आप ज्यादा जोखिम लेने से डरते हैं तो आपके लिए डेट म्यूचुअल फंड (Debt Fund) सही विकल्प हैं. अगर आइडिया पूंजी की सुरक्षा है और बहुत ज्यादा रिटर्न नहीं कमाना चाहते हैं तो डेट फंड (Debt Fund) सही विकल्प हैं. डेट फंड में अस्थिरता कम होती है.
हालांकि, इनमें रिटर्न कम होता है. डेट फंड (Debt Fund) कैटेगरी के भीतर भी अलग-अलग अस्थिरता और रिस्क प्रोफाइल वाले फंड होते हैं. विभिन्न डेट फंड्स में लिक्विड फंड, मनी मार्केट फंड, डायनेमिक बॉन्ड फंड, कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड, बैंकिंग & PSU फंड, गिल्ट फंड, क्रेडिट रिस्क फंड, फ्लोटर फंड, ओवरनाइट फंड, अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड वगैरह शामिल हैं.
एक्सपर्ट की राय
सर्टिफाइड फाईनेंशियल प्लानर विशाल शाह कहते हैं, “डेट फंड (Debt Fund) को पसंद करने के लिए आपको निवेश की अवधि को ध्यान में रखना चाहिए. डेट फंड पोर्टफोलियो में शॉर्ट-टर्म, मीडियम-टर्म और लॉन्ग-टर्म के विकल्प शामिल करें.” डेट फंड में आप 1 दिन से लेकर 7 साल तक की अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं.
उतार-चढ़ाव से बचने की स्ट्रैटेजी
यदि आप उतार-चढ़ाव के जोखिम से दूर रहना चाहते हैं तो सबसे उच्च रेटिंग वाले डेट फंड्स (Debt Fund) को पसंद करें. जब मार्केट में बहुत ही ज्यादा उतार-चढ़ाव हो तब निवेश वाले डेट फंड की एसेट क्वॉलिटी चेक करते रहें. इसलिए सिर्फ हाई-क्वॉलिटी के डेट साधनों में निवेश करने वाले डेट फंड को चुनना चाहिए.
AAA रेटिंग सबसे अच्छी रेटिंग कहलाती है और आपको कम से कम AA+ रेटिंग वाले बॉन्ड्स और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में निवेश करने वाले डेट फंड्स (Debt Fund) को ही पसंद करना चाहिए. शाह बताते हैं, “डेट फंड के पोर्टफोलियो में शामिल साधनों का रेटिंग और कंपनी की क्वॉलिटी ध्यान में रख कर ही डेट फंड पसंद करें.”
लॉग-टर्म स्ट्रैटेजी
लॉन्ग-टर्म के लिए PPF, VPF, सुकन्या समृद्धि और RBI सेविंग्स बॉन्ड जैसे सुरक्षित विकल्पों में आते हैं. सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (SCSS), प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (PMVVY) में निवेश कर सकते हैं. हालांकि, इन स्कीमों में लंबी लॉक-इन अवधि (5-15 साल) अवधि है. इसलिए निवेशकों को डेट वाले हिस्से को पांच साल दूर के लक्ष्यों में लगाना चाहिए.
शॉर्ट-टर्म स्ट्रैटेजी
निकट भविष्य में पैसों की जरूरत के लिए और इमर्जेंसी फंड के लिए बैंक सेविंग्स अकाउंट या FD या अल्ट्रा-शॉर्ट फंड, ओवरनाइट फंड और शॉर्ट से मीडियम-टर्म फंड में निवेश होना चाहिए. मार्केट में उतार-चढ़ाव ज्यादा हो तब शॉर्ट-टर्म इनवेस्टर्स को लिक्विड फंड्स पसंद करने चाहिए.
NAV से जुडी स्ट्रैटेजी
डेट फंड की NAV में गिरावट लॉन्ग-टर्म इनवेस्टमेंट के लिए मौका बन सकती है. जब डेट फंड (Debt Fund) NAV में गिरावट हो तब एकमुश्त निवेश करने से बेहतर है कि आप चरणबद्ध तरीके से निवेश करते रहें.
टारगेट-आधारित स्ट्रैटेजी
निवेशकों को लक्ष्य हासिल करने पर फोकस के साथ डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए. यदि शॉर्ट-टर्म का टार्गेट है तो शॉर्ट-टर्म फंड्स में ही निवेश करें और यदि लॉन्ग-टर्म का टार्गेट है तो लॉन्ग-टर्म फंड्स में निवेश करें.
एक्सपर्ट बताते हैं कि लॉन्ग टर्म डेट फंड (Debt Fund) मुख्य रूप से लंबी अवधि के सरकारी बॉन्ड्स में निवेश करते हैं, इसलिए जब बॉन्ड यील्ड बढ़ती है तो लॉन्ग-टर्म फंड्स पर ज्यादा असर पड़ता है, वहीं शॉर्ट-टर्म पर कम प्रभाव पड़ता है.
टैक्स बचाने की स्ट्रैटेजी
निवेशकों को टैक्स पर भी ध्यान देना चाहिए. FD और छोटी बचत स्कीमों के ब्याज पर मार्जिनल टैक्स रेट से टैक्स लगता है. वहीं, डेट म्यूचुअल फंडों (Debt Fund) के कैपिटल गेन्स पर इंडेक्सेशन बेनेफिट के बाद 20 फीसदी की दर से टैक्स है.