Grey Market: एक के बाद एक IPO (Initial Public Offering) आ रहे है जिसकी वजह से शेयर बाजार में चहलपहल बढ़ गई है और ग्रे मार्केट (Grey Market) भी सुर्खिया बटोर रहा है. IPO में बोली लगाने से पहले इनवेस्टर्स, एनालिस्ट्स और इनवेस्टमेंट बेंकर ग्रे मार्केट (Grey Market) को ट्रैक करते हैं और पता लगाने की कोशिश करते हैं कि लिस्टिंग के वक्त फायदा होगा या नुकसान.
ग्रे मार्केट क्यों है अह?
ग्रे मार्केट (Grey Market) के आधिकारिक ना होने के बावजूद इसकी अहमियत है, क्योंकि ग्रे मार्केट (Grey Market) में जिस भाव पर ट्रेडिंग होती है उसके आसपास ही शेयरों की लिस्टिंग होती है, यानि शेयर का लिस्टिंग भाव जानने में ग्रे मार्केट (Grey Market) का सक्सेस रेशियो काफी ज्यादा है.
ऐसा Unlistedarena.com के फाउंडर अभय दोशी बताते हैं, “वित्त वर्ष 2020-21 में आए 31 IPO में से केवल 7 IPO (ग्लैंड फार्मा, ईजीट्रिप प्लानर्स, CAMS, अनुपम रसायन, बारबेक्यू नेशन, लक्ष्मी ऑर्गेनिक्स) की लिस्टिंग ग्रे मार्केट के भाव के मुताबिक नहीं हुई थी.”
ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) क्या है?
किसी शेयर का इश्यू प्राइस 100 रुपये है और ग्रे मार्केट में उसका भाव 125 रुपये चल रहा है तो 25 रुपये को ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) कहा जाता है. अगर इश्यू भाव से अधिक भाव होगा तो उसे प्रीमियम कहते हैं और कम भाव है तो उसे डिस्काउंट कहते हैं.
24 जून को श्याम मैटेलिक्स के शेयर 25% प्रीमियम पर लिस्ट हुए थे, वहीं ग्रे मार्केट (Grey Market) में उनका प्रीमियम 30% के आसपास चल रहा था. 28 जून को लिस्ट होने वाले डोडला डेयरी और कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (KIMS) के ग्रे मार्केट (Grey Market) भाव 20% से ज्यादा प्रीमियम दिखा रहे हैं.
डोडला का ऑफर भाव 428 रुपये है और GMP 75-90 रुपये के करीब है, यानि इसका लिस्टिंग 518 रुपेय के आसपास होने की उम्मीद है. KIMS के शेयर का GMP 50-60 रुपये के आसपास है.
ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) का कैलकुलेशन
ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) कैलकुलेट करने का कोई ठोस फॉर्मूला नहीं है. इसका आधार कई कारकों पर निर्भर है. मसलन, जो कंपनी IPO ला रही है उसके जैसी दूसरी लिस्टेड कंपनियों की वैल्यूएशन, IPO के लिए कितने इनवेस्टर्स ने सब्सक्रिप्शन किया है, जैसे फैक्टर इनमें शामिल हैं.
IPO एप्लिकेशन के लिए HNI कॉस्टिंग कितनी है वो भी अहम कारक है क्योंकि HNI कैटेगरी में होने वाली अधिकतम एप्लिकेशन मुख्यरूप से उधार लिए गए फंड्स द्वारा होती है. इसलिए, उधार ली गई रकम के लिए प्रति शेयर इंटरेस्ट कॉस्ट कितनी है उसे ग्रे मार्केट प्रीमियम से जोड़ा जाता है.
IPO से पहले GMP को ट्रैक करने का तर्क
कंपनी के शेयर की लिस्टिंग कितने भाव में होगी उसके साथ GMP का गहरा संबंध है, क्योंकि GMP से काफी हद तक अंदाजा लगा सकते हैं कि शेयरों की लिस्टिंग कितने भाव में हो सकती है.
इनवेस्टर्स पहले से ही लिस्टिंग दिन के लिए स्ट्रैटेजी बना सकते हैं. अभय मानते हैं कि IPO के लिए आवेदन करने में ग्रे मार्केट मददगार हो सकता है, लेकिन केवल इसे आधार नहीं बनाना चाहिए. कंपनी के फंडामेंटल्स ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. लिस्टिंग के दिन दूसरे कई कारक भी भूमिका निभाते हैं. IPO में आवेदन देने से पहले बाजार में सेंटिमेंट कैसे हैं और आगे कौन से बड़े इवेंट हैं जो बाजार की चाल को प्रभावित कर सकते हैं, इस पर गौर करना जरूरी है.
अलॉटमेंट से पड़ता है असर
IPO में HNI को कितना अलॉटमेंट दिया गया है उससे भी ग्रे मार्केट (Grey Market) भाव पर असर पड़ता है. जैसे सोना कॉमस्टार में HNI का सब्सक्रिप्शन बहुत ही कम था इसलिए लिस्टिंग के दिन इस काउंटर में सेलिंग प्रेशर कम था, जिस वजह से उसकी लिस्टिंग कम प्रीमियम पर हुई. IPO का साइज छोटा हो तो HNI और दूसरे खिलाड़ी ग्रे मार्केट (Grey Market) में ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं.
क्या ग्रे मार्केट प्रीमियम में हेरफेर करना संभव है?
छोटे IPO का मैनेजमेंट जब गैर-प्रतिष्ठित अंडरराइटर्स के पास होता है तब अधिकतम हेरफेर होने की संभावना है. हालांकि, इस हेरफेर का प्रत्यक्ष प्रमाण मिलना संभव नहीं है. ग्रे मार्केट में प्राइस पर HNI प्रभाव डाल सकते हैं. वे मार्केट से पैसा उधार लेकर IPO में निवेश करते हैं और प्राइस में स्पेकुलेशन करके लिस्टिंग के दिन मुनाफा कमाकर निकल जाते हैं, लेकिन सभी IPO में ऐसा मुमकिन नहीं है.
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