सेबी के म्यूचुअल फंड्स के लिए बनाए नए नियम का आप पर क्या पड़ेगा असर?

सेबी का नियम उन फोरेंसिक रिपोर्ट्स के बाद आया है जिनमें एक AMC के अधिकारियों पर धांधली का आरोप लगाया गया था.

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PTI

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इनवेस्टर्स के हितों की रक्षा के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी ने नियम बनाया है कि एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) के प्रमुख कर्मचारियों की न्यूनतम 20% सैलरी/सुविधाएं म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) यूनिट्स के तौर पर दी जाएं.
नया नियम उन फोरेंसिक रिपोर्ट्स के बाद आया है जिनमें आरोप लगाया गया था कि फ्रैंकलिन टेंपलटन के कुछ उच्च अधिकारियोंऔर उनके परिवार के सदस्यों ने छह स्ट्रेस्ड स्कीमों से अपने इनवेस्टमेंट का एक हिस्सा अप्रैल 2020 में इन स्कीमों से निकासी पर रोक लगाए जाने के ठीक पहले निकाल लिया था.
स्किन इन द गेम
सेबी ने एक सर्कुलर में कहा है, “AMC के प्रमुख कर्मचारियों की सैलरी/पर्क्स/बोनस/नॉन-कैश कंपनसेशन (ग्रॉस कॉस्ट-टू-कंपनी) और कोई भी स्टेट्यूटरी कॉन्ट्रिब्यूशन (PF या नेशनल पेंशन स्कीम) का न्यूनतम 20 फीसदी हिस्सा ऐसी म्यूचुअल फंड स्कीमों की यूनिट्स के तौर पर दिया जाए जिनमें उनकी एक भूमिका है.”
ये हैं प्रमुख एंप्लॉयीज
AMC के प्रमुख एंप्लॉयीज में चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO), चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर (CIO), चीफ रिस्क ऑफिसर (CRO), चीफ इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी ऑफिसर, चीफ ऑपरेशन ऑफिसर, फंड मैनेजर, कंप्लायंस ऑफिसर, सेल्स हेड, इनवेस्टर रिलेशंस ऑफिसर, दूसरे डिपार्टमेंट्स के हेड और एसेट मैनेजमेंट कंपनी के डीलर शामिल हैं.
MF (Mutual Fund) यूनिट्स के तौर पर दिए जाने वाले कंपनसेशन का स्कीमों के AUM के आनुपातिक रूप में होना जरूरी है.
सेबी ने कहा है कि इस तरह की म्यूचुअल फंड यूनिट्स को न्यूनतम 3 साल या स्कीम के टेन्योर में जो भी कम होगा उसके लिए लॉक किया जाएगा.
इसमें आगे कहा गया है कि इन यूनिट्स में रिडेंप्शन को लॉक-इन पीरियड की अवधि में इजाजत नहीं होगी.
हालांकि, AMC मेडिकल इमर्जेंसी या मानवीय आधार पर इन यूनिट्स को इन एंप्लॉयीज से उधार ले सकते हैं.

रेगुलेटर ने ये भी कहा है कि प्रमुख एंप्लॉयीज को आवंटित की गई यूनिट्स कोड ऑफ कंडक्ट के उल्लंघन, फ्रॉड या लापरवाही की दशा में क्लॉबैक के अधीन होंगी.

यानी इन यूनिट्स को रिडीम कर लिया जाएगा और इसका पैसा स्कीम में डाल दिया जाएगा.

क्या इनवेस्टर्स को इससे चिंतित होना चाहिए?

इनवेस्टर्स के लिहाज से यह एक अच्छा कदम है क्योंकि इससे फंड हाउस और ज्यादा उत्तरदायी बनेंगे.

आनंद राठी वेल्थ के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज कहते हैं, “म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) इंडस्ट्री में गवर्नेंस पर भरोसा बढ़ेगा. परफॉर्मेंस पैरामीटर पर शायद ही कोई फर्क पड़े क्योंकि ज्यादातर फंड मैनेजर्स पहले से ही अपनी स्कीमों में पैसा लगाते हैं.”

Published - April 29, 2021, 04:26 IST