देखने को मिली है. ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से साझा किए गए डिटेल के तहत अप्रैल में मनरेगा के तहत कम लोगों ने काम मांगा है, ये बीते साल की तुलना में करीब 4.9% कम है.

डेटा के अनुसार लगभग 30.21 मिलियन व्यक्तियों ने अप्रैल में MGNREGs के तहत काम मांगा है, जो एक साल पहले के मुकाबले कम है. वहीं 21.54 मिलियन परिवारों के सदस्यों ने अप्रैल में काम मांगा, जो एक साल पहले की तुलना में 10.5% कम है. बता दें मनरेगा के तहत लोगों को अनस्किल्‍ड यानी अकुशल कार्य मुहैया कराया जाता है.

किस राज्‍य में सबसे ज्‍यादा मांगा गया काम?

प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में मनरेगा में काम चाहने वाले 5.55 मिलियन लोगों के साथ आंध्र प्रदेश शीर्ष पर है. इसके बाद तेलंगाना दूसरे पायदान पर है, यहां के करीब 3.57 मिलियन लोगों ने रोजगार की इच्‍छा जताई. जबकि छत्तीसगढ़ में (2.84 मिलियन), राजस्थान में (2.54 मिलियन), बिहार में (2.40 मिलियन), कर्नाटक में (2.31 मिलियन) और उत्तर प्रदेश में (2.26 मिलियन) लोगों ने काम मांगा हैं.

काम प्रभावित होने की वजह

विशेषज्ञों के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 में योजना के तहत काम की मांग में मामूली वृद्धि हुई, जो सामान्य से कम मानसून के प्रभाव को दर्शाता है. बीते साल कम बारिश के चलते वित्त वर्ष 2024 की सितंबर तिमाही तक कृषि गतिविधियों को प्रभावित किया है. जिसकी वजह से श्रमिकों के दूसरे राज्‍यों में जाकर काम करने को रोक दिया है. हालांकि नवंबर से हर महीने व्यक्तियों की मांग घटने लगी है, जो आर्थिक गतिविधियों में सुधार को दर्शाता है.

क्‍या है आईएमएफ का अनुमान?

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पिछले महीने भारत की वित्त वर्ष 2025 की वृद्धि का अनुमान 30 बेसिस प्‍वाइंट बढ़ाकर 6.8% कर दिया था. बहुपक्षीय निकाय ने कहा था कि वित्त वर्ष 24 में विस्तार की गति अनुमानित 7.8% से कम हो सकती है, लेकिन भारत इस वित्तीय वर्ष भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा.

Published - May 2, 2024, 01:17 IST