Return: मार्च 2020 में निचले स्तर पर पहुंचा बाजार अब उबर चुका है और शानदार रिटर्न दे रहा है. बीते 18 महीने में बीएसई (BSE) सेंसेक्स 25,981 से बढ़कर सितंबर में 60,000 पर पहुंच गया है. इसका मतलब है कि बीएसई ने सीधे तौर पर 134 फीसदी की बढ़त हासिल की है. हालांकि मार्केट में हाल ही में आई गिरावट के कारण कई निवेशक इस बात पर पछता रहे हैं कि जब मार्केट अपने उच्च स्तर पर था तब उन्होंने अपने निवेश को रिडीम क्यों नहीं किया. बाजार के उच्च स्तर को भांपते हुए कई निवेशकों ने उस वक्त निवेश को रिडीम किया और शानदार रिटर्न भी हासिल किए. लाइव मिंट के अनुसार अगर वे तब भी थोड़ा और रूकते तो और भी ज्यादा रिटर्न हासिल कर सकते थे.
कैसे हासिल होते ज्यादा रिटर्न?
लाइव मिंट के अनुसार इस हाई में दो सबसे बड़े गेनर थे क्वांट स्मॉल कैप फंड और कोटक स्मॉल कैप फंड. 27 मार्च 2020 को सेंसेक्स 25 हजार 981 तक गया था.
उस वक्त क्वांट स्मॉल कैप और कोटक स्मॉल कैप फंड के लिए NAV (net asset value) क्रमशः 30.15 और 50.07 रुपये थे.
इसके बाद 9 अक्टूबर को सेंसेक्स ने 40,509 के आंकड़े को छुआ. तब क्वांट कैप के लिए NAV 62.05 और कोटक स्मॉल कैप फंड के लिए 88.23 था.
इस हिसाब से 27 मार्च 2020 को हर फंड पर एक लाख रुपये निवेश करने वाले निवेशक को 2.05 लाख और 1 लाख 76 हजार का रिटर्न मिला होगा.
इसी तरह 5 फरवरी 2021 को सेंसेक्स 50,731 पर पहुंचा, उस वक्त क्वांट स्मॉल कैप का NAV 76 रुपये 35 पैसे और कोटक स्मॉल कैप फंड का NAV 119 रुपये और 82 पैसे पर था.
इसमें निवेश क्रमशः 2.53 लाख इसके बाद 24 सितंबर 2021 को सेंसेक्स जैसे ही 60,048 तक पहुंच गया, प्रत्येक निवेश का फंड बढ़कर क्रमशः 4.38 लाख और 3.55 लाख हो गया, जिसमें क्वांट स्मॉल कैप का NAV 132.26 और कोटक स्मॉल कैप फंड का NAV 177.94 रुपये तक पहुंच गया.
कितना हो सकता है नुकसान?
अब समझिए निवेशक को कब और कितना नुकसान उठाना पड़ता. अगर सेंसेक्स चालीस हजार तक पहुंचने पर निवेशक ने निवेश को भुनाया होता तो उसे क्वांट स्मॉल कैप के निवेश पर 2.33 लाख और कोटक स्मॉल कैप फंड के निवेश पर 1.79 लाख रुपये का नुकसान होता ( ये तुलना उस समय की है जब सितंबर 2021 में सेंसेक्स 60,048 तक पहुंचा था).
इसी तरह निवेशक को इन दो में ही क्रमशः 1.85 लाख और 1.16 लाख रुपये का नुकसान हुआ होगा, अगर उसने सेंसेक्स के 50 हजार तक पहुंचने पर ही रिटर्न ले लिया होगा. (सितंबर 2021 को कॉर्पस की तुलना में).
DSP म्यूचुअल फंड के एमडी और सीईओ कल्पेन पारेख के मुताबिक आज से दस बाद का अनुमान आज ही लगाएं तो अपने भविष्य के मुकाबले मार्केट बमुश्किल ही अपने शीर्ष पर नजर आता है.
हम भविष्य के मार्केट स्तर के लिए ही इंवेस्ट करते हैं. मार्केट का स्वभाव ही थोड़ी बहुत गिरावट के साथ ऊपर उठने का है (खासतौर से इंडिया जैसे विकासशील देश में)
सेबी के रजिस्टर्ड इंवेस्टर और merrymind.in के को फाउंडर अरिजीत सेन का कहना है कि जब कोई निवेशक निवेश को भुनाने की सोच रहा है, तो उसे खुद से कुछ सवाल पूछने चाहिए.
सबसे पहला ये सवाल कि उसे इसे बेचने की आवश्यकता क्यों है? और फिर, इसे बेचने के बाद, वह इसके साथ क्या करना चाहता है? वह पैसा कहां लगाना चाहता है? बाजार की गतिविधियों को ठीक से सोचे समझे बगैर अगर निवेशक बेतरतीब तरीके से रिटर्न को रिडीम कर रहा है तो वह अपना नुकसान ही कर रहा है.
निवेश भुनाने का सही समय कब?
जब लक्ष्य करीब हो
निवेश करने से पहले उसका उद्देश्य तय करें. उसके आधार पर आसानी से अंदाजा लगा सकेंगे कि आपको कब कितने रुपयों की जरूरत होगी.
मसलन आप 15 साल के लिए निवेश करना चाहते हैं तो 10वें या 11वें साल में अपनी रणनीति पर विचार करें और उसे बदलने के बारे में सोच सकते हैं. इस बीच बाजार में अल्पावधि के लिए आए बदलावों से परेशान नहीं होना चाहिए.
जब वित्तीय लक्ष्य बदलना हो
हमेशा अपने वित्तीय लक्ष्य को तय करने के बाद ही निवेश करें. उसे बार बार बदलना सही तरीका नहीं है. जब भी लक्ष्य बदलें तो ये याद रखें कि निवेश की रणनीति में बदलाव करना भी जरूरी है. जिसकी वजह से निवेश में कुछ रिटर्न लेने की आवश्यकता बन सकती है.
जब बाजार में उछाल आता है तब अक्सर निवेशक एसेट एलोकेशन भूल जाते हैं. इस गलती के बाद वे रेनडम इंवेस्टमेंट कर बाजार में अपनी किस्मत आजमाने लगते हैं. सेन के मुताबिक यही कोशिश उस वक्त नुकसानदायी साबित होती है जब बाजार का रुख बदलता है.