सूरत के हरिभाई पिछले 12 साल से अलग–अलग म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) में निवेश कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने टीवी पर एक्सपर्ट की बात से की तो पता चला डेट स्कीम्स में यील्ड–टू–मैच्योरिटी (YTM) बहुत ही अहम भूमिका निभाता है.
ऊंची YTM वाली स्कीम से अधिक रिटर्न मिलने की संभावना होती है. एक्सपर्ट्स का ये सिम्पल ज्ञान हरीभाई जैसे कई निवेशकों की समझ से बाहर है. ऐसे में ये सवाल पैदा होता है कि आखिर YTM क्या है और डेट फंड के साथ उसके तार किस तरह से जुड़े हैं.
YTM क्या है?
कोई बैंक 1 साल की FD पर 5% रिटर्न देता है तो आपको मैच्योरिटी के बाद 1 लाख रुपये के निवेश पर 5,000 रुपये की कमाई होगी.
इसी तरह से YTM से पता चलता है कि बॉन्ड फंड या सिंगल बॉन्ड में मैच्योरिटी बाद कितना रिटर्न मिलेगा. YTM को बॉन्डहोल्डर की वास्तविक यील्ड (effective yield) कहा जाता है.
कूपन रेट vs YTM
बॉन्ड होल्डर को बॉन्ड इश्यूअर द्वारा जिस दर से ब्याज दिया जाएगा उसे कूपन रेट कहते है.
यह ब्याज बॉन्ड की फेस वैल्यू पर मिलता है. अगर किसी बॉन्ड का कूपन रेट 8% है और उसकी फेस वैल्यू 100 रुपये है, तो 8% के दर के हिसाब से हर साल 8 रुपये ब्याज मिलेगा.
बॉन्ड यील्ड का मतलब है बॉन्ड खरीदने वाले को उसकी मैच्योरिटी के वक्त मिलने वाला कुल रिटर्न. कूपन रेट से सिर्फ फेस वैल्यू पर ब्याज का पता चलता है, वहीं YTM से आपको वास्तविक कितना रिटर्न मिलेगा उसका पता चलता है. बॉन्ड के निवेशक को कूपन रेट (इंटरेस्ट रेट) से ज्यादा चिंता YTM की करनी चाहिए क्योंकि आपके मुनाफे का अनुमान इससे ही लगता है.
YTM का फॉर्मूला
सिंगल बॉन्ड का YTM इस फॉर्मूला से निकाल सकते हैं, वहीं मल्टिपल बॉन्ड्स से बने हुए किसी डेट फंड पोर्टफोलियो का YTM गिनने के लिए उस फंड में शामिल प्रत्येक बॉन्ड के YTM का वेटेड एवरेज कैलकुलेट किया जाता है. सिंगल बॉन्ड का YTM जानने का फॉर्मूला इस प्रकार हैः
[सालाना ब्याज + {(FV-MP)/मैच्योरिटी}] / [(FV+MP)/2]
इस फॉर्मूले में,
सालाना ब्याज = बॉन्ड का सालाना इंटरेस्ट रेट (कूपन रेट)
Face Value(FV) =बॉन्ड की फेस वैल्यू
Market Price(MP) =बॉन्ड की वर्तमान मार्केट प्राइस
मैच्योरिटी = बॉन्ड के परिपक्व होने की अवधि
उदाहरण के साथ समझते हैंः
केस – 1
मान लीजिए आपने 6% कूपन रेट, 1,000 रुपये की फेस वैल्यू और 10 साल की मैच्योरिटी वाला बॉन्ड 900 रुपये के मार्केट प्राइस पर खरीदा है तो ऊपर दिए गए फॉर्मूला के हिसाब से,
YTM= [60 + {(1000-900)/10}] / [(1000+900)/2] = 7.4% होता है.
केस-2
आपने यही बॉन्ड 1,100 रुपये में खरीदा है तो
YTM= [60 + {(1000-1100)/10}] / [(1000+1100)/2] = 4.7% होता है.
केस-3
आप यही बॉन्ड फेस वैल्यू के भाव में ही यानी कि 1,000 रुपये में खरीदते हैं तो,
YTM= [60 + {(1000-1000)/10}] / [(1000+1000)/2] = 6.0% होता है.
यदि कोई कंपनी ज्यादा कूपन रेट वाली स्कीम ऑफर कर रही है, लेकिन उसका YTM उसके कूपन रेट से कम है तो वास्तव में आपको कूपन रेट से कम रिटर्न मिलेगा, जो केस-2 से समझ आता है.
निवेशक क्या करें
किसी डेट फंड का YTM अधिक हो तो संभव है कि ऐसे फंड ने खराब क्वालिटी के बॉन्ड (कम क्रेडिट रेटिंग वाले) में ज्यादा निवेश किया है. ऐसे खराब–क्वालिटी के बॉन्ड उसकी कैटेगरी के अन्य बॉन्ड के मुकाबले में उच्च कूपन रेट ऑफर करते हैं, लेकिन उसमें लिक्विडिटी का रिस्क भी अधिक रहता है.
जिन निवेशकों की रिस्क–कैपेसिटी ज्यादा है वे ज्यादा रिटर्न के लिए ऊंचे YTM वाले डेट फंड में निवेश करने की सोच सकते हैं, वहीं कम रिस्क लेने वाले निवेशक अच्छी क्वालिटी के बॉन्ड में निवेश करने वाली और कम YTM वाली स्कीम में निवेश कर सकते है.