धीरज की एक साल की बिटिया है. नाम है आरिया. हाल में वे यह खबर देखकर काफी खुश हुए कि अब म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए बच्चों के नाम से अकाउंट खोलने के कठिन बैंक प्रोसिजर से नहीं गुजरना होगा. दरअसल निवेश प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए मार्केट रेगुलेटर SEBI ने निर्देश जारी किए हैं. जिसके तहत किसी बच्चे के पैरेंट्स या लीगल गार्जियन उसके नाम से चलने वाले म्यूचुअल फंड स्कीम में अपने बैंक खाते से निवेश कर सकते हैं.
धीरज ने मन बना लिया है वे अपनी बिटिया की हायर एजुकेशन और शादी के वक्त के खर्चों को पूरा करने के लिए दो-तीन म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश शुरू करेंगे. लेकिन सवाल उठता है कि क्या म्यूचुअल फंड्स में निवेश से धीरज इस तरह के लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे?
म्यूचुअल फंड जैसे उत्पादों में निवेश आसान है, लेकिन सबसे पहले यह बात ध्यान रखनी होगी कि बच्चों के लिए लक्ष्य या सपने कभी भी पूर्व निर्धारित नहीं हो सकते. आगे पढ़ाई और महंगी हो जाएगी, खासकर अगर आप बच्चे को किसी विदेशी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में भेजने का प्लान कर रहे हों. देश में भी शिक्षा की लागत लगातार बढ़ती जा रही है.
बच्चों के एजुकेशन की सही प्लानिंग के लिए आपको हर साल कम से कम एक बार अपने फाइनेंशियल प्लानिंग की समीक्षा करनी होगी, ताकि लक्ष्य के बेहद करीब पहुंच सकें. म्यूचुअल फंड के जरिए लक्ष्य हासिल करना है तो आपको अपने पोर्टफोलियो में कई तरह के एसेट शामिल कर उसे डायवर्सिफाई करना होगा. इससे बाजार में उतार-चढ़ाव का जोखिम कम होगा और यह सुनिश्चित हो सकेगा कि आपका पैसा कई जरियों से आगे बढ़े.
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि पैसिव म्यूचुअल फंड्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर आप लॉन्ग टर्म में ऐसे फायदे हासिल कर सकते हैं, जिनसे आपके बच्चे के भविष्य के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी.
बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए पैसा जुटाने का एक तरीका यह है कि किसी म्यूचुअल फंड में सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान यानी SIP के जरिए निवेश करें. इससे आपके अकाउंट से अपने आप एक पूर्व निर्धारित डेट में पैसा कट जाएगा और आपके फंड में निवेश होता रहेगा. यही नहीं, एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चे के लिए निवेश करना है तो जितनी जल्दी शुरू करें उतना ही अच्छा है. जितनी जल्दी आप निवेश शुरू करेंगे थोड़ी-थोड़ी रकम के जरिए उतना ही बड़ा कॉपर्स तैयार कर पाएंगे, क्योंकि आपको कम्पाउंडिंग का फायदा मिलेगा.
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि धीरज ने अपनी एक साल की बिटिया के लिए आज से ही हर महीने 5,000 रुपए की एक SIP शुरू की. अगर वह कम जोखिम वाले एक परंपरागत फंड में निवेश करते हैं तो उन्हें सालाना करीब 7 फीसदी का ही रिटर्न मिलेगा और 20 साल बाद उनके हाथ में आएंगे करीब 26,19,827 रुपए. लेकिन अगर वह किसी इक्विटी फंड में SIP के जरिए निवेश शुरू करते हैं जिसमें 12 फीसद का सालाना रिटर्न मिलता है तो वह 20 साल के बाद कुल 49,95,740/ रुपए का कॉर्पस तैयार कर लेंगे.
एक टेबल से समझते हैं कि ऐसा किस तरह से होता है और SIP से धीरज जैसे निवेशकों को बदलते रिटर्न के लिहाज से किस तरह से फायदा मिलता है…
निवेश के साल | |||||
रिटर्न | 1 | 10 | 15 | 18 | 20 |
एक साल में कुल निवेश राशि | ₹ 60,000 | ₹ 6,00,000 | ₹ 9,00,000 | ₹ 10,80,000 | ₹ 12,00,000 |
7% | ₹ 62,324 | ₹ 8,70,472 | ₹ 15,94,056 | ₹ 21,66,168 | ₹ 26,19,827 |
10% | ₹ 63,351 | ₹ 10,32,760 | ₹ 20,89,621 | ₹ 30,27,840 | ₹ 38,28,485 |
12% | ₹ 64,047 | ₹ 11,61,695 | ₹ 25,22,880 | ₹ 38,27,196 | ₹ 49,95,740 |
15% | ₹ 65,106 | ₹ 13,93,286 | ₹ 33,84,315 | ₹ 55,21,277 | ₹ 75,79,775 |
स्रोत: मनी9 रिसर्च
तो इस उदाहरण में हमने देखा कि रिटर्न के आधार पर किस तरह से धीरज का कॉर्पस 26 लाख से 76 लाख रुपए तक हो सकता है.
इनवेस्टोग्राफी की फाउंडर और सीएफपी श्वेता जैन कहती हैं कि जल्दी शुरू करने से बहुत फर्क पड़ता है, क्योंकि इससे आपके निवेश को कम्पाउंड करने के लिए ज्यादा समय मिल जाता है. देर से शुरू करने का मतलब कम रिटर्न है. अगर छोटी राशि भी लगाई जाए और निवेश बनाए रखें तो जल्दी शुरुआत मायने रखती है. कुछ अतिरिक्त साल से बड़ा फर्क पड़ता है. निवेश के लिए Uti nifty 50 ETF, DSP nifty equal weight index fund, Kotak emerging equity fund अच्छी स्कीम हैं. SIPs को अच्छी निवेश रणनीति मानी जाती है क्योंकि इनसे रिटर्न अच्छा मिलता है और यह सुविधाजनक रहते हैं. आप भी सही SIP निवेश के जरिए अपने भविष्य के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं.