Indian Bonds: भारतीय बॉन्ड बाजारों में विदेशी निवेशकों की जबरदस्त वापसी हुई है. अगस्त में सात महीने के अंतराल के बाद विदेशी निवेश प्रवाह (foreign investment inflow) को लेकर भारतीय बॉन्ड बाजारों में एक सुखद बदलाव देखा गया है. यह बदलाव सितंबर में भी अब तक जारी रहा है. मिंट (Mint) की एक रिपोर्ट के अनुसार विदेशी इन्वेस्टर्स ने अगस्त में 1.79 अरब डॉलर के भारतीय बॉन्ड और सितंबर में 40 करोड़ डॉलर के अन्य बॉन्ड अब तक खरीदे हैं. साल 2020 में, 8.9 बिलियन डॉलर से अधिक के बॉन्ड बाजार से बाहर हो गए थे.
बैंक ऑफ अमेरिका में ट्रेजरी के प्रमुख यश मेहता ने कहा कि भारतीय बॉन्ड बाजार में बदलाव के अलावा मुद्रा बाजार में भी एक अनुकूल बदलाव देखा जा रहा है.
यश मानते हैं कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल द्वारा जैक्सन हॉल में विदेशी निवेश को लेकर दिए गए भाषण के बाद से ही स्थिति में बदलाव देखने को मिला है.
इसका मतलब है कि वैश्विक बाजारों में डॉलर प्रचुर मात्रा में रहेगा और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को विदेशी निवेश के घटते स्टॉक के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा.
बांड बाजार में बदलाव के साथ विनिमय दर (exchange rate) में भी गिरावट देखने को मिली है. एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि आरबीआई विनिमय दर में कुछ ढील दे सकता है.
केंद्रीय बैंक हर बार विदेशी मुद्रा बाजार से डॉलर खरीदता है. यदि आरबीआई इसमे कुछ ढील नहीं देता है तो घरेलू रुपये की तरलता (liquidity) में कमी आएगी. यह विनिमय दर को कैरी ट्रेडों के लिए अनुकूल बनाता है.
कैरी ट्रेड्स कम समय में डॉलर को आकर्षित करते हैं. भारतीय बॉन्ड बाजार में निवेश पर ब्याज विनिमय दर पर ब्याज के तकरीबन बराबर ही है.
हालांकि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास मुद्रास्फीति को लेकर कुछ असहज होते दिख रहे हैं जबकि केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2022 के लिए अपने मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को पहले के 5.1 फीसद से बढ़ाकर 5.7 फीसद कर दिया है.
अगस्त के दौरान डॉलर के निवेश में विस्तार हुआ है. डिपॉजिटरीज के आंकड़ों से पता चलता है कि एक ही दिन, 25 अगस्त को प्राइमरी बॉन्ड मार्केट में 1.4 बिलियन डॉलर का इनफ्लो देखा गया.
ट्रेडर्स का मानना है कि इनफ्लो स्ट्रक्चर अब तक कॉरपोरेट बॉन्ड या ग्रीन बॉन्ड में रहा है, जो वर्तमान में विदेशी निवेशकों के पक्ष में है.
हालांकि मुद्रास्फीति अभी भी बाजार के लिए एक बाधा बनी हुई है. आने वाले महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति में कुछ कमी आ सकती है.
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