साइबर धोखाधड़ी के विभिन्न तरीकों को रोकने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. संचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान ने बुधवार को संसद में बताया कि साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए सरकार द्ववारा उठाए जा रहे कदमों में संचार साथी पोर्टल को लॉन्च करना भी शामिल है. संचार साथी पोर्टल नागरिकों को उनके नाम पर जारी मोबाइल कनेक्शन के बारे में जानकारी उपलब्ध कराता है. इसके साथ ही यह पोर्टल प्रमुख संस्थाओं के हेडर और मैसेज टेम्पलेट्स के दुरुपयोग सहित साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर ग्राहक जागरूकता अभियान को चलाने में मदद करता है.
चौहान ने बताया कि अभी तक संचार साथी पोर्टल की मदद से फर्जी और नकली दस्तावेजों के आधार पर लिए गए 55.52 लाख मोबाइन कनेक्शन बंद किए गए हैं. इसके साथ ही 1.32 लाख ऐसे मोबाइल हैंडसेट को ब्लॉक किया गया है, जिनका इस्तेमाल साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी में किया जा रहा था. देवूसिंह ने बताया कि नागरिकों द्वारा 13.42 लाख संदिग्ध मोबाइल कनेक्शन की सूचना दी गई, जिन्हें पुन: सत्यापन में विफल रहने पर डिस्कनेक्ट कर दिया गया.
संचार राज्य मंत्री ने बताया कि लोगों द्वारा नागरिकों को ठगने के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अधिकारी होने का झूठा दाव करने के मामले भी सामने आए हैं. उन्होंने बताया कि उपभोक्ताओं को अवांछित कॉल्स और टेक्स्ट मैसेज की बौछार करने में शामिल मोबाइल नंबरों के खिलाफ उचित कदम उठाने के लिए दूरसंचार नियामक पहले ही टेलीकॉम कंपनियों को आदेश दे चुका है. ट्राई ने एक सार्वजनिक सूचना जारी कर नागरिकों को सचेत किया है कि वे ट्राई की ओर से कंपनियों, एजेंसियों और व्यक्तियों के कनेक्शन काटने की धमकी देने वाली धोखाधड़ी कॉल पर ध्यान न दें. ट्राई ने यह भी चेतावनी दी है कि फर्जी कंपनियां, एजेंसियां और व्यक्ति डिस्कनेक्शन से बचने के लिए लोगों को स्काइप वीडियो कॉल करने के लिए बरगला रहे हैं.
चौहान ने कहा कि दूरसंचार विभाग ने अपनी ओर से, डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म के जरिये टेक्स्ट मैसेज भेजने वाली इकाईयों का आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग के आधार पर विश्लेषण किया और लगभग 20,000 प्रमुख संस्थाओं, 30 हजार एसएमएस हेडर्स और 195,000 टेक्स्ट मैसेज कंटेंट टेम्प्लेट्स को हटाया गया.
जुलाई, 2018 में ट्राई ने नियम जारी कर, मोबाइल ऑपरेटर्स के लिए ग्राहकों से अवांछित कमर्शियल मैसेज प्राप्त करने के लिए पूर्व सहमति लेने को अनिवार्य बनाया था. बावजूद इसके मोबाइल ग्राहक अवांछित कॉल्स और मैसेज से आज भी परेशान हैं.