म्यूचुअल फंड में कैसे पता करें ट्रैक रिकार्ड?

अगर कोई म्यूचुअल फंड स्कीम तय मानदंडों पर खरी उतरती है तो वह निवेश के लिए उपयोगी साबित हो सकती है.

म्यूचुअल फंड में कैसे पता करें ट्रैक रिकार्ड?

pic: tv9 gujrati

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मनीष ने अपने दोस्त की सलाह पर एक ऐसे म्यूचुअल फंड में निवेश कर दिया जो पिछले एक साल से बंपर रिटर्न दिखा रहा था. लेकिन बाजार में उथल-पुथल मची तो सारा रिटर्न छूमंतर हो गया. यह समस्या सिर्फ मनीष की ही नहीं है. इक्विटी और इससे जुड़ी योजनाओं में अधिकांश निवेशक भेड़चाल चलते हैं. इस घटना के बाद मनीष को सबक मिला कि निवेश के लिए म्यूचुअल अच्छा विकल्प तो है लेकिन फंड की स्कमी का ट्रैक रिकार्ड खंगालने के बाद ही उसमें निवेश करना चाहिए. अब सवाल यह है कि आखिर फंड का ट्रैक रिकार्ड कैसे पता करें?

निवेश सलाहकार जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं कि अगर आपके पास किसी फंड का ट्रैक रिकार्ड नहीं है तो आपको उसका फ्यूचर नहीं पता है. दरअसल किसी फंड का प्रदर्शन पता करने के लिए कुछ प्रमुख मानक होते हैं। अगर कोई स्कीम इस कसौटी पर खरी उतरती है उसमें निवेश करके अच्छे रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं.

आखिर क्या हैं मानक
सबसे पहले स्कीम के शार्प रेशियो यानी रिस्क एडजेस्टेड रिटर्न के बारे में पता करें. इससे यह पता चल जाता है कि यह स्कीम जितना जोखिम ले रही है उसके औसत में उसने कितना रिटर्न दिया है. अगर एक ही कैटेगरी की दो स्कीम हैं. इनमें से जिसका शार्प रेशियो कम होगा.
बानगी के तौर पर “ए” कंपनी का शार्प रेशियो 0.4 है और “बी” का 0.8 है तो इसका मतलब है कि “ए” की तुलना में “बी” कंपनी बेहतर रिटर्न दे रही है. यानी दोनों कंपनियां रिस्क तो बराबर ले रही हैं लेकिन इसका समायोजन करके “बी” कंपनी निवेशकों को ज्यादा रिटर्न दे रही है.

टर्नओवर रेशियो
इसके बाद पोर्टफोलियो टर्नओवर रेशियो (Turn Over Ratio) देखना चाहिए. इसके जरिए यह पता किया जाता है कि स्कीम में साल के दरम्यान फंड मैनेजर ने पोर्टफोलियो को कितनी बार Churn किया. यानी फंड को कितनी बार बेचा और खरीदा. इसका मतलब यह कतई नहीं है कि जिस स्कीम का पोर्टफोलियो ज्यादा Churn हुआ है वह कम रिटर्न देगा और जिसका कम हुआ है वह बेहतर प्रदर्शन करेगा. अगर कोई फंड मैनेजर जल्दी-जल्दी और छोटी-छोटी कॉल ले रहा है तो इससे पोर्टफोलियो का रिटर्न खराब हो सकता है.

रोलिंग रिटर्न
फंड का ट्रैक रिकार्ड परखने के लिए रोलिंग रिटर्न तीसरा प्रमुख मानदंड है. आजकल सभी विश्लेषक इसी का उपयोग करते हैं. अगर आप किसी फंड का पिछले पांच साल का रिकार्ड ट्रैक करते हैं तो रोलिंग रिटर्न के जरिए यह पता चलता है कि स्कीम ने महीने वार कैसे रिटर्न दिया है. अगर यह रिटर्न स्थायी है तो निवेश के लिए स्कीम बेहतर है. अगर किसी महीने में ऊंचा रिटर्न और किसी में बहुत कम है तो ऐसी स्कीम निवेश के लिए अच्छी नहीं मानी जातीं.

मनी9 की सलाह
अगर हम किसी फंड का पिछला रिकार्ड परख रहे हैं तो उसके आधार पर भविष्य का फैसला न करें. यह जरूरी नहीं है कि कोई फंड अब बंपर रिटर्न दे रहा है तो वह आगे भी जारी रहेगा. अगर इस बारे में आपको ज्यादा जानकारी नहीं है तो निवेश सलाहकार की सलाह लें.

Published - June 25, 2023, 08:28 IST