Mutual Funds: रेगुलर से डायरेक्ट फंड में स्विच करने से पहले जान लें ये बारीकियां

रेगुलर प्लान में AMC ब्रोकर या डिस्ट्रिब्यूट का कमीशन MF के खर्च में जोड़कर निवेशक से वसूलती है. कमीनशन न होने से Direct Plan सस्ते होते हैं

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निवेशक को निवेश करने से पहले हर एसेट क्लास से जुड़े रिस्क को समझ लेना जरूरी है

निवेशक को निवेश करने से पहले हर एसेट क्लास से जुड़े रिस्क को समझ लेना जरूरी है

Direct Plan: म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर भी खर्च लगता है. इसमें रेगुलर फंड में खर्च डायरेक्ट फंड के मुकाबले कम होता है. यही वजह है कि लोग रेगुलर से डायरेक्ट में स्विच करने का फैसला लेते हैं. मसलन एसबीआई फोक्स्ड इक्विटी फंड के रेगुलर प्लान पर एक्सपेंस रेश्यो 1.77 फीसदी है जबकि इसी फंड के डायरेक्ट प्लान का एक्सपेंस रेश्यो 0.78 फीसदी है. एक्सपेंस रेश्यो वो चार्ज है जो फंड हाउस आपसे मैनेजमेंट के लिए वसूलता है. एक्सपेंस रेश्यो जितना बड़ा होगा आपके फंड से पैसे निकालने पर रिटर्न से उतना हिस्सा ही बतौर चार्ज एसेट मैनेजमेंट कंपनी को चला जाएगा.

एक्सपेंस रेश्यो कम होने पर आपको रिटर्न का ज्यादा हिस्सा वापस मिलेगा मतलब कमाई का कम हिस्सा ही फंड हाउस को जाएगा. लेकिन रेगुलर फंड से डायरेक्ट फंड में स्विच करने से पहले आपको कुछ बारीकियां समझनी होंगी.

Direct Plan Vs Regular Plan: क्या है फर्क?

डायरेक्ट फंड सीधे फंड हाउस से खरीदे जाते हैं – एसेट मैनेजमेंट कंपनी की वेबसाइट से. वहीं रेगुलर फंड किसी ब्रोकर, डिस्ट्रिब्यूटर, एजेंट, एडवाइजर, इंटरमीडियरी से खरीदा जाता है. निवेशक और फंड हाउस के बीच एक एजेंट होने की वजह से एजेंट का भी चार्ज लगता है. फंड हाउस इन इंटरमीडियरी को फीस देता है और इसे म्यूचुअल फंड के खर्च में जोड़कर निवेशक से वसूलता है. निवेशक एक ही इंटरमीडियरी से कई फंड्स में निवेश करते हैं तो उन्हें ट्रैक और निवेश करने की सहूलियत होती है, यही वजह है कि वे ज्यादा चार्ज देकर भी रेगुलर फंड चुनते हैं. डायरेक्ट फंड के लिए सीधे AMC की वेबसाइट से निवेश करना होता है.

कैसे करें स्विच?

स्विच करने की प्रक्रिया ऑनलाइन भी पूरी की जा सकती है. आपको बस AMC या CAMS और KARVY जैसे एजेंसी के जरिए अपने म्यूचुअल फंड अकाउंट में लॉग-इन करना होगा. ट्रांजेक्शन पेज पर जाकर आप फंड से जुड़े बदलाव कर सकते हैं. इसमें स्विच का भी विकल्प दिया होगा जहां जाकर अपने फंड का नाम लिखना होगा जिसे आप स्विच करना चाहते हैं. नाम डालने पर डायरेक्ट प्लान (Direct Plan) विकल्प आएगा जिसे आपको चुनना होगा. इसके आगे की प्रक्रिया फॉर्म के मुताबिक पूरी करनी होगी जिसके बाद 4 कारोबारी दिन के अंदर ये बदलाव हो जाएगा. वहीं अगर आप ये पूरी प्रक्रिया ऑफलाइन करना चाहते हैं तो फंड हाउस के नजदीकी ब्रांच पर जाकर स्विच फॉर्म भरना होगा. फंड का नाम, फोलियो नंबर जैसी जानकारी देनी होगी जिसके बाद स्विच करने की प्रक्रिा शुरू होगी. ये प्रक्रिया आप अपने ब्रोकर, डिस्ट्रिब्यूटर के जरिए भी पूरी करवा सकते हैं.

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स्विच करने पर लगता है टैक्स?

Direct Plan: ध्यान रहे फंड स्विच करने पर इसे रिडेंप्शन माना जाता है. निवेशक की यूनिट्स का ट्रांसफर नहीं होता, बल्कि इसका रेगुलर से एक्जिट के बाद डायरेक्ट प्लान में दोबारा निवेश होता है. इसी रिडेंप्शन की वजह से इसपर टैक्स लगता है. इक्विटी से जुड़े निवेश विकल्पों में 1 साल से कम अवधि पर 15 फीसदी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. वहीं 1 साल से ज्यादा की अवधि पर अगर 1 लाख से ज्यादा मुनाफा हुआ है तो उसपर 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देनदारी होती है. वहीं डेट फंड होने पर किसी अन्य डेट विकल्प की ही तरह इसपर टैक्स लगता है. इसके अलावा सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स और एक्जिट लोड भी लग सकता है.
Published - April 6, 2021, 03:42 IST