EPFO Latest Update: साइबर हमलों के बढ़ते मामलों को देखते हुए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) बड़ा कदम उठाने जा रही है. ईपीएफओ ने इन-हाउस नेक्स्ट जेन सिक्योरिटी ऑपरेशंस सेंटर (SOC) स्थापित करने की योजना बनाई है. इसके तहत विभाग ईपीएफओ की वेबसाइट और उसके डेटा को सुरक्षित रखने के लिए टीम हायर करेगा. इसके लिए ईपीएफओ ने एसओसी एक्सपर्ट्स से बोलियां भी मंगाई है.
ईपीएफओ ने उठाया बड़ा कदम
नई दिल्ली के द्वारका स्थित ‘राष्ट्रीय डेटा सेंटर’ में साइबर एक्सपर्ट्स की एक टीम इसे संचालित करेगी. ये टीम आईटी प्रॉपर्टीज और बाकी सर्विसेज जैसे- सर्वर, नेटवर्क ट्रैफिक (WAN, LAN, Local, Internet) आदि की निगरानी, इसके विश्लेषण और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होगी. ये टीम किसी भी तरह की संभावित सुरक्षा घटना के संकेतों पर नजर रखेगी ताकि उपयोगकर्ता की पहचान की जाए और साइबर अटैक से बचा जा सके. दरअसल, ईपीएफओ का यह कदम एम्स दिल्ली और मध्य प्रदेश के ई-नगरपालिका पोर्टल जैसी संस्थाओं पर साइबर हमलों को देखते हुए आया है.
ईपीएफओ ने एसओसी की स्थापना के लिए मंगाई बोली
EPFO एसओसी की स्थापना के लिए रिटायर्ड निधि प्रबंधक की तलाश कर रही है जो इस एसओसी को शुरू करे और सुचारू रूप से संचालन करे. इसके लिए ईपीएफओ ने एसओसी एक्सपर्ट्स से बोलियां भी मंगाई है. ईपीएफओ ने बताया, ‘भारत में नियामकीय आवश्यकताओं (CERT-In, NCIIPC), बढ़ते साइबर हमले और मैलवेयर से बचने के लिए और AI/ML, ब्लॉक चेन, बॉट्स, डार्क वेब, सोशल इंजीनियरिंग, क्लाउड आदि जैसी टेक्निक से होने वाले खतरों को ध्यान में रखते हुए एसओसी शुरू करने का फैसला लिया है. आधुनिक नेक्स्ट जेन सिक्योरिटी ऑपरेशंस सेंटर की मदद से ईपीएफओ के आईटी प्रॉपर्टीज पर हर पल नजर रखी जा सकेगी, ताकि किसी भी तरह के आंतरिक और बाहरी साइबर हमलों से बचा जा सके.
कौन लगा सकता है बोली?
ईपीएफओ ने बताया कि बोली लगाने वालों से एसओसी की स्थापना, ऑपरेशन और इसके रखरखाव के साथ-साथ पांच साल की अवधि के लिए एक्सपर्ट देने की अपेक्षा की जाएगी. यानी जो भी फर्म बोली लगाएं वो इन बिंदुओं का ध्यान रखें. इसके बाद, कंपनी को इसे सर्ट-इन (Cert-In) में भी जोड़ना होगा. सर्ट-इन इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत स्थापित Indian Computer Emergency Response Team है. गौरतलब है कि ईपीएफओ दुनिया के सबसे बड़े सामाजिक सुरक्षा संगठनों में से एक है, जिसमें लगभग सदस्यों के लगभग 24.77 करोड़ खाते हैं. ऐसे में, इस पर साइबर अटैक बड़ा नुकसान दे सकता है.