Stock Market: रियल एस्टेट के शेयर 10 साल के कंसॉलिडेशन के बाद धीरे-धीरे और लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं. उदाहरण के लिए, BSE रियल्टी इंडेक्स अपने 52-सप्ताह के निचले स्तर 1,530 जो 27 जुलाई, 2020 को बनाया था 19 जुलाई, 2021 को वहां से बढ़कर दोगुना से अधिक हो गया है और 52-सप्ताह के उच्च स्तर 3,213 को छुआ. हालांकि, यह अभी भी अपने ऑल टाइम हाई से 77 %कम है. 08 जनवरी, 2008 को 13,848 के स्तर पर इसने अपना ऑल टाइम हाई बनाया था. तो क्या रियल एस्टेट स्टॉक दस साल के कंसोलिडेशन से बाहर आ गए हैं, क्या वो ऊंची छलांग लगाने के लिए तैयार हैं इसे समझने के लिए मनी9 ने एंजेल ब्रोकिंग के यश गुप्ता के साथ बातचीत की. पेश है बातचीत के खास अंश:
रियल एस्टेट सेक्टर में हमेशा अनऑर्गनाइज्ड मार्केट प्लेयर का दबदबा रहा था. हालांकि, पिछले 10 सालों में, हमने ऑर्गनाइज्ड मार्केट द्वारा लगातार बाजार हिस्सेदारी में बढ़त देखी है. टॉप -10 लिस्टेड डेवलपर्स की बाजार हिस्सेदारी 2011 में 11% से बढ़कर 2020 में 27% हो गई है और यहां से और सुधार होने की उम्मीद है. कई छोटे डेवलपर्स को नए प्रोजेक्ट शुरू करने में मुश्किल हो रही है जबकि टॉप -10 प्लेयर्स के पास 5-10 साल से अधिक की पाइप लाइन है. दूसरी ओर, अगर हम S&P BSE रियल्टी इंडेक्स को देखें, तो यह जुलाई 2021 में पिछले 10 सालों के कंसोलिडेशन को तोड़ते हुए 52-सप्ताह के उच्च स्तर 3213 को टच कर गया है. रियल-एस्टेट बुल रन के दौरान 2007-08 के S&P BSE रियल एस्टेट ने जनवरी 2008 में 13848 के अपने ऑल टाइम हाई को छुआ था, इसलिए रियल एस्टेट सेक्टर को मौजूदा स्तरों से अभी लंबा रास्ता तय करना है.
IL & FS क्राइसिस के बाद बैंकों के साथ-साथ NBFCs से क्रेडिट लिमिट की नॉन-अवेलेबिलिटी के कारण अनऑर्गनाइज्ड प्लेयर समय पर प्रोजेक्ट्स को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. जबकि डिमोनेटाइजेशन और RERA ने ऑर्गनाइज्ड और अनऑर्गनाइज्ड दोनों के लिए खेल का मैदान तय किया है. साथ ही अब लेंड ऑनर्स की अनऑर्गनाइज्ड प्लेयर्स के साथ ज्वाइंट वेंचर करने में कोई दिलचस्पी नहीं है क्योंकि कभी-कभी वो प्रोजेक्ट को समय पर पूरा नहीं कर पाते हैं. जबकि कोविड समय के दौरान, टॉप -10 डेवलपर्स ने अपनी सेल्स फोर्स को ऑनलाइन शिफ्ट कर दिया है, लेकिन अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर द्वारा ऐसा नहीं किया जा सकता है.
कैलेंडर वर्ष 2020 की दूसरी छमाही भारत में रेसिडेंशियल रियल एस्टेट सेक्टर के लिए बहुत मजबूत थी. इसने कई कंपनियों को FY 2021 में हाई रेसिडेंशियल प्री-सेल की रिपोर्ट करते हुए देखा. क्योंकी HNI और विदेशी रेसिडेंट का कई सालों के बाद भारतीय रियल एस्टेट मार्केट में इंटरेस्ट बढ़ा है जिसके चलते बड़े-टिकट साइज के अपार्टमेंट की मांग काफी बढ़ी है. वास्तव में ओबेरॉय रियल्टी, गोदरेज प्रॉपर्टी और दूसरी कंपनियों ने वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही में NRI की ओर से काफी डिमांड आते देखी है. जबकि अनसोल्ड इन्वेंट्री रेशियो पिछले 7 सालों में सबसे कम है, क्योंकि ग्राहक रेडी-टू-मूव प्रॉपर्टी खरीदना पसंद करते हैं. पिछले 1.5 सालों में डिमांड-सप्लाई रेशियो में काफी सुधार हुआ है और उम्मीद है कि इसमें और सुधार होगा.
पिछले एक दशक में कस्टमर्स का रुझान अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी से रेडी-टू-मूव प्रॉपर्टी की ओर हुआ है, आजकल ऑर्गनाइज्ड प्लेयर ज्यादा रेडी-टू-मूव प्रॉपर्टी या जो प्रॉपर्टी कंपलीट होने वाली हैं उन्हें ऑफर करते हैं. इसके साथ ही टॉप-10 लिस्टेड प्लेयर्स ने अच्छी क्वालिटी का प्रोजेक्ट समय पर या समय से पहले ही देकर ग्राहकों का विश्वास जीता है. टॉप-10 डेवलपर्स अब अपनी बैलेंस शीट की सेहत सुधारने पर ध्यान दे रहे हैं और जमीन के मालिकाना हक के बजाय ज्वाइंट वेंचर कर रहे हैं. महामारी के बावजूद, वे पिछले दो सालों में अच्छे कलेक्शन के दम पर अपनी बैलेंस शीट में सुधार करने में सफल रहे हैं.
ऐसा लगता है कि रियल एस्टेट साइकिल अभी शुरू हुआ है और यहां से बहुत लंबा रास्ता तय करना है, हम देख सकते हैं कि कुछ अच्छी कंपनियां निवेशकों के लिए मल्टी-बैगर स्टॉक बन जाती हैं. हम रेसीडेंशियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए बहुत पॉजिटिव हैं और अभी भी कमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर पर सतर्क हैं क्योंकि हम देखते हैं कि कमर्शियल की डिमांड वैसी नहीं बढ़ी है जैसी कि रेसिडेंशियल की. हमारी टॉप पिक गोदरेज प्रॉपर्टी, शोभा डेवलपर्स और ओबेरॉय रियल्टी हैं.
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