वित्त वर्ष 2021 में जब संस्थागत निवेशकों ने ट्रेडिंग में अपनी भागीदारी घटाई है. तब रिटेल निवेशकों (Retain Investors) ने एग्रेसिव रुख अपनाया है और कोरोना महामारी की अनिश्चितता के बीच बाजार में उनकी भागीदारी बढ़कर 45 फीसदी हो गई है. मतलब ये कि अगर स्टॉक एक्सचेंज पर रोजाना का औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम 70 हजार करोड़ रुपये है तो उसका लगभग आधा आम निवेशकों के ट्रेड हैं.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर उपलब्ध डाटा दिखाता है कि सीधे शेयरों में निवेश करने वाले रिटेल निवेशकों की भागीदारी पिछले 6 साल में अच्छी वृद्धि हुई है. इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स का मार्केट शेयर वित्त वर्ष 2021 में 12 फीसदी उछलकर 45 फीसदी पर पहुंच गया है. इसके सापेक्ष में वित्त वर्ष 2016 में 33 फीसदी की हिस्सेदारी थी. ये डाटा दिखलाता है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों का शेयर घटा है.
वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2020 के बीच कुल टर्नओवर के लिहाज से घरेलू संस्थागत निवेशकों का मार्केट शेयर स्थिर था लेकिन इस वित्त वर्ष में ये 7 फीसदी घटा है. कॉरपोरेट्स की हिस्सेदारी भी इस दौरान आधी हो गई है – 10 फीसदी से घटकर 5 फीसदी तक.
औरम कैपिटल के को-फाउंडर नितेन एस धर्मावत का कहना है, “बाकी एसेट क्लास में तुलनात्मक तौर पर खराब रिटर्न और बैंक डिपॉजिट पर घटती ब्याज दरों की वजह से ये तेजी आई है. कई निवेशक पहली बार पैसा लगा रहे हैं. इन सब के साथ ही टेक्नोलॉजी के विस्तार से लोगों को महामारी के समय घर बैठे मार्केट का ऐक्सेस मिल रहा है.”
वित्त वर्ष 2021 में इंडिविजुअल निवेशकों के मार्केट शेयर में बढ़त इस वजह से भी है कि साल 2020-21 में नए निवेशकों के रजिस्ट्रेश में वृद्धि हुई है.
इक्विनॉमिक्स रिसर्च एंड एडवाइजरी के फाउंडर जी चोकलिंगम् के मुताबिक, “पहली बात ये कि मार्च 2020 में आई बड़ी गिरावट से सस्ते वैल्यूएशन पर आए शेयरों ने निवेशकों को आकर्षित किया. इसके बाद 2 करोड़ नए रिटेल निवेशकों ने बाजार में एंट्री ली जब उन्हें मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में दमदार तेजी दिखी. वे लगातार खरीदारी कर रहे हैं. साल 2021 की शुरुआत से हर दिन लगभग एक लाख नए निवेशक इक्विटी बाजार में रजिस्टर हो रहे हैं.”
NSE के मुताबिक, पिछले 6 साल में कैश मार्केट में निवेश के साथ ही इंडिविजुअल निवेशकों की इक्विटी के वायदा बाजार में भागीदारी बढ़ी है. जहां उनका इक्विटी डेरिवेटिव प्रीमियम टर्नओवर करीब 2 फीसदी बढ़ा है तो वहीं देशभर के टर्नओवर के लिहाज से इस दौरान इसमें 7 फीसदी की बढ़त आई है.
वहीं दूसरी ओर मार्केट में प्रोप्रायटी ट्रे़डर्स का हिस्सा धीरे-धीरे घटा है. कुल इंडेक्स फ्यूचर नेशनल टर्नओवर में जहां वित्त वर्ष 2016 में उनका हिस्सा 31 फीसदी था वहीं वित्त वर्ष 2021 में ये 29 फीसदी रहा है. इसके बाद कॉरपोरेट्स की हिस्सेदारी में भी 6 फीसदी की गिरावट आई है जो 14 फीसदी से फिसलकर 8 फीसदी पर आई है. इनकी भागीदारी में आई गिरावट की भरपाई रिटेल निवेशकों के मार्केट शेयर से हुई जो इस दौरान 32 फीसदी से बढ़कर 39 फीसदी हो गई है.
ट्रेडिंग, फाइनेंस, IT, टेक्सटाइल, फार्मा, कंस्ट्रक्शन और इंजीनियरिंग रिटेल निवेशकों के पसंदीदा सेक्टर हैं. इन सेक्टर्स में हाई नेटवर्थ वाले निवेशकों का भी रुझान है. वहीं दूसरी ओर पोर्ट्स, ई-कॉमर्स, कुरियर और इंश्योरेंस सेक्टर में इनका निवेश सबसे कम है.
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