Investment in IPO: साल 2020 की तरह ही 2021 में भी आईपीओ मार्केट गुलजार है. मार्केट में मौजूद भारी लिक्विडिटी और भारतीय शेयर बाजारों में चल रही रैली का फायदा हर कंपनी उठाना चाहती है. यही कारण है कि इस साल में अब तक कई सारी कंपनियां अपने आईपीओ लॉन्च कर चुकी हैं. इस साल अब तक इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) के जरिए जुटाए गए फंड में पिछले साल की तुलना में करीब 2.2 गुना की बढ़ोतरी हुई है और सेबी की मंजूरी के साथ 11 और कंपनियां 11,600 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाना चाहती हैं.
इसके अलावा 40 से अधिक कंपनियां लगभग 89,000 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी में हैं. ये कंपनियां सेबी की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं और जल्द से जल्द बाजार में मौजूद लिक्विडिटी और स्टॉक मार्केट की रैली का आनंद लेना चाहती हैं.
हालांकि, निवेशकों के लिए यह सही नहीं है कि वे हर कंपनी के आईपीओ में पैसा लगाएं. किसी भी आईपीओ में पैसा लगाने से पहले आपको कुछ बातों पर ध्यान अवश्य देना चाहिए. आइए जानते हैं कि वे क्या हैं.
1. आप निवेश क्यों कर रहे हैं ये उद्देश्य साफ होना चाहिए. एक्सचेंज पर डेब्यू कर रही हर कंपनी का शेयर आपके पोर्टफोलियो के लिए सही शेयर हो, ये जरूरी नहीं. निवेश से पहले आपको साफ पता होना चाहिए कि आप लिस्टिंग पर होने वाली कमाई के लिए दांव लगा रहे हैं या लंबे समय के लिए निवेश कर रहे हैं. स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनी की लिस्टिंग भले धमाकेदार हो लेकिन ये जरूरी नहीं कि वो मोमेंटम आगे भी जारी रहेगा.
2. आपने अपना उद्देश्य तय कर लिया तो अब समझें कि कंपनी को पैसों की जरूरत क्यों है. शेयर बाजार से जुटाई रकम को कंपनी किस काम के लिए इस्तेमाल करेगी. क्या कंपनी अपना कर्ज चुकाने के लिए पैसा जुटा रही है या फंड का इस्तेमाल क्षमता विस्तार के लिए करेगी, या फिर मौजूदा निवेशकों को एक्जिट करने का मौका दे रही है.
3. कंपनी का IPO किस वैल्यूएशन पर आ रहा है ये चेक करें. कंपनी जिस इंडस्ट्री और सेक्टर में काम करती है उस क्षेत्र की अन्य कंपनियों के वैल्यूएशन से उसकी तुलना करें. प्राइस टू अर्निंग्स रेश्यो (P/E) और कंपनी पर कितना कर्ज है (D/E) इस आधार पर आप तुलना कर सकते हैं.
4. आपने अक्सर देखा होगा कि जिन IPOs में शेयर बाजार के दिग्गज जैसे राकेश झुनझुनवाला या राधाकिशन दमानी का नाम हो वे निवेशकों को ज्यादा आकर्षक लगते हैं. ऐसे निवेशकों के साथ ही आपको ये देखना जरूरी है कि कंपनी के प्रोमोटर का बैकग्राउंड कैसा है, कंपनी का और क्या-क्या बिजनेस है.
5. कई रिटेल निवेशक ग्रे मार्केट के रुझान देखकर अपने फैसले की दिशा तय करते हैं. उनके मुताबिक ग्रे मार्केट छोटी अवधि के रुझान तय करने में कामयाब हो सकता है लेकिन लंबी अवधि में प्रदर्शन कैसा होगा या कंपनी के फंडामेंटल कैसे हैं, इससे ग्रे मार्केट का कोई संबंध नहीं है.
6. IPO में आवेदन देने से पहले बाजार में सेंटिमेंट कैसे हैं और आगे कौन से बड़े इवेंट हैं जो बाजार की चाल को प्रभावित कर सकते हैं, इसपर गौर करना जरूरी है. बाजार का सेंटिमेंट या रुझान कैसा है, ये IPO के रिस्पॉन्स पर असर डाल सकता है.
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