म्यूचुअल फंड निवेश का पहला कदम है अपने लक्ष्य तय करना और जोखिम पहचानना. परिवार के छोटे-बड़े लक्ष्य – बच्चों की पढ़ाई, शादी, घर-गाड़ी का सपना. लेकिन अगर आपके ना रहने पर आपका परिवार ही इस निवेश का फायदा ना उठा पाए तो सारी प्लानिंग धरी की धरी रह जाएगी और आपके परिवार को अपने ही पैसे लेने के लिए मशक्कत और लंबी प्रक्रिया से गुजरना होगा. इसलिए जरूरी है नॉमिनेशन. हर संपत्ति की ही तरह म्यूचुअल फंड की यूनिट्स निवेशक की मृत्यु के बाद किसके हिस्से जाएंगी, यही है नॉमिनेशन. ये नॉमिनेशन (Nomination) आपको निवेश की शुरुआत करते वक्त ही कर देनी चाहिए. अब सभी नए फोलियो खुलने पर नॉमिनेशन अनिवार्य है, लेकिन जॉइंट होल्डिंग होने पर ये जरूरी नहीं है.
आप जब चाहें तब इस नॉमिनेशन में भविष्य में बदलाव भी कर सकते हैं.
आप अपने परिवार में पार्टनर, बच्चे, दोस्त या किसी भी विश्वसनीय को अपना नॉमिनी बना सकते हैं. नॉमिनी पहले से तय होने पर निवेशक की मृत्यु के बाद यूनिट का ट्रांसफर आसानी से हो पाता है. नॉमिनी तय ना होने पर क्लेम की प्रक्रिया लंबी हो सकती है – यूनिट ट्रांसफर के लिए वसीयत, नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जैसे कागजात दिखाने पड़ सकते हैं.
नॉमिनी को निवेशक की मृत्यु के बाद ही यूनिट अलॉट होते हैं. अगर जॉइंट होल्डिंग में निवेश था तो दोनों होल्डर्स की मृत्यु पर ही नॉमिनी को फंड ट्रांसफर होता है. अगर फंड में एक से ज्यादा नॉमिनी तय किए गए हैं तो सभी को निवेशक के तय किए अनुपात में ही फंड ट्रांसफर होते हैं. अगर निवेशक ने ये रेश्यो तय नहीं किया है तो सभी को बराबर यूनिट्स ट्रांसफर होते हैं.
अगर यूनिट-होल्डर यानि निवेशक की मृत्यु से पहले ही नॉमिनी की मृत्यु हो जाती है तो ये नॉमिनेशन अपने आप ही कैंसल हो जाता है. वहीं कई नॉमिनी होने पर अगर एक नॉमिनी की मृत्यु हो चुकी है तो उनका हिस्सा भी अन्य में ही बंट जाता है.
फंड ट्रांसफर के लिए नॉमिनी को ट्रांसफर रिक्वेस्ट फॉर्म (फॉर्म T3), मृतक का मृत्यु सर्टिफिकेट, PAN कार्ड की जानकारी, KYC फॉर्म, बैंक की जानकारी – जैसे पासबुक, कैंसल्ड चेक आदि. अगर नॉमिनी अभी 18 साल की उम्र तक नहीं पहुंचा तो उनके अभिभावक की PAN जानकारी देनी होगी. साथ ही नॉमिनी की उम्र साबित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र दिखाना होगा.
Nomination: 2 लाख रुपये तक के ट्रांसफर पर नॉमिनी के हस्ताक्षर को बैंक मैनेजर ही अटेस्ट कर सकता है लेकिन इससे ज्यादा की रकम होने पर नोटरी पब्लिक या मैजिस्ट्रेट से प्रमाणित कराना होगा.
ध्यान रहे कि जब आप किसी को नॉमिनी बना रहे हैं तो उन्हें जानकारी जरूर दें. जानकारी के अभाव में नॉमिनी क्लेम से चूक भी सकता है.
अगर निवेशक ने नॉमिनी तय नहीं किया है तो जो भी वारिस है उसे ये फंड ट्रांसफर किया जाता है. इसके लिए वसीयत के कागजात की जरूरत पड़ती है. अगर वसीयत नहीं लिखी गई तो सक्सेशन कानून के हिसाब से जो भी वारिस होगा वे ये निवेश अपने नाम पर ट्रांसफर करवा सकता है. ऐसी स्थिती में 2 लाख रुपये तक के ट्रांसफर पर वारिस को परिवार के अन्य लोगों से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना होगा और इन्डेम्निटी बॉन्ड जमा कराना होगा.
साथ ही अगर निवेशक ने अपनी संपत्ति के लिए किसी और को वारिस बनाया है तब नॉमिनी इस फंड का सिर्फ केयरटेकर हो सकता है. इस निवेश पर अधिकार वारिस का ही होगा.