टाटा म्यूचुअल फंड ने टाटा डिविडेंड यील्ड फंड (Tata Dividend Yield Fund) लॉन्च किया है. ये ओपन-एन्डेड इक्विटी स्कीम है, जो डिविडेंड देने वाले शेयरों में निवेश करेगी. 3 मई से शुरू हुआ ये NFO (न्यू फंड ऑफर) 17 मई को बंद होगा. NFO का बेंचमार्क निफ्टी डिविडेंड ऑपर्च्युनिटीज 50 TRI है. इसमें TCS, ITC, इन्फोसिस, HUL, L&T जैसे प्रमुख शेयर शामिल हैं.
फंड हाउस ने जानकारी दी है कि टाटा डिविडेंड यील्ड फंड का उद्देश्य मुख्य रूप से डिविडेंड देने वाली कंपनियों के शेयरों और इससे जुड़े प्रोडक्ट के डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो में पैसा लगाके निवेशकों को अच्छे रिटर्न के साथ-साथ रेगुलर डिविडेंड इनकम कराने का है.
मार्केट में 10 से ज्यादा डिविडेंड यील्ड फंड्स हैं. डिविडेंड यील्ड फंड्स बेहतर है या नहीं ये समझने के लिए ऐसे फंड्स की तुलना सेंसेक्स और S&P BSE 500 से की जाती है.
सेंसेक्स का 3 साल का CAGR (कंपाउंड एन्वल ग्रोथ रेट) 11.5 फीसदी है और S&P BSE 500 का 3 साल का CAGR 9.94 फीसदी है. इसकी तुलना में डिविडेंड यील्ड फंड की कैटेगरी का 3 साल का औसत रिटर्न 8.36 फीसदी है — सबसे ज्यादा 10.71 फीसदी और सबसे कम 4.35 फीसदी रिटर्न मिला है.
रिस्क के नजरिए से तुलना करें तो, डिविडेंड फंड (Dividend Yield Fund) कैटेगरी का एवरेज बीटा 0.66 है, जबकि मार्केट का बीटा 1 है. बीटा रिस्क और रिटर्न की तुलना का मापदंड है.
इन्वेस्टर पॉइंट (Investor Point) के फाउंडर जयदेवसिंह चुडासमा के मुताबिक, “टाटा के इस डिविडेंड यील्ड फंड में निवेश करने से बेहतर है आप किसी डेट फंड से एग्रेसिव इक्विटी फंड में STP (सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान) शुरू करें. टाटा ने ये प्लान अपनी यील्ड कैटेगरी को बैलेन्स करने के लिए लॉन्च किया है. इसके अलावा कई सारे विकल्प हैं जो निवेशक को अच्छा रिटर्न दे सकते हैं.”
फाइनेंशियल प्लानर निपुण भट्ट सलाह देते हैं, “डिविडेंड यील्ड फंड्स (Dividend Yield Funds) का पिछले 3 साल का सालाना प्रदर्शन 8.5 फीसदी से 10.50 फीसदी रहा है. इस आधार पर, टाटा के डिविडेंड यील्ड फंड में निवेश करने से बेहतर है किसी बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में निवेश करें, क्योंकि ऐसे फंड्स में स्थिर बाजार या गिरावट के माहौल में भी अच्छा रिटर्न मिला है. मैं निवेशकों को ऐसे फंड्स से दूर रहने की सलाह दूंगा.”
टाटा डिविडेंड यील्ड फंड का संचालन टाटा एसेट मैनेजमेंट के फंड मेनेजर शैलेश जैन के पास है. जैन के मुताबिक, उनका फंड ज्यादा डिविडेंड देने वाली कंपनियों में निवेश करेगा और इस तरह से मार्केट के ग्रोथ एवं वैल्यू सेगमेन्ट्स का अच्छा मिक्स का फायदा उठाएगा. जैन कहते हैं कि, तगड़ा डिविडेंड देने वाली कंपनियां उतार-चढ़ाव भरे बाजार के दौरान ज्यादा सुरक्षा प्रदान करती हैं और जब मार्केट स्थिर होता है तो ब्रॉडर मार्केट से ज्यादा रिटर्न देती हैं.
टाटा एसेट मैनेजमेंट के CEO (इक्विटी) और डिविडेंड यील्ड फंड (Tata Dividend Yield Fund) के सह-फंड मैनेजर राहुल सिंह का कहना है कि, “मीडियम टर्म में कंपनियों के नतीजों में दिखी अच्छी रिकवरी और कम इंटरेस्ट रेट को ध्यान में रखकर हम ये फंड लाए हैं. अर्थव्यवस्था की हालात और मार्केट का मौजूदा वैल्यूएशन देखते हुए शेयर बाजार में बड़े उतार-चढ़ाव की आशंका बनी हुई है.”
डिविडेंड यील्डिंग कंपनियों के पास अच्छा कैश-फ्लो होता है, बिजनेस में स्थिरता होती है. इसलिए शेयर का प्रदर्शन भी स्टेबल रहता है. कंपनी के कुल मुनाफे में से निवेशकों को दिया गया हिस्सा डिविडेंड कहलाता है. डिविडेंड प्रति शेयर के हिसाब से दिया जाता है. यानी जिस निवेशक के पास जितने अधिक शेयर होंगे उसकी डिविडेंड रकम उतनी ही अधिक होगी. लगातार बेहतर डिविडेंड का रिकॉर्ड रखने वाली कंपनी में निवेश सुरक्षित माना जाता है.
डिविडेंड यील्ड से शेयर में सुरक्षित रिटर्न का अंदाजा मिलता है. यानी डिविडेंड यील्ड जितना ज्यादा होगी, निवेश उतना ही सुरक्षित होगा. 4% से ज्यादा डिविडेंड यील्ड वाली कंपनियां ही डिविडेंड के आधार पर बेहतर मानी जाती है. शेयर के भाव के अनुपात में कंपनी निवेशक को कितना डिविडेंड दे रही है यही है डिविडेंड यील्ड.