दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने अहम कदम उठाए हैं. इसके तहत वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चरण III को लागू किया है. इस चरण में पुरानी डीजल बसों पर बैन लगाया गया है, सरकार का मानना है कि ऐसे वाहनों से सबसे ज्यादा प्रदूषण बढ़ता है. इसके अलावा हवा की गुणवत्ता में सुधार होने तक दिल्ली की सड़कों पर बीएस-III और बीएस-IV कारों, एसयूवी और हल्के मोटर वाहनों पर भी रोक लगा दी है. दिल्ली की तरह नोएडा पुलिस ने भी प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है. इसके तहत नोएडा पुलिस ने 10 और 15 साल पुराने वाहनों के खिलाफ एक विशेष अभियान चलाया है.
दिल्ली में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने डीजल बसों को प्रतिबंधित करने के अलावा और भी कई चीजों पर रोक लगाई है, जिनमें निर्माण गतिविधियों, स्टोन क्रशर, खनन कार्य और संबंधित गतिविधियां और डीजल जनरेटर के उपयोग आदि शामिल हैं. हालांकि आवश्यक सेवाओं के लिए छूट दी गई है. आयोग ने कहा कि वर्तमान वायु गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए और आगे इसे रोकने के लिए सीएक्यूएम ने जीआरएपी के चरण III जिसमें ‘गंभीर’ वायु गुणवत्ता (दिल्ली एक्यूआई 401-450 के बीच) में दिए गए सभी निर्देशों को तत्काल लागू करने का निर्णय लिया है.
ऐसे में जिनके पास बीएस-III पेट्रोल या बीएस-IV कार है तो उन्हें गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बौद्ध नगर सहित दिल्ली और एनसीआर में अपना वाहन चलाने की अनुमति नहीं होगी. सरकार ने लोगों को निजी वाहनों का उपयोग करने से बचने और इसके बजाय सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भी प्रोत्साहित किया है.
10 से 15 साल पुराने वाहन किए जा रहें जब्त
वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए नोएडा पुलिस ने पुराने वाहनों के खिलाफ एक विशेष अभियान चलाया है. पुलिस उपायुक्त (डीसीपी), यातायात पुलिस, अनिल यादव ने कहा कि पुलिस ने 10 और 15 साल पुराने 175 वाहनों को जब्त कर लिया है. फिटनेस प्रमाणपत्र या प्रदूषण प्रमाणपत्र नहीं होने के कारण 7,000 से अधिक वाहनों के मालिकों पर जुर्माना लगाया गया. नोएडा पुलिस ने 15 दिनों के लिए यह विशेष अभियान चलाया है.
पराली जलाने और पटाखों की वजह से इन दिनों दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और अन्य क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता शुक्रवार सुबह गिरकर “गंभीर प्लस” श्रेणी में आ गई है. पड़ोसी राज्य हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों ने भी खतरनाक वायु गुणवत्ता का सामना कर रहे हैं.