IPO का ग्रे मार्केट प्रीमियम नहीं है ठोस पैरामीटर, फिर क्यों करते हैं इसे ट्रैक? यहां है पूरी पड़ताल

ग्रे मार्केट प्रीमियम में निवेश करते समय सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि यहां ट्रेडिंग या निवेश करना बहुत जोखिम भरा है.

  • Team Money9
  • Updated Date - October 23, 2021, 11:38 IST
Why GMP is Important in IPO, know everything here

Pixabay - ग्रे मार्केट को कानूनी अधिकारियों का समर्थन नहीं है, इसलिए जाहिर तौर पर इसमें ट्रेडिंग से दूर रहना चाहिए.

Pixabay - ग्रे मार्केट को कानूनी अधिकारियों का समर्थन नहीं है, इसलिए जाहिर तौर पर इसमें ट्रेडिंग से दूर रहना चाहिए.

IPO Grey Market Premium (GMP): 2021 में लगातार आ रहे IPO के साथ साथ ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) ने भी सुर्खियां बटोरी हैं. आखिर IPO के साथ GMP का क्या है नाता और क्यों हैं इसका इतना महत्व? बाजार से जुडे एक्सपर्ट इसे IPO के संभवित लिस्टिंग के संकेतक के रूप में देखते हैं, जबकि कुछ लोग इसे भ्रामक मानते हैं. यह जरूरी नहीं कि IPO की लिस्टिंग GMP के मुताबिक हो. कई बार GMP के सहारे निवेशकों को धोखा खाने की नौबत भी आ सकती है.

ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) क्या है?

किसी शेयर का इश्यू प्राइस 100 रुपये है और ग्रे मार्केट में उसका भाव 125 रुपये चल रहा है तो 25 रुपये को ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) कहा जाता है. अगर इश्यू भाव से अधिक भाव होगा तो उसे प्रीमियम कहते हैं और कम भाव है तो उसे डिस्काउंट कहते हैं.

ग्रे मार्केट और ग्रे मार्केट प्रीमियम से जुडी कुछ रोचक बातेंः

– IPO में बोली लगाने से पहले इनवेस्टर्स, एनालिस्ट्स और इनवेस्टमेंट बेंकर ग्रे मार्केट (Grey Market) को ट्रैक करते हैं और पता लगाने की कोशिश करते हैं कि लिस्टिंग के वक्त फायदा होगा या नुकसान.
– अधिकांश IPO GMP ट्रेडिंग केवल मुख्यधारा के IPOमें होती है.
– ग्रे मार्केट के आधिकारिक ना होने के बावजूद इसकी अहमियत है, क्योंकि ग्रे मार्केट में जिस भाव पर ट्रेडिंग होती है उसके आसपास ही शेयरों की लिस्टिंग होती है, यानि शेयर का लिस्टिंग भाव जानने में ग्रे मार्केट का सक्सेस रेशियो काफी ज्यादा है.
– यदि IPO खुलने से पहले कोई ऑर्डर बंद नहीं किया जाता है, तो शेयर लिस्टिंग प्राइस पर बंद हो जाते हैं (बाद में इसे सेटलमेंट प्राइस के रूप में संदर्भित किया जाता है).
– GMP ट्रेडिंग में कोई ब्रोकरेज शामिल नहीं है और सभी ऑर्डर मुख्य मूल्य पर रखे जाते हैं.
– GMP या यहां तक कि, ग्रे मार्केट किसी भी भारतीय शेयर बाजार या वित्तीय निकाय द्वारा विनियमित नहीं है.
– वास्तव में, यह हर तरह से अनौपचारिक है. चूंकि, यह एक अनौपचारिक बाजार है, इसलिए यह सभी प्रकार के जोड़तोड़ के लिए जाना जाता है.
– ग्रे मार्केट प्रीमियम में निवेश करते समय सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि यहां ट्रेडिंग या निवेश करना बहुत जोखिम भरा है.
– किसी भी कंपनी का ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) उसकी डिमांड पर तय होता है.
– GMP से काफी हद तक अंदाजा लगा सकते हैं कि शेयरों की लिस्टिंग कितने भाव में होगी.
– इनवेस्टर्स पहले से ही लिस्टिंग दिन के लिए स्ट्रैटेजी बना सकते हैं.

GMP का गणित

GMP कैलकुलेट करने का कोई ठोस फॉर्मूला नहीं है. इसका आधार कई कारकों पर निर्भर है. मसलन, जो कंपनी IPO ला रही है उसके जैसी दूसरी लिस्टेड कंपनियों की वैल्यूएशन, IPO के लिए कितने इनवेस्टर्स ने सब्सक्रिप्शन (डिमांड) किया है आदि फैक्टर इनमें शामिल हैं.
IPO एप्लिकेशन के लिए HNI कॉस्टिंग कितनी है वो भी अहम कारक है क्योंकि HNI कैटेगरी में होने वाली अधिकतम एप्लिकेशन मुख्यरूप से उधार लिए गए फंड्स द्वारा होती है. इसलिए, उधार ली गई रकम के लिए प्रति शेयर इंटरेस्ट कॉस्ट कितनी है उसे ग्रे मार्केट प्रीमियम से जोड़ा जाता है.

GMP ठोस पैरामीटर नहीं

ग्रे मार्केट को कानूनी अधिकारियों का समर्थन नहीं है, इसलिए जाहिर तौर पर इसमें ट्रेडिंग से दूर रहना चाहिए. किसी भी अन्य संकेतक की तरह, GMP भी फुल-प्रूफ नहीं हैं, किसी को भी GMP अनुमानों के सीमित आवेदन के साथ-साथ रिस्क-रिवॉर्ड, फंडामेंटल्स, कंपनी की गुणवत्ता, अपेक्षित निवेश होल्डिंग अवधि आदि को ध्यान में रखना चाहिए.

Published - October 23, 2021, 11:38 IST