शेयर बाजारों (Stock Market) में तेजी के साथ, केवल कंपनियां ही नहीं हैं जो प्राइमरी मार्केट से धन जुटा रही हैं. इन्वेस्टमेंट बैंक भी तेजी से अधिक कमाई कर रहे हैं. प्राइम डेटाबेस के कंपाइल किए गए डेटा से पता चलता है कि इन्वेस्टमेंट बैंकों को भुगतान की जाने वाली फीस इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) की संख्या में वृद्धि की तुलना में तेजी से बढ़ी है.
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में कंपनियों ने 38 आईपीओ से 62,752 करोड़ रुपए जुटाए गए. वहीं बुक रनिंग लीड मैनेजर्स (BLRMs) ने सितंबर की शुरुआत तक आईपीओ से संयुक्त रूप से 1,390 करोड़ रुपये की फीस अर्जित की. फीस में अंडरराइटिंग कमीशन, ब्रोकरेज और सेलिंग कमीशन शामिल हैं. 2021 के लिए, लीड मैनेजर्स की फीस इश्यू खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा है. ये जुटाई राशि का 2.2% है.
इसके विपरीत, 2020 में, 15 आईपीओ ने महामारी के बीच 26,613 करोड़ रुपये जुटाए, जिसमें लीड मैनेजरों ने 369 करोड़ रुपये (जुटाई राशि का 1.4%) की कमाई की. कोरोना महामारी से पहले 2019 में, 16 आईपीओ ने मिलकर 12,362 करोड़ रुपये जुटाए, जिसमें लीड मैनेजर्स ने इस राशि का 2% अपनी फीस के रूप में अर्जित किया.
वर्ष 2021 में सबसे ज्यादा 229 करोड़ रुपये की फीस जुलाई में ज़ोमैटो के आईपीओ से वसूली गई. वहीं साल के शुरुआत में आए इंडियन रेल फाइनेंस कॉर्पोरेशन (IRFC) से सबसे कम शुल्क 3.9 करोड़ रुपये वसूला गया. Zomato का IPO 38 गुना अधिक सब्सक्राइब हुआ था जबकि IRFC का ओवर-सब्सक्रिप्शन 3.5 गुना था.
आईपीओ से जुटाई राशि और फीस का अनुपात देखें तो सबसे ज्यादा अनुपात अमी ऑर्गेनिक्स का है. लीड मैनेजर्स ने अमी ऑर्गेनिक्स के मामले में जुटाई गई राशि की 7.3% फीस वसूल की. ये आईपीओ सितंबर में रोलआउट किया गया था जो 64.5 गुना ओवर- सब्सक्राइब हुआ था.
करीब 45,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए अगले कुछ महीनों में 30 और IPO के प्राइमरी मार्केट में आने की उम्मीद है. लीड मैनेजर की फीस को जुटाई गई राशि के 2-2.5% की रेंज में मानते हुए, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म की अक्टूबर से साल के अंत तक 900 से 1,125 करोड़ रुपये की फीस वसूली की उम्मीद है.
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