भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशक (foreign investors) हिस्सा लेते आ रहे हैं. हालांकि, देश के बॉन्ड मार्केट (bond market) में उन्हें अभी जगह नहीं मिली है. अगले साल ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स (global bond indices) में भारत के शामिल होने से देश इस बाजार में भी विदेशी निवेशकों के साथ जुड़ सकेगा. साथ ही विश्व के फाइनेंशियल मैप पर भी भारत की पहचान बढ़ेगी.
विदेशी फंड ने घरेलू शेयर बाजार को मजबूत बनाया है. निवेशकों को भी इनसे कई मोर्चों पर मदद मिली है. देश के बॉन्ड मार्केट में विदेशी निवेशकों की एंट्री इसी तरह कई मोर्चों पर लाभ पहुंचा सकती है. सबसे पहले तो देसी कंपनियों की कैपिटल तक पहुंच बढ़ेगी. इसी के साथ कैपिटल सस्ता भी होगा. मॉर्गन स्टेनली का अनुमान है कि इस फैसले से कैपिटल कम से कम 50 बेसिस पॉइंट (0.5%) तक सस्ता होगा.
रेटिंग एजेंसियों को मुख्य रूप से उच्च राजकोषीय घाटा (fiscal deficit) और चालू घाटा (current deficit) को लेकर चिंताएं हैं. देश ने वित्त वर्ष 2021 और 2022 की एक से अधिक तिमाहियों में चालू खाता अधिशेष (current account surplus) दर्ज किया है.
डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स रेवेन्यू में बढ़ोतरी होने से महामारी के दौरान खर्च में वृद्धि होने के बावजूद सरकार फिस्कल डेफिसिट पर नियंत्रिण पाने की स्थिति में है.
बॉन्ड इंडेक्स में भारत के शामिल होने से रेटिंग एजेंसियों की ओर से देश की इन्वेस्टमेंट ग्रेडिंग में भी सुधार हो सकेगा. यह रेटिंग खुद में विदेशी निवेश को आकर्षित करने की क्षमता रखती है. इसकी मदद से अगले 10 साल में बॉन्ड मार्केट भर में 170-250 अरब डॉलर तक जुटाने की उम्मीद की जा सकती है.
विदेशी निवेश आने से डॉलर की तुलना में रुपया की कीमत लगातार बढ़ सकती है. इससे निर्यातकों की चिंताएं बढ़ेंगी. मगर क्रूड ऑयल जैसे जरूरी आयात में मदद मिलेगी, जिनका अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर होता है. यह आश्चर्य की बात है कि 1.35 अरब की आबादी और बेहतरीन स्टॉक मार्केट वाला देश होने के बावजूद भारत को अब तक बॉन्ड इंडेक्स पर जगह नहीं मिली थी. उम्मीद है कि 2022 में तस्वीर बदल जाएगी.