निवेशकों के पास पोर्टफोलियो में ईटीएफ और इंडेक्स फंड्स जैसे कम लागत वाले प्रोडक्ट्स होना जरूरी: विशाल जैन

ईटीएफ में निवेश करने वालों की संख्या में कई गुना का इजाफा हुआ है. निवेशक अब ईटीएफ के फायदे को समझने और स्वीकरने लगे हैं.

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एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) उनके द्वारा ट्रैक किए गए इंडेक्स को रिप्लिकेट करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि उन्हें फंड मैनेजर के इन्वॉल्मेंट की जरूरत नहीं होती है, उन्हें पैसिवली मैनेज्ड फंड कहा जाता है.

एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) उनके द्वारा ट्रैक किए गए इंडेक्स को रिप्लिकेट करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि उन्हें फंड मैनेजर के इन्वॉल्मेंट की जरूरत नहीं होती है, उन्हें पैसिवली मैनेज्ड फंड कहा जाता है.

निप्पॉन इंडिया के हेड विशाल जैन ने मनी9 को इंटरव्यू देते हुए कहा कि ईटीएफ और इंडेक्स फंड, इन दोनों में से कम ट्रैकिंग त्रुटि और खर्च के अनुपात वाले का चुनाव करना चाहिए. ईटीएफ निवेशकों (investor) को निवेश से पहले अतिरिक्त तौर पर लिक्विडिटी के बारे में विचार करना चाहिए.

बीते एक सालों में ईटीएफ निवेशकों और ईटीएफ वॉल्यूम में इजाफा दर्ज किया गया है. आप इन बढ़ते आंकड़ों के पीछे क्या कारण मानते हैं? ईटीएफ में निवेश के पीछे फायदे क्या हैं?

पिछले एक साल में ईटीएफ में निवेश करने वालों की संख्या में कई गुना का इजाफा हुआ है. निवेशक अब ईटीएफ के फायदे को समझने और स्वीकरने लगे हैं. ईटीएफ अपनी कम कीमत, डायवर्सिफिकेशन और रियल टाइम प्राइसिंग के कारण पहचाना जाता है. ये बेहद आसान और साधारण तरीके से सार्थक एसेट आवंटन का निर्माण कर सकता है, यही इसकी खासियत है.

उदाहरण के लिए, यदि कोई निफ्टी और निफ्टी नेक्स्ट 50 ईटीएफ को मिलाता है, तो भारत में शीर्ष 100 लार्ज-कैप कंपनियों का पोर्टफोलियो आसानी से बनाया जा सकता है. इक्विटी, फिक्स्ड इनकम और कमॉडिटी ईटीएफ का उपयोग करके पोर्टफोलियो बनाने के लिए लो को-रिलेटेड सूचकांकों को भी जोड़ा जा सकता है. ईटीएफ की प्लग एंड प्ले नेचर निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित करती है.

ईटीएफ ने अच्छा काम करते हुए बाजार में हाल ही में निचले स्तर से वापसी की है. अब सवाल है कि क्या ईटीएफ अभी भी आकर्षक बने हुए हैं या इस समय निवेशकों के लिए सक्रिय रूप से फंड का प्रबंधन बेहतर विकल्प होगा?

सभी मार्केट कंडीशन में ईटीएफ अच्छा प्रदर्शन करता है. रिटर्न का मार्केट इंडेक्स रेट ही आगे बढ़ने वाला एकमात्र सुनिश्चित रिटर्न है. बीटा और अल्फा दोनों से लाभ उठाने के लिए ईटीएफ और सक्रिय फंड के बीच कोर-सैटेलाइट एसेट आवंटन करना उचित है. बीटा स्टॉक और मैनेजमेंट का सलेक्शन जैसे नॉन-सिस्टमैटिक जोखिमों को समाप्त कर देगा. इसके अलावा, ईटीएफ की कम लागत वाली नेचर लंबी अवधि में ओवरऑल निवेशक रिटर्न में जोड़ देगी.

ईटीएफ योजनाएं अक्सर लिक्विडिटी की कमी से जूझती हैं. निवेशक कैसे इन हालातों को नियंत्रित कर सकते हैं? क्या ईटीएफ की इकाइयों में निवेश करने वाला फंड ऑफ फंड्स ही एकमात्र समाधान है?

ईटीएफ में निवेश करने से पहले निवेशकों को तीन महत्वपूर्ण चीजों का ध्यान रखना चाहिए, पहला लिक्विडिटी, खर्च का अनुपात और ट्रैकिंग त्रुटि. हमेशा कुछ ईटीएफ ऐसे होंगे जो दूसरों की तुलना में अधिक तरल होते हैं. इसलिए ईटीएफ को ज्यादा लिक्विडिटी के साथ चुनना अच्छा फैसला होता है.

किसी भी ईटीएफ में, मार्केट मेकर होते हैं जो लिक्विडिटी प्रदान करते हैं और इसलिए उनका व्यापार करने का सबसे अच्छा तरीका एएमसी की वेबसाइट पर बताए गए “इंडिकेटिव एनएवी” को देखना है और उसके आसपास लिमिट ऑर्डर देना है.

अगर किसी कारण से अंडरलाइंग इंडेक्स को दोहराने में सक्षम नहीं है तो फंड ऑफ फंड एक अच्छा विकल्प है. वरना ईटीएफ या इंडेक्स फंड बेहतर है.

आपके बुके में कितने इंडेक्स फंड हैं और आप इस दिशा में कौन से नए उत्पाद लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं?

निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड में हम तमाम इक्विटी और गोल्ड में पांच इंडेक्स फंड्स और 2 फंड ऑफ फंड्स पेश करते हैं. बाजार की प्रतिक्रिया और निवेशकों की रुचि के आधार पर हम उत्पादों का लगातार मूल्यांकन और लॉन्च करते हैं. हमारे पास पहले से ही ईटीएफ का सबसे बड़ा सूट है और हम आवश्यकतानुसार लॉजिकल बिल्डिंग ब्लॉक जोड़ते रहेंगे. इसके अतिरिक्त, अब हम इक्विटी, डेट और अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर में इंडेक्स फंड में अपने बुके को बढ़ाने पर भी विचार कर रहे हैं.

पैसिव फंड की तलाश करने वाले निवेशकों को क्या चुनना चाहिए- ईटीएफ या इंडेक्स फंड? कौन सा सही?

निवेशकों के लिए ये जरूरी है कि वो अपने पोर्टफोलियो में कम कीमत वाले पैसिव प्रोडक्ट्स जोड़ें. इससे वास्तव में कोई फर्क नहीं पड़ता है कि ईटीएफ या इंडेक्स फंड के जरिए कोई किस प्रारूप में सब्सक्राइब करता है.

यदि निवेशकों के पास ब्रोकिंग और डीमैट खाता है और वे नियमित रूप से शेयर बाजार में काम करते हैं तो वे ईटीएफ के माध्यम से निवेश करने पर विचार कर सकते हैं. निवेशक जो सामान्य म्यूचुअल फंड संरचना या नियमित एसआईपी करने में आसानी पसंद करते हैं, वे इंडेक्स फंड के माध्यम से निवेश कर सकते हैं. ईटीएफ और इंडेक्स फंड दोनों में कम ट्रैकिंग त्रुटि और व्यय अनुपात वाले लोगों को चुनना चाहिए. इसके अतिरिक्त, ईटीएफ में निवेशकों को निवेश करने से पहले लिक्विडिटी की जांच कर लेनी चाहिए.

यहां से बाजार के बारे में आपका क्या विचार है? भारी उछाल के साथ इक्विटी निवेशकों के लिए आपका व्यापक सुझाव क्या होगा?

समय से अधिक, निवेशकों के लिए सही एसेट का आवंटन मिश्रण को फॉलो करना ज्यादा जरूरी है. जिसमें बड़े पेंशन फंडों पर अकादमिक शोध, विशेष रूप से ब्रिंसन, हूड, बीबोवर स्टडी साल 1986 में हुई थी. जिसमें निकलकर आया कि पोर्टफोलियो रिटर्न का एक महत्वपूर्ण हिस्सा (लगभग 88 से 90%) एसेट आवंटन के कारण हुआ. इंडिविजुअल सिक्योरिटी और मार्केट टाइमिंग के चयन के कारण जमा पोर्टफोलियो रिटर्न का केवल एक छोटा सा हिस्सा है.

संपूर्ण पोर्टफोलियो जोखिम को कम करने के लिए एसेट कैटेगरी में स्ट्रैटेजिक डायवर्सिफिकेशन आवश्यक हो जाता है और निवेशकों के लिए एसेट कैटेगरी में डाइवर्सिफाइ करने का सबसे आसान तरीका ईटीएफ के जरिए होता है.

Published - July 28, 2021, 08:47 IST