वित्त वर्ष 2022 की दूसरी छमाही में कई नए IPO आने की तौयारी में हैं. इस बीच सेबी ने पब्लिक इश्यू के लिए न्यूनतम प्राइस बैंड (minimum price band) को पांच प्रतिशत रखे जाने का प्रस्ताव पेश किया है. मार्केट रेगुलेटर ने हाल में इश्यू किए गए IPO में पाया कि कंपनियां बेहद सीमित प्राइस बैंड निवेशकों को दे रही हैं.
सेबी का कहना है कि सीमित प्राइस बैंड के जरिए कंपनियां फिक्स्ड प्राइस इश्यू को बुक बिल्ट इश्यू के तौर पर पेश करती हैं. ऐसे कर के वे फिक्स्ड प्राइस वाले तरीके से जुड़े नियम और शर्तों से बच निकलती हैं. खास तौर पर एलोकेशन की प्रक्रिया में वे अपनी मनमानी कर पाती हैं.
निवेशकों की राय पाने के लिए सेबी ने प्रस्ताव पर उनकी प्रतिक्रियाएं मंगवाई हैं. कमेंट 20 अक्टूबर, 2021 तक जमा किए जा सकते हैं.
प्राइमरी मार्केट एडवाइजरी (PMAC) ने चिंता जताई थी कि बुक बिल्ट इश्यू के चलते निवेशकों को उचित और पारदर्शिता के साथ पेश किए जाने वाले प्राइस बैंड के लक्ष्य से हम भटक चुके हैं. उसका मानना है कि बाजार में समय के साथ हुए बदलावों के चलते ऐसा हुआ है.
PMAC का सुझाव है कि बुक बिल्ट प्रोसेस के जरिए पेश किए जाने वाले सभी पब्लिक इश्यू के लिए पांच प्रतिशत का मिनिमम प्राइस बैंड तय किया जा सकता है. इससे अपर प्राइस भी फ्लोर प्राइस से कम से कम पांच प्रतिशत अधिक पर रखी जाएगी.
सेबी ने भी राय मांगी है कि मिनिमम प्राइस बैंड तय किए जाने की जरूरत है भी या नहीं, और अगर है तो उसे क्या होना चाहिए.
इश्यू और कैपिटल एंड डिसक्लोजर रिक्वायरमेंट्स के नियमों के मुताबिक, IPO दो तरीकों से पेश किया जा सकता है – बुक बिल्डिंग या फिक्स्ड प्राइस मेथड. बुक बिल्डिंग में IPO पेश करने वाली फर्म को ऐसा प्राइस बैंड रखना होता है, जिसमें फ्लोर प्राइस से अपर लिमिट कम से कम 20 प्रतिशत ज्यादा हो.
सेबी ने इसपर भी चिंता जताई है कि गैर संस्थागत निवेशकों (non-institutional investors – NII) के बीच बराबरी से एलॉटमेंट किए जाने की मौजूदा प्रक्रिया में चुनिंदा NII की तरफ से अधिकांश हिस्सों के लिए अप्लाई करने का जोखिम होता है. इससे अन्य NII बचे हुए एलॉटमेंट में हिस्सेदारी बांट रहे होते हैं.
रेगुलेटर ने जनवरी 2018 से अप्रैल 2021 के बीच ओवरसब्सक्राइब हुए IPO में पाया कि 29 इश्यू ऐसे रहे, जहां NII श्रेणी के करीब 60 प्रतिशत एप्लिकेंट्स को एलॉटमेंट नहीं मिल पाया. सेबी का कहना है, ‘यह उम्मीद की जाती है कि किसी भी पब्लिक ऑफर में अधिक से अधिक डायवर्स ऑफरिंग होनी चाहिए. रिटेल निवेशकों और NII को बराबर मौका मिलना चाहिए.’
छोटे NII के हाथ मौका नहीं लग पाने के कारण कमेटी ने इस श्रेणी के निवेशकों को दो हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव भी रखा है. पहली कैटेगरी में NII के लिए तय एलोकेशन के एक-तिहाई हिस्से को दो लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक के लिए अप्लाई करने का मौका मिलना चाहिए. बचे हुए दो-तिहाई को दूसरी कैटेगरी के तहत 10 लाख रुपये से अधिक के लिए अप्लाई करने की अनुमति होनी चाहिए.