एक महत्वपूर्ण कदम में, कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी ने अब सिल्वर ETF को पेश करने के लिए म्यूचुअल फंड नियमों में संशोधन को मंजूरी दे दी है. कमोडिटी मार्केट के सहभागियों द्वारा लंबे समय से इसकी मांग की जा रही थी. यह कदम ऐसे समय में आया है जब शेयर मार्केट में रिटेल निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ रही है. एक्सपर्ट्स सेबी के फैसले का स्वागत कर रहे हैं क्योंकि यह निवेशकों के लिए एक और कमोडिटी लाएगा.
वर्तमान में, म्यूचुअल फंड को एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) लॉन्च करने की अनुमति है.
भारत में म्यूचुअल फंड हाउसों को ETF के लिए फिजिकल सिल्वर बार खरीदने होंगे. हालांकि सिल्वर और गोल्ड पैरेलल (समानांतर) में काम करते हैं, सिल्वर का अपना मार्केट डायनेमिक है. इसलिए, रिटेल निवेशकों के लिए भी फाइनेंशियल मार्केट में सिल्वर एक बड़ी सफलता हो सकती है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे निवेशकों के लिए सिक्योरिटी मार्केट और गहरा होगा क्योंकि भारतीय निवेशक निवेश के तौर पर गोल्ड और सिल्वर खरीदना पसंद करते हैं और उन्हें सुरक्षित निवेश मानते हैं.
सिल्वर ETF की शुरुआत निवेशकों के लिए एक और कमोडिटी लाई है. सिल्वर ETF, गोल्ड ETF की तरह ही दुनियाभर में लोकप्रिय हैं. निवेशकों को निवेश और एलोकेशन समझदारी से करने चाहिए. किसी भी अन्य कमोडिटी की तरह चांदी की कीमतें अस्थिर हो सकती हैं.
यह गेम चेंजर हो सकता है क्योंकि यह निवेशकों के लिए सिक्योरिटीज मार्केट को और बड़ा करेगा. भारतीय गोल्ड और सिल्वर में निवेश करना पसंद करते हैं. सिल्वर ETF उन्हें चांदी खरीदने का सहज तरीका देगा. सिल्वर ETF खरीदने पर उन्हें फिजिकली सिल्वर खरीदने पर उसकी शुद्धता या चोरी हो जाने का जो डर होता है, वह नहीं होगा. अंडरलाइंग एसेट को प्रोफेशनल वॉल्ट मैनेजर्स द्वारा मैनेज किया जाएगा.
निवेशकों के लिए गोल्ड के बाद सिल्वर एक कीमती मेटल रहा है. गोल्ड की तुलना में सस्ता होने और खास तौर से इंडस्ट्रियल मार्केट में डिमांड के कारण, सिल्वर ने दशकों से अपनी मांग को बनाए रखा है. सिल्वर दुनियाभर में निवेशक के पोर्टफोलियो का खास हिस्सा रहा है.
भारत में, निवेशक कई तरीकों से सिल्वर में निवेश करते हैं, जैसे कि पारंपरिक तौर से सिल्वर बार, सिल्वर कॉइन और सिल्वर ज्वेलरी और अगर वो फिजिकल सिल्वर नहीं लेना चाहते चाहते हैं, तो वे सिल्वर को पेपर फॉर्म जैसे सिल्वर फ्यूचर, NSEL, आदि के जरिए इसमें निवेश करते हैं.