म्यूचुअल फंड में क्या होता है एक्जिट लोड, आपके निवेश पर कितना असर

Exit Load: फंड हाउस इसलिए एक्जिट लोड लगाते हैं ताकि निवेशक तय समय से पहले निवेश ना निकाले. ये तभी लगेगा जब आप समय से पहले पैसा निकालेंगे

mutual fund, expense ratio, asset allocation, credit rating

Pixabay - अपने लिए बेहतर इक्विटी म्यूचुअल फंड चुनने का काम कठिन है, लेकिन यहां बताए गए 9 तरीकों से ये कठिन काम आसान हो सकता है.

Pixabay - अपने लिए बेहतर इक्विटी म्यूचुअल फंड चुनने का काम कठिन है, लेकिन यहां बताए गए 9 तरीकों से ये कठिन काम आसान हो सकता है.

म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले आपको इससे जुड़े रिस्क समझना जितना जरूरी है उतना ही अहम है कि आप जानें कि इससे जुड़े खर्च और चार्ज कितने हैं. म्यूचुअल फंड में दो तरह के चार्ज लगते हैं – एक्सपेंस रेश्यो और एक्जिट लोड. एक्जिट लोड वो चार्ज है जो एसेट मैनेजमेंट कंपनियां आपको तय समय से पहले फंड से पैसा निकालने पर वसूलती हैं. अलग-अलग कैटेगरी के मुताबिक एक्जिट लोड (Exit Load) सकता है. साथ ही, ये जरूरी नहीं कि हर फंड एक्जिट लोड चार्ज करे.

एक्सपेंस रेश्यो और एक्जिट लोड में फर्क

एक्सपेंस रेश्यो एसेट मैनेजमेंट कंपनी आपका निवेश मैनेज करने में बतौर फीस वसूलती है. रेगुलर प्लान चुनने पर एक्सपेंस रेश्यो में इंटमीडियरी, डिस्ट्रीब्यूटर के चार्ज शामिल होने से एक्सपेंस रेश्यो डायरेक्ट प्लान के मुकाबले ज्यादा होता है. आपने किसी फंड में निवेश किया है तो एक्सपेंस रेश्यो से बच नहीं सकते. लेकिन वहीं अगर आपने तय समय के लिए फंड में निवेश बनाए रखा है तो एक्जिट लोड (Exit Load) नहीं लगेगा. एक्जिट लोड एक तरह की पेनाल्टी है जो तय समय तक निवेश होल्ड ना करने पर लगेगी जबकि एक्सपेंस रेश्यो फीस है.

Exit Load: कैटेगरी के मुताबिक एक्जिट लोड

ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड में निवेशकों के पास कभी भी पैसे निकालने का विकल्प रहता है. लेकिन अधिक्तर इक्विटी फंड में एक साल से पहले निवेश निकालने पर एक्जिट लोड लगता है. ये एक्जिट लोड 1 से 2 फीसदी के बीच हो सकता है. दरअसल इक्विटी को लंबे समय के लिए निवेश माना जाता है इसलिए छोटी अवधि में पैसा निकालने पर AMCs एक्जिट लोड लगाती हैं.

दूसरी ओर डेट कैटेगरी को अक्सर छोटी अवधि के लक्ष्यों के लिए ही पोर्टफोलियो में शामिल किया जाता है. इनमें इक्विटी के मुकाबले कम रिस्क माना जाता है. छोटी अवधि का निवेश होने के कारण इनमें अमूमन एक्जिट लोड (Exit Load) नहीं लगता.

एक्जिट लोड लगाकर फंड हाउस निवेशकों से तय अवधि से पहले फंड से निकलने के लिए हतोत्साहित करती हैं.

ऐसे करें कैलकुलेट

एक्जिट लोड नेट एसेट वैल्यू (NAV) का कुछ फीसदी हिस्सा होता है. एसेट मैनेजमेंट कंपनी NAV में से एक्जिट लोड काटकर बची रकम निवेशक के खाते में जमा करती है.

मान लीजिए, आपके फंड पर एक साल से पहले पैसा निकालने पर 1 फीसदी का एक्जिट लोड लगता है और आप ये अवधि पूरी होने से पहले ही पैसा निकालने का फैसला लेते हैं तो NAV में से 1 फीसदी रकम कटकर वापस मिलेगी. अगर फंड की NAV 100 रुपये है तो आपको 1 फीसदी रकम काटकर 99 रुपये वापस मिलेंगे. अगर आपने 1 साल से ज्यादा निवेश रखा तो कोई एक्जिट लोड (Exit Load) नहीं लगेगा.

Published - May 18, 2021, 01:01 IST