घरेलू और वैश्विक निवेशकों से पूंजी जमा करने के लिए मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट इक्विटी (MOPE) ने मंगलवार को 4000 करोड़ का प्राइवेट इक्विटी फंड इंडिया बिजनेस एक्सिलेंस फंड IV (IBEF) फंड लॉन्च किया. इस फंड का मकसद विकास की अच्छी संभावना वाले मिड-मार्केट सेगमेंट जैसे फाइनेंशियल सर्विसेज, लाइफ साइंसेज और नीशे निर्माण में लगी कंपनियों में निवेश करना है. मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट इक्विटी यानि MOPE का ये चौथा फंड है. MOPE साल 2007 से प्राइवेट भारतीय बाजार में निवेश कर रहा है.
इस फंड को अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (AIF कैटेगरी II) के तहत सेटअप किया गया है, जो स्टॉक मार्केट रेगुलेटर SEBI में रजिस्टर्ड भी है. इसमें न्यूनतम निवेश की राशि एक करोड़ रुपए है. इस प्रतिस्पर्धा वाले दौर में ये फंड नए बिजनेस मॉडल पर आधारित और पहली पीढ़ी के उद्यमियों की कंपनी में निवेश करेगा. MOPE को उम्मीद है कि उन्हें देश के टियर-2 और टियर-3 शहरों से अच्छी डील मिलेगी.
MOPE को उम्मीद है कि वो दिसंबर 2021 से पूर्व वो फर्स्ट क्लोज हासिल कर लेंगे और 9 से 12 महीनों में पैसे जुटाने में सफल रहेंगे.
Mope के मैनेजिंग डायरेक्ट और सीईओ विशाल तुलस्यान ने बताया कि “मोतीलाल ओसवाल ग्रुप खुद IBEF IV में 18 से 20 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ निवेश कर रहा है. खेल के नियमों का पूरे आदर्शन से पालन करते हुए, समूह और टीम की IBEF IV के प्रति प्रतिबद्धता 18-20% होने की उम्मीद है.”
तुलस्यान ने आगे कहा कि “फंड को 30 फीसदी से अधिक की आंतरिक दर रिटर्न (आईआरआर) जेनरेट होनी की उम्मीद है. हमारे पूर्व के फंड्स ने 27 से 28% का रिटर्न दिया था. अब हमें इससे ज्यादा की उम्मीद है. हम इस बार 2 सै 3 फीसदी अतिरिक्त हासिल करेंगे”
वीआर वेल्थ एडवाइजर के फाउंडर और सीईओ विवेक रेगे के मुताबिक इस सवाल का जवाब पोर्टफोलियो के लिए फंड की उपयुक्तता पर निर्भर करता है. फंड में कितना एक्सपोजर चाहिए, इसको लेकर आपके पास एक इनवेस्टमेंट फिलॉसफी होनी चाहिए. फंड पूंजी आवंटन की एस्पिरेशनल बकेट के तहत आता है. निवेशकों को इसके बारे में तब सोचना चाहिए, अगर इनवेस्टमेंट पॉलिसी इसकी इजाजत दे. अपनी इनवेस्टमेंट पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि “अगर आपकी कोई इनवेस्टमेंट पॉलिसी नहीं है, तो जरूरी है कि एक पॉलिसी जरूर होनी चाहिए. एक अनुभवी सलाहकार से संपर्क करें जो आपको जिम्मेदारी के साथ बेहतर सलाह दे.”
MPOE ने अभी तक न्यूनतम होल्डिंग पीरियड और इसमें शामिल कीमत को लेकर खुलासा नहीं किया है. रेगे के मुताबिक मैनेजमेंट फीस बराबर कैटेगरी के लिए 2 से 5 फीसदी की रेंज में रहेगी.
उन्होंने कहा कि “फंड के जरिए किए गए पोर्टफोलियो निवेश से बाहर निकलने पर 10 प्रतिशत की बाधा दर पर 20 प्रतिशत के प्रदर्शन शुल्क को भी ध्यान में रखना होगा. बीते ऑफर डॉक्यूमेंट के आधार पर 5 फीसदी मैनेजमेंट फीस का भुगतान करना पड़ा था. कस्टोडियन फीस वास्तविक पर होगी, यदि शुल्क लिया जाता है.”
एग्जिट लोड की राशि को लेकर भी अभी तक कुछ साफ नहीं है. पिछला ऑफर डॉक्यूमेंट मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर निवेश के नेट असेट वैल्यू के 25 प्रतिशत तक के एक्जिट लोड का सुझाव देता है, जो ग्राहक द्वारा किए गए अनुरोध की तारीख से 8 महीने से अधिक पुराना नहीं हो या निवेशक के निवेश का 25 प्रतिशत तक हो. जो भी ज्यादा हो.
IBEF IV में निवेश से पहले इससे जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां जैसे फीस, न्यूनतम इनवेस्टमेंट टेन्योर और एग्जिट लोड के बारे में जान लेना बेहद जरूरी है.
जहां तक जोखिम का संबंध है, कम लिक्विडिटी एक बड़ी चिंता का विषय है. एक बार निवेश के बाद आप अपनी रकम को आसानी से भुना नहीं सकते हैं. नियमित बाजार से जुड़े जोखिमों के अलावा, फंड की केंद्रित या गैर-विविधीकरण नेचर एक और महत्वपूर्ण बिंदु है जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
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