पहली बार निफ्टी 18,000 के पार: इसके अब तक के सफर पर एक नजर

मार्च 2020 में सेंसेक्स ने 26,000 के स्तर से 34,000 अंक जोड़े हैं, जबकि निफ्टी 7,500 के स्तर से 10,000 अंक और ऊपर चढ़ गया.

nifty crosses 18000 for first time: this was the journey

फ़िलहाल सभी की निगाहें बैंकिंग सेक्टर के प्रदर्शन पर टिकी रहेंगी. क्योंकि बैंकिंग सेक्टर में बेहतर प्रदर्शन ब्रॉडर मार्किट में आशावाद को फिर से जीवित कर सकता है, जबकि वहीं एक विफलता 18000 से नीचे के ब्रेकडाउन को ट्रिगर कर सकती है.

फ़िलहाल सभी की निगाहें बैंकिंग सेक्टर के प्रदर्शन पर टिकी रहेंगी. क्योंकि बैंकिंग सेक्टर में बेहतर प्रदर्शन ब्रॉडर मार्किट में आशावाद को फिर से जीवित कर सकता है, जबकि वहीं एक विफलता 18000 से नीचे के ब्रेकडाउन को ट्रिगर कर सकती है.

भारतीय इक्विटी बेंचमार्क निफ्टी 50 सोमवार को अपने मनोवैज्ञानिक स्तर 18,000 को पार कर गया, जबकि BSE सेंसेक्स 60,000 से ऊपर रहा. महज 18 महीनों में हेडलाइन इंडेक्स अपने मार्च के निचले स्तर से दोगुने हो गए हैं. मार्च 2020 में सेंसेक्स ने 26,000 के स्तर से 34,000 अंक जोड़े हैं, जबकि निफ्टी 7,500 के स्तर से 10,000 अंक और ऊपर चढ़ गया.

निफ्टी ने पिछले 10 सालों में लगभग 14% और पिछले 5 सालों में 15.5% का सालाना रिटर्न दिया है.

निफ्टी की ऐतिहासिक उपलब्धि पर टिप्पणी करते हुए, TIW PE के मैनेजिंग पार्टनर और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर मोहित रल्हन ने कहा, “डोमेस्टिक फ्रंट पर मजबूत पॉजिटिव सेंटिमेंट हैं, भले ही ग्लोबल क्यू बढ़ते जोखिम की ओर इशारा कर रहे हैं.”

उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वो बढ़ती महंगाई का मुकाबला करने के लिए अपने बैलेंस शीट के विस्तार को जल्द से जल्द खोल दें. इसके अलावा, भारत में कमाई का यह सीजन बेहद महत्वपूर्ण होने वाला है, यह देखते हुए कि निफ्टी का P/E 27 गुना से ऊपर है.

रल्हन ने कहा, “कुल मिलाकर, हम इस समय सतर्क हैं और वैश्विक संकेतों और घरेलू घटनाक्रम के बीच संघर्ष पर एक निश्चित निष्कर्ष की प्रतीक्षा कर रहे हैं.”

निफ्टी का सफर

शुरुआत: 1992 के बाद से निफ्टी ने लंबा सफर तय किया है. इंडेक्स को मार्च 1992 में 1000 के स्तर से दिसंबर 2004 में 2000 के स्तर तक पहुंचने में लगभग 12 साल 8 महीने लगे.

6,000 का स्तर: 2000-स्तर से 6000 तक पहुंचने का सफर भी लंबा था. लगभग 3 सालों के अंतराल के बाद, 50-शेयर इंडेक्स दिसंबर 2007 में 6,000 का आंकड़ा पार कर गया.

GFC 2008: 2008 में ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस (GFC) के बाद के करेक्शन के एक लंबे फेज के बाद, इंडेक्स को 1,000 पॉइंट और जोड़ने में सात साल लग गए.

आम चुनाव 2014: मई 2014 में, स्थिर केंद्र सरकार के गठन की उम्मीद पर इंडेक्स ने 7,000 के आंकड़े को छुआ. नई सरकार बनने के तुरंत बाद सितंबर 2014 में इसने 8,000 का आंकड़ा छू लिया.

आम चुनाव 2019: नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के केंद्र में सत्ता संभालने के साथ, निवेशकों में उत्साह बढ़ा. मई 2019 में, निफ्टी ने भारतीय जनता पार्टी के
नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ फिर से लोकसभा चुनाव जीतने के साथ 12,000 का आंकड़ा पार किया.

कोविड -19 महामारी: हालांकि, मार्च 2020 तक, इंडेक्स लगभग 5,000 अंक गिरा क्योंकि कोविड -19 महामारी ने आर्थिक गतिविधियों पर कहर बरपाया और विश्व स्तर पर हेल्थ केयर सेक्टर को मानों अपाहिज बना दिया.

भारतीय अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून तिमाही में भारी गिरावट देखी गई और जल्द ही इसके ठीक होने की कोई उम्मीद नहीं थी. देश में नोवल कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कई प्रतिबंधों के बावजूद वायरस की पकड़ दिन-ब-दिन सख्त होती जा रही है. और एक दिन ‘जनता कर्फ्यू’ के रूप में शुरू हुए, दुनिया के सबसे सख्त लॉकडाउन ने पहले से ही सुस्त एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के संकट को और बढ़ा दिया.

रिकवरी: धीरे-धीरे जैसे-जैसे कोविड के प्रतिबंधों में ढील दी गई, आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू हुईं, निवेशकों का भरोसा फिर से लौटा. नवंबर 2020 तक, जब ज्यादातर प्रतिबंध हटा दिए गए, निफ्टी 13,000 पर पहुंच गया. इसके बाद से बाजारों में तेजी का सिलसिला जारी है. अप्रैल और जून 2021 के बीच कोविड-19 संक्रमण की दूसरी घातक लहर के बावजूद, बाजार स्थिर रहे हैं. और पिछले साल नवंबर से सिर्फ 10 महीनों में इंडेक्स 5,000 अंक बढ़ा.

Published - October 11, 2021, 05:31 IST