अगर आप किसी म्यूचुअल फंड स्कीम के डिविडेंड ऑप्शन में निवेश करते हैं तो आपको AMC से भेजे गए स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट यानी SOA में एक नया शब्द लिखा मिलता होगा IDCW . इसका क्या मतलब होता है? इसे समझना किसी भी म्यूचुअल फंड निवेशक के लिए जरूरी है.
मार्केट रेगुलेटर SEBI ने साल 2020 में एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि अप्रैल 2021 के बाद से फंड हाउस डिविडेंड की जगह इनकम डिस्ट्रिब्यूशन कम विड्रॉल यानी IDCW का इस्तेमाल करेंगे. अब सवाल उठता है कि SEBI को यह बदलाव करने की जरूरत क्यों पड़ी? इससे आपके निवेश पर फर्क क्या पड़ता है?
असल में SEBI का यह मानना है कि इससे निवेशक इस बारे में ज्यादा जागरूक होंगे कि म्यूचुअल फंड में मिलने वाले डिविडेंड का मतलब क्या है. असल में म्यूचुअल फंड में मिलने वाला डिविडेंड शेयरों में निवेश से मिलने वाले डिविडेंड से अलग होता है. कई निवेशकों में यह भ्रम होता है कि उन्हें जो डिविडेंड मिल रहा है वह उनको स्कीम से मिलने वाले रिटर्न के अतिरिक्त है. लेकिन सच्चाई इससे अलग है. असल में म्यूचुअल फंड में जो डिविडेंड मिलता है, वह फंड के ग्रोथ से होने वाले रिटर्न का ही हिस्सा होता है. जितना डिविडेंड दिया जाता है, उसी अनुपात में फंड का NAV भी घट जाता है.
उदाहरण के लिए अगर किसी स्कीम का NAV डिविडेंड देने से पहले 100 रुपए का है और वह 5 रुपए का डिविडेंड देता है तो डिविडेंड भुगतान के बाद उसका NAV 95 रुपए ही रह जाएगा. इस बदलाव से निवेशकों के निवेश पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, यह बस उन्हें ज्यादा जागरूक बनाने के लिए किया गया है. SEBI यह मानता है कि म्यूचुअल फंड्स के लाभांश के लिए डिविडेंड की जगह IDCW ज्यादा उपयुक्त शब्द है.