Covered Call Strategy: आप एक स्टॉक में लॉन्ग पोजिशन रखने के साथ ही, प्रीमियम के माध्यम से आय उत्पन्न करने के लिए उसी स्टॉक पर कॉल आप्शन को बेचते हैं, जिसे दलाल स्ट्रीट में कवर्ड कॉल रणनीति कहते है. इसे कॉल ऑप्शन की राइटिंग करना भी कहते हैं. इसमें आप किसी पोजिशन को दूसरी पोजिशन से कवर करते है और जोखिम के सामने सुरक्षा का कवच बनाते है. डेरिवेटिव्स एक्सपर्ट के मुताबिक, स्थिर आय प्राप्त करने के लिए इस रणनीति का लाभ ले सकते है, लेकिन आप जिस स्टॉक की पोजिशन लेना चाहते हैं उसके लॉट साइज जितना पैसा आपके डीमैट खाते मे होना जरूरी है.
“ऑप्शंस ट्रेडिंग में कई स्ट्रैटेजी हैं, जिनका उपयोग करके निवेशक अच्छा पैसा कमा सकते है. कवर्ड कॉल रणनीति आपको ऐसा मौका देती है, लेकिन उसके लिए आपके पास मार्केट का नॉलेज होना जरूरी है. आपको इस रणनीति में आगे बढ़ने से पहले सुनिश्चित कर लेना चाहिए की आप जिस पोजिशन के लिए पैसा लगा रहे है वह कितनी सफल हो सकती है. आपको रिस्क-केपसिटी के आधार पर ही आगे बढना चाहिए,” ऐसा SEBI-रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एड्वाइजर धर्मेश कुमार भट्ट ने money9.com को बताया.
कवर्ड कोल रणनीति में क्या करना होता हैः निवेशक उसके पास जो स्टोक है उसके कॉल ऑप्शन को बेचता है. कॉल ऑप्शन को बेचकर, निवेशक अनिवार्य रूप से उस एसेट की कीमत को लॉक कर देता है, जिससे वह शॉर्ट-टर्म प्रॉफिट का लाभ ले सकता है. इसके अलावा, निवेशक को स्टॉक की कीमतों में भविष्य में किसी भी गिरावट से थोड़ी सुरक्षा भी मिलती है. कवर्ड कॉल रणनीति उस समय अच्छी तरह से काम करती है, जब निवेशक बुलिश होता है. वह जानता है कि सिर्फ स्टॉक या अंडरलेइंग एसेट की होल्डिंग करने पर ही वह अच्छा मुनाफा नहीं कमाया जा सकता. इसलिए, वह ऊंचे स्ट्राइक प्राइज पर, स्टॉक पर कॉल आप्शन बेचता है, और उस स्ट्राइक प्राइस तक प्रीमियम प्राप्त करता है.
ये रणनीति काम कैसे करती हैः “कवर्ड कॉल राइटिंग से रिटेल निवेशक पैसा बना सकते है. इसमें आपको F&O लॉट साइज जितनी डिलीवरी खरीदनी होती है. मान लीजिए, आपके पास XYZ कंपनी का 3,200 का लॉट 210 रूपये के भाव में पड़ा है. इसमें 2 रुपये के प्रीमियम में 215 की स्ट्राइक का कॉल ऑप्शन सेल कर सकते हैं. शेयर का भाव चाहे किसी दिशा में जाए, आपको एक महीने के बाद 6,400 रुपये (2.00 x 3200) मिलना सुनिश्चित है,“ ऐसा डेरिवेटिव्स एक्सपर्ट और Equitymath के फाउंडर शशांक महेता बताते हैं.
इंडेक्स में एक्सपायरी दिन की अस्थिरता की उम्मीद के साथ ट्रेडर्स हर गुरुवार को कोल और पुट ओप्शन खरीदते है. पिछले 12 महीनों में भारतीय बाजारों ने जितनी वोलेटिलिटी देखी है, उतनी शायद ही कभी देखी होगी, इसलिए गुरुवार को, खासकर बैंक निफ्टी में, एक्स्पायरी आधारित ट्रेड करने का यह आइडिया काफी लोकप्रिय हो गया है, ऐसा महेता बताते है.
फायदा और नुकसानः यह रणनीति निवेशक को सीमित मुनाफा प्रदान करती है, हालांकि, नुकसान असीमित हो सकता है. आपने जिस भाव की उम्मीद के साथ स्ट्राइक को चुना होगा, यदि भाव उससे उपर जाता है तब केवल प्रीमियम और फिक्स्ड किए गए भाव तक का मुनाफा होगा. इस रणनीति में आपको अपने स्टॉक की खरीद और कॉल ऑप्शन कोन्ट्राक्ट की बिक्री के लिए समय नहीं देना पड़ता है. स्टॉक खरीदने के बाद आप कभी भी उसके कॉल ऑप्शन को बेच सकते हैं.
सावधानी रखेः इसमें शामिल जोखिम की मात्रा के कारण ओप्शन रणनीतियों के दौरान हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए. SEBI-रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एड्वाइजर और NISM-रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट हिमांशु शाह के मुताबिक, रिटेल इंवेस्टर को ओप्शन बाय करके ही ट्रेडिंग करना चाहिए. महीने की शुरुआती दो हफ्तो में सक्रिय रहे और पोजिशन बनाएं, लेकिन एक्स्पायरी के नजदीकी दिनों में दूर रहना चाहिए.
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