सरकार अपने गोदामों और खुदरा दुकानों पर ताजे फलों और सब्जियों की बर्बादी को कम करने के लिए अब टेक्नोलॉजी का सहारा लेगी. इसके लिए ईकॉमर्स कंपनी अमेजन की ओर से विकसित तकनीकी उपकरण जौहरी (Johari) का उपयोग किया जाएगा. दिल्ली और बेंगलुरु में मदर डेयरी के स्वामित्व वाले सफल स्टोर्स में एक पायलट प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है.
Johari तकनीक के तहत ताजा उपज में पहले से निर्धारित दोषों-कटौती, दरारें और अन्य क्षति-की पहचान की जाती है. इसके लिए कंप्यूटर विज़न मॉडल और वाई-फाई-सक्षम इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स (IoT) कैमरों का उपयोग होता है. इन कैमरों को स्टोर अलमारियों या उन साइटों पर रखा जाता है जहां फल या सब्जी रखे जाते हैं. ये समय-समय पर ऑटोमैटिक तौर से टोकरे की तस्वीरें खींचता है, जिससे ताजा उपज की गुणवत्ता की निरंतर निगरानी होती रहती है.
सूत्रों के मुताबिक सरकार नए विचारों को अपनाने पर काम कर रही है. इसके लिए लागत विश्लेषण किया जाएगा और देखा जाएगा कि तकनीक सरकार के लिए स्केलेबल और व्यवहार्य हो, जिसके आधार पर इसे चुनिंदा आउटलेट्स में एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लगा सकते हैं. हाल ही में जौहरी की उपयोगिता पर चर्चा के लिए सरकारी नीति थिंक-टैंक नीति आयोग और अमेज़ॅन के अधिकारियों के बीच चर्चा हुई है.
केंद्र सरकार ज्यादातर खाद्यान्नों को रियायती दरों पर बेचने और बफर बनाए रखने के लिए खरीदता है. इसके अलावा, यह कीमतों को नियंत्रण में रखने और मांग-आपूर्ति संतुलन बनाए रखने के लिए बड़ी मात्रा में प्याज और कभी-कभी टमाटर खरीदता है. यह राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के तहत सफल स्टोर्स के माध्यम से ताजे फल, सब्जियां और डेयरी उत्पाद भी बेचता है.
अमेजन में मशीन लर्निंग के उपाध्यक्ष राजीव रस्तोगी ने एक मीडिया इंटरव्यू में जौहरी को सरकारी स्वामित्व वाले केंद्रों में तैनात करने के लिए नीति आयोग के अधिकारियों के साथ हुई बैठक की पुष्टि की है. इस साल अगस्त में, अमेजन इंडिया ने शेल्फ मॉनिटरिंग समाधान जौहरी लॉन्च किया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ग्राहकों को केवल ताजा गुणवत्ता वाले फल और सब्जियां ही वितरित की जाएं.