IPO Subscription: अपनी मेहनत के पैसे को गंवाना नहीं चाहते हैं तो किसी भी IPO में पैसे लगाने से पहले आपको कुछ बातों को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए. हालांकि, IPO लिस्टिंग के जरिए तगड़ा मुनाफा ही हो, ये जरूरी नहीं है. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि किसी भी कंपनी के IPO को सब्सक्राइब करने से पहले कंपनी द्वारा दाखिल किए गए पेपर्स की स्टडी की जानी चाहिए. इससे कंपनी की ग्रोथ भविष्य में क्या रहने वाली है, इसका अनुमान लगाया जा सकता है. ये हैं वे 9 बातें जो IPO में निवेश का फैसला करने से पहले आपके काम आ सकती हैं.
दुनिया के मशहूर निवेशक वॉरेन बफे का कहना है कि अगर आप 10 साल के लिए किसी स्टॉक को रखने को तैयार नहीं हैं तो आपको इसे 10 मिनट के लिए भी नहीं रखना चाहिए. आपको यह तय करना होगा कि आप इस पर लिस्टिंग गेन का फायदा लेना चाहते हैं या इसमें लंबे समय के लिए निवेश कर रहे हैं.
कई निवेशक ऐसा मानते है कि यदि ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) मजबूत है तो कंपनी के फंडामेंटल भी मजबूत हैं. GMP में बुनियादी बातों को शायद ही कोई स्थान मिलता है और भावनाओं को बहुत महत्व दिया जाता है. इस तरह की भ्रांति के चलते निवेशक कई बार सिर्फ GMP से सुराग लेकर क्वालिटी कंपनियों में निवेश करने का मौका गंवा देते हैं या कमजोर कंपनियों में फंस जाते हैं.
एक दिन के ट्रेडर बनने की बजाए लंबी अवधि का लक्ष्य लेकर बाजार में आएं. लक्ष्य पूरा होने तक इंतजार करें, संयम रखने से ही पैसा बढ़ता है. ज्याकदा रिटर्न की लालच न रखें, अगर 15 से 20 फीसदी रिटर्न दिख रहा है तो निवेश करें.
कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में कितना ग्रोथ रेट बनाया है? क्या विकास दर आपके आय लक्ष्यों और आपके निवेश की अवधि से मेल खाती है? इन सवालों का जवाब ढूंढें और फिर पैसा लगाएं.
अगर कंपनी पहले से ही शेयर बाजरों पर लिस्टेड है और केवल OFS (ऑफर फोर सेल) कर रही है तो स्टॉक की क्षमता का मूल्यांकन करने में आपकी सहायता के लिए आपके पास उसका ऐतिहासिक स्टॉक मूल्य निर्धारण होगा. लेकिन, यदि कंपनी पूंजी जुटा रही है और केवल अब सार्वजनिक हो रही है, यानी IPO ला रही है तो कंपनी का कोई ऐतिहासिक स्टॉक मूल्य निर्धारण नहीं होगा. ऐसे हालात में आप बैलेंस शीट, P&L स्टेटमेंट, कैश फ्लो रिकॉर्ड, वार्षिक और त्रैमासिक रिपोर्ट और किसी भी अन्य वित्तीय डेटा के माध्यम को देख सकते हैं.
IPO से जुटाए गए फंड का इस्तेमाल किस तरह किया जाएगा ये जान लें. कंपनी अपना कर्ज चुकाने के लिए फंड जुटा रही है या अपनी क्षमता विस्तार के लिए ये पता करे. आमतौर पर अगर कंपनी अपनी कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए फंड जुटा रही है तो उसके ग्रोथ की संभावना अधिक होती है.
IPO के लिए कंपनी का वैल्यूएशन कितना तय हुआ है, इसे जरूर ध्यान रखना चाहिए. इसकी इंडस्ट्री में शामिल अन्य कंपनियों (पिअर्स) से जरूर तुलना कर लेनी चाहिए. जिस कंपनी के IPO सब्सक्रिप्शन का ऑफर आया हुआ है, उसका P/E (प्राइस टू अर्निंग्स) रेशियो, P/B (प्राइस टू बुक) रेशियो और कंपनी पर कितना कर्ज है यानी D/E (डेट टू अर्निंग्स) रेशियो जरूर देख लें. यह जितना कम हो, उतना बेहतर है. हालांकि हर इंडस्ट्री के लिए इसका मानक अलग है कि यह रेशियो कितना होना चाहिए.
अगर जिस कंपनी का IPO खुल रहा है, उसमें बिग बुल राकेश झुनझुनवाला और राधाकिशन दमानी जैसे दिग्गजों की हिस्सेदारी है तो निवेशक उसके प्रति आकर्षित होते हैं. इनकी हिस्सेदारी से प्रभावित होकर ही निवेश का फैसला नहीं ले लेना चाहिए बल्कि कंपनी के सभी प्रमोटर के बारे में जरूरी जानकारियां जरूर जुटानी चाहिए.
यह जांचने की कोशिश करें कि, IPO निवेश आपके पोर्टफोलियो में सही बैठता है या नहीं. जोखिम कम करने के लिए आपका पोर्टफॉलियो डाइवर्सिफाई होना चाहिए और उसमें आदर्श रूप से एक ही क्षेत्र की बहुत अधिक कंपनियां नहीं होनी चाहिए. आपको विभिन्न एसेट क्लास में भी निवेश करना चाहिए, इसलिए मूल्यांकन करें कि क्या आप इस IPO के लिए अपनी इच्छित पूंजी को किसी अन्य एसेट क्लास में निवेश करेंगे, जिसमें आप निवेश करना चाहते हैं.
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