Zomato IPO: फूड डिलीवरी एग्रीगेटर Zomato ने शुक्रवार को लिस्टिंग के दिन बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैपिटलाइजेशन – market capitalisation- m-cap) में 1 लाख करोड़ रुपये का बड़ा आंकड़ा पार कर दिया है. मार्केट कैपिटलाइेजशन (market capitalisation- m-cap) के लिहाज से Zomato ने टाटा मोटर्स, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (BPCL), कोल इंडिया (CIL) को पछाड़ दिया है और अब ये देश की 43वीं सबसे ज्यादा वैल्यूएशन वाली कंपनी बन गई है.
1.03 लाख करोड़ के पार हुआ मार्केट कैप
बाजार में जोरदार शुरुआत करने के बाद सुबह करीब 10.05 बजे (IST) कंपनी का बाजार पूंजीकरण 1,03,870.18 करोड़ रुपये पर था. Zomato के शेयर 76 रुपये के इश्यू प्राइस (IPO प्राइस) से 81.58% ऊपर 138 रुपये पर कारोबार कर रहे थे.
Zomato का शेयर 116 रुपये पर लिस्ट हुआ है. जोमैटो (Zomato IPO) नई पीढ़ी के स्टार्टअप्स में पहला यूनिकॉर्न IPO है और इसे इन्वेस्टर्स की ओर से जबरदस्त रेस्पॉन्स मिला है.
एक नए युग की शुरुआत
इस इश्यू ने निवेशकों को भारत के उभरते स्टार्टअप (startup) ईकोसिस्टम में भाग लेने और नए जमाने की कंपनियों में निवेश करने का मौका दिया जो पारंपरिक व्यवसायों को चुनौती दे रही हैं और स्मार्टफोन की आसानी से खपत बढ़ा रही हैं.
फूड डिलीवरी कंपनी Zomato के 9,375 करोड़ रुपये के IPO के लिए निवेशकों ने 2.09 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है. एक दशक से अधिक वक्त में 5,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाने वाले बड़े आकार के IPO में इसे सबसे अधिक सब्सक्रिप्शन मिला है.
14-16 जुलाई के दौरान इस इश्यू को निवेशकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली और इसे 38.25 गुना सब्सक्रिप्शन हासिल हुआ है. क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए आरक्षित हिस्से को 51.79 गुना, गैर-संस्थागत निवेशकों को 32.96 गुना और खुदरा हिस्से को 7.45 गुना सब्सक्रिप्शन मिला है.
31 दिसंबर 2020 तक, Zomato के 23 देशों में 131,233 फूड डिलीवरी रेस्टोरेंट, 161,637 एक्टिव डिलीवरी पार्टरनर्स और 10.7 मिलियन ग्राहकों के औसत मासिक फूड ऑर्डर्स के साथ मजबूत कारोबार कायम किया है.
31 दिसंबर, 2020 को समाप्त 9 महीनों में, कंपनी ने वित्त वर्ष 18 में 487.04 करोड़ रुपये की तुलना में कुल 1,367.65 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल किया है.
यह एक कैश-बर्निंग कंपनी है क्योंकि इसने 31 दिसंबर, 2020 तक 682.2 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया, जबकि वित्त वर्ष 18 में 106.91 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.