अक्सर दवाओं के नाम पर मरीजों से ज्यादा पैसे वसूले जाते हैं, जिससे उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है. मरीजों से होने वाली इसी लूट को रोकने के मकसद से राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने नौ दवा फॉर्मूलेशन की अधिकतम कीमत तय कर दी है. इसके तहत चुनिंदा इलाज के लिए मरीजों को किफायती दाम में दवाइयां मिल सकेंगी.
एनपीपीए की ओर से जिन दवाओं की अधिकतम कीमत निर्धारित की गई हैं, उनमें टैक्रोलिमस शामिल है. यह एक इम्यूनोसप्रेसिव दवा है, जिसका उपयोग प्रत्यारोपण के बाद के जोखिम को कम करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा को-ट्रिमोक्साज़ोल की भी कीमत तय की गई है. इसका उपयोग जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है जो निमोनिया और यूरिनल संक्रमण का कारण बनता है.
मूल्य निर्धारण प्राधिकरण ने टैक्रोलिमस दवा (0.5 मिलीग्राम) की खुदरा कीमतें 20.97 रुपए निर्धारित की हैं. जबकि टैक्रोलिमस 1 मिलीग्राम और 2 मिलीग्राम की कीमत क्रमशः 39.98 रुपए और 77.69 रुपए तय की गई है. विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक किसी भी फॉर्मूलेशन के खुदरा मूल्य का तुरंत अनुपालन न किए जाने पर संबंधित निर्माता या मार्केटिंग कंपनी पर कार्रवाई होगी. डीपीसीओ 2013 के प्रावधानों के तहत उन्हें ब्याज के साथ अतिरिक्त राशि जमा करनी होगी.
एनपीपीए के नवीनतम आदेश के अनुसार, को-ट्रिमोक्साज़ोल की अधिकतम कीमत 2.30 रुपए और जिंक सल्फेट टैबलेट (20 मिलीग्राम) की कीमत 3.41 रुपए तय की गई है. इसके अलावा एनपीपीए ने दर्द निवारक दवा ट्रामाडोल (50 मिलीग्राम) की अधिकतम कीमत को भी संशोधित कर 9.70 रुपए कर दिया है. जबकि कैंसर रोधी दवा टेमोज़ोलोमाइड (20 मिलीग्राम) की कीमत 336.63 रुपए तय की गई है. एनपीपीए आदेश में कहा गया है, ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर, 2013 के अनुसार एनपीपीए ने आर्थोपेडिक घुटने के प्रत्यारोपण के लिए अधिकतम मूल्य निर्धारण को एक और वर्ष के लिए 15 सितंबर, 2024 तक बढ़ा दिया है.