Mutual Funds को लेकर फैले हैं कईं भ्रम, जानें क्‍या है पीछे की सच्‍चाई

Mutual Funds: म्‍यूचुअल फंड को लेकर आज भी कई लोगों में भ्रम बना हुआ है. इसका नाम आते ही लोग अलग अलग तरह के कयास लगाने लग जाते हैं

AMU, AMC, NAV, MUTUAL FUNDS, INVEST, PORTFOLIO

image: pixabay: एसेट एलोकेशन आपके पैसे को बेहतरीन तरीके से काम करने की एक प्रक्रिया है. शब्द "एसेट एलोकेशन फंड" एक ऐसे फंड को दर्शाता है, जो कई प्रकार के एसेट टाइप्स में निवेश करते हैं.

image: pixabay: एसेट एलोकेशन आपके पैसे को बेहतरीन तरीके से काम करने की एक प्रक्रिया है. शब्द "एसेट एलोकेशन फंड" एक ऐसे फंड को दर्शाता है, जो कई प्रकार के एसेट टाइप्स में निवेश करते हैं.

म्‍यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) को लेकर आज भी कई लोगों में भ्रम बना हुआ है. इसका नाम आते ही लोग अलग अलग तरह के कयास लगाने लग जाते हैं. कई को लगता है कि यह एक चैरिटी है. हालांकि इसके लिए लोगों को गलत ठहराना ठीक नहीं रहेगा. क्‍योंकि उन्‍हें अभी म्‍यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) का कांसेप्‍ट क्‍लीयर नहीं है. इसमें हम जानने की कोशिश करेंगे कि वे क्‍या भ्रम है और इससे पीछे की सच्‍चाई क्या है.

दो फीसदी भारतीय ही करते निवेश
म्‍यूचुअल फंड्स में निवेश करने वालों की संख्‍या बेहद कम है. एक रिपोर्ट के मुताबिक म्‍यूचुअल फंड्स में केवल दो फीसदी भारतीय ही निवेश करते हैं. इसका कारण लोगों में म्‍यूचुअल फंड्स को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहना है.

डीमैट अकाउंट खोलने में नहीं लगता अधिक समय
यह एक भ्रम बना हुआ है कि डीमैट अकाउंट खोलने में काफी समय लग जाता है. काफी सारा पेपरवर्क होता है, कई बार बैंक जाना पड सकता है. जबकि ऐसा नहीं है. इसमें यह सब करने की बिलकुल जरूरत नहीं होती है. डीमैट अकाउंट तब जरूरी होता है जब वास्‍तविक स्‍टॉक और शेयर्स खरीदे हों. म्‍यूचुअल फंड्स में केवाईसी और बैंक अधिकृत पत्र ही काफी होता है पोर्टफोलियो बनाने के लिए.

अधिक जोखिम नहीं होता Mutual Funds में
यह भी भ्रम फैला है कि म्‍यूचुअल फंड्स में काफी जोखिम होता है. मार्केट क्रैश होने पर हम अपना पैसा खो सकते हैं. जबकि ऐसा नहीं है और इस प्रक्रिया को थोड़ा समझना पडेगा. म्‍यूचुअल फंड्स का पैसा केवल इक्‍विटी मार्केट में ही नहीं लगता बल्कि डिबेंचर्स, बांड्स, सरकारी सिक्‍योरिटी, कमोडिटीज जैसे गोल्‍ड आदि में भी लगता है. यह निवेशक को विकल्‍प मुहैया कराता है अपना पोर्टफोलियो बनाकर 100 रुपये जैसी छोटी राशि निवेश करने का. दूसरा मार्केट गिरने पर इक्‍विटी बेस्‍ड म्‍यूचुअल फंड्स में जोखिम है. हालांकि यह म्‍यूचुअल फंड की स्‍कीम पर भी निर्भर करता है. इस स्थिति में फंड मैनेजर आपके पैसे को सुरक्षित करने के कदम उठाता है.

100 रुपये से करें निवेश
म्‍यूचुअल फंड्स को अवधारणा बनी हुई है कि इसमें निवेश करने के लिए बहुत सारे पैसों की आवश्‍यकता पड़ती है. जबकि ऐसा नहीं है. वास्तव में म्यूचुअल फंड्स ही एक ऐसा तरीका है, जहां आप सबसे कम लाभांश या इकाई में निवेश करते हैं 100 रुपये से. म्यूचुअल फंड्स स्कीम विभिन्न निवेशकों के संसाधनों को क्लब करती है और लाभ कमाने के लिए इक्विटी, डेट, मनी मार्केट या अन्य बाजारों को निवेश करती है.

जोखिम होता है, लेकिन कम
कड़वी सच्चाई यह भी है कि, किसी भी म्यूचुअल फंड्स में कुछ निश्चित जोखिम होता है, जो कि इस बात पर निर्भर करता है कि किसमें निवेश किया है. इसलिए म्यूचुअल फंड्स जो इक्विटी में निवेश करते हैं, उन फंडों की तुलना में अधिक जोखिम होता है जो डेट या सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं. इसलिए जरूरतों और जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार फंड्स में निवेश करना उचित है.

सभी फंड कर राहत के लिए योग्य नहीं हैं
सभी म्यूचुअल फंड्स निवेश आयकर कटौती के लिए अर्हता प्राप्त करते हैं, यह वित्तीय नियोजन के लिए एक बहुत ही खतरनाक मिथक है. कभी-कभी एक निवेशक केवल म्यूचुअल फंड्स में निवेश करता है, यह मानते हुए कि यह मूल कर राहत प्रदान करता है, हालांकि केवल इक्विटी-लिंक्ड बचत योजना, आयकर की धारा 80C के तहत 1.5 लाख प्रति वित्तीय वर्ष के हिसाब से राहत मिलती है. यह कर राहत आगे तीन साल के लॉक-इन पीरियड के साथ आती है, जहां निवेशक फंड की रकम को अलग नहीं कर सकते. इसलिए सभी फंड कर राहत के लिए योग्य नहीं हैं, और इस राहत का लाभ उठाने के लिए लॉक-इन चरण से गुजरना आवश्यक है.

सलाहकार से ले सकते हैं सहायता
केवल एक विशेषज्ञ एक म्यूचुअल फंड निवेशक हो सकता है, यह एक आधा सच है. किसी भी म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने से पहले कुछ शोध करना आवश्यक है, हालांकि इसके लिए आपको पीएचडी करने की आवश्यकता नहीं है. इंटरनेट, टेलीविज़न आदि माध्‍यमों से इसकी जानकारी जुटाई जा सकती है. साथ ही वित्तीय सलाहकार से भी सहायता ले सकते हैं.

जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर कई फंड उपलब्ध
म्यूचुअल फंड्स का लॉन्ग टर्म के बराबर होना भी मिथक है. जैसा कि पहले कहा गया था कि जो म्यूचुअल फंड कंपनियों के शेयरों में भारी निवेश करता है, उसे बढ़ने के लिए समय चाहिए. जबकि वो फंड जो ऋण या मुद्रा बाजार साधन में निवेश करता है, उसे विकसित होने के लिए अधिक समय की आवश्यकता नहीं होती है, हालांकि उनके रिटर्न कम होते हैं. इसलिए क्षमता और जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर कई फंड उपलब्ध हैं.

Disclaimer: लेखक मनी मंत्रा के फाउंडर हैं. कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.

Published - April 10, 2021, 12:36 IST