चुनाव बाद श्रमिकों को मिल सकती है अच्‍छी खबर, लेबर कोड में हो सकते हैं ये बदलाव

वेतन संहिता 2019 में संसद द्वारा पारित की गई थी, जबकि सामाजिक सुरक्षा संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों पर संहिता 2020 में पारित की गई थी.

चुनाव बाद श्रमिकों को मिल सकती है अच्‍छी खबर, लेबर कोड में हो सकते हैं ये बदलाव

आम चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली नई सरकार के 100-दिन के एजेंडे में लेबर कोड सरकार के एजेंडे में टॉप पर हो सकता है. श्रम मंत्रालय की योजना के अनुसार, ‘न्यूनतम वेतन (Minimum Wages) से जीवन निर्वाह वेतन (Living Wages) की ओर बदलाव, सभी असंगठित श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा (Social Security) और महिलाओं की कार्यबल भागीदारी में सुधार भी नई सरकार के शॉर्ट से मिड टर्म के एजेंडे में शामिल हो सकता है.

बदलाव की तैयारी के लिए समय

1 अप्रैल, 2025 यानी अगले वित्त वर्ष की शुरुआत से श्रम संहिता (Labour Code) को बिजनेस साइकिल के साथ समन्वयित करने की योजना है. रोलआउट योजना पहले से तैयार करना महत्वपूर्ण है ताकि कारोबारियों और फैक्ट्रियों को लेबर कोड के साथ आने वाले बदलावों की तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिया जा सके.

संभावित चुनौतियों पर काम

सरकार ने पहले ही संभावित चुनौतियों पर काम करना शुरू कर दिया है और कार्यान्वयन की निगरानी कैसे की जाए, इस पर विचार-विमर्श कर रही है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) सहित श्रम मंत्रालय के तहत सामाजिक सुरक्षा संगठनों को लेबर कोड के तहत बदलावों को अपनाने पर काम चल रहा है.

44 कानूनों की जगह 4 श्रम संहिता

दरअसल 44 कानूनों की जगह 4 श्रम संहिताओं ने ले ली है. इसमें वेतन संहिता (Code on Wages), औद्योगिक संबंध संहिता (Industrial Relations Code), व्यावसायिक सुरक्षा , स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता (Occupational Safety, Health and Working Conditions Code), और सामाजिक सुरक्षा संहिता (Code on Social Security) शामिल हैं.

कब-कब पारित हुई संहिता

वेतन संहिता 2019 में संसद द्वारा पारित की गई थी, जबकि सामाजिक सुरक्षा संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों पर संहिता 2020 में पारित की गई थी. महामारी और नियम बनाने पर राज्यों की धीमी प्रगति ने संहिताओं के कार्यान्वयन में देरी की है. साथ ही, कुछ यूनियन इन प्रावधानों के श्रमिक-विरोधी होने के कारण आलोचना करती हैं.

सरकार के अनुसार, 4 श्रम संहिताओं का उद्देश्य “वैधानिक न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा और श्रमिकों की स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े मामलों मे असंगठित श्रमिकों सहित श्रमिकों को उपलब्ध सुरक्षा को मजबूत करना है.

न्यूनतम मजदूरी से जीवनयापन मजदूरी

मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में महिला कार्यबल भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए नियोक्ताओं के लिए एक सलाह जारी की थी. यह उन कदमों की पहचान करने के लिए हितधारकों के साथ चर्चा कर रहा है जो इस मीट्रिक को बढ़ावा दे सकते हैं. ‘न्यूनतम मजदूरी’ से ‘जीवनयापन मजदूरी’ पर स्विच करने की दिशा में भी काम चल रहा है. श्रम मंत्रालय इस पर पहुंचने के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के साथ बातचीत कर रहा है. मंत्रालय ने ई-श्रम पोर्टल के जरिए सभी असंगठित श्रमिकों क सामाजिक सुरक्षा देने पर भी काम शुरू किया है. सरकार का मानना ​​है कि श्रम सुधार विनिर्माण क्षेत्र में निवेश बढ़ाने और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

Published - April 8, 2024, 01:26 IST