Shares in Demat Form: बरसों पहले शेयर बाजार में परिवार के किसी सदस्य ने निवेश किया लेकिन वक्त की धूल में फिजिकल फॉर्म में पड़े ये शेयर आपकी बड़ी कमाई करा सकते हैं. मसलन, अगर किसी ऐसी कंपनी के शेयर हैं जिनमें आज से 15-20 साल पहले उस समय की वैल्यू पर निवेश किया तो सोचिए आज के समय में उसकी वैल्यू क्या होगी.
उदाहरण के तौर पर, साल 2005 की शुरुआत में रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर का भाव 100-110 रुपये के करीब था, जबकि अब शेयर की 52-हफ्तों की ऊंचाई 2,368 रुपये रही है.
मार्केट रेगुलेटर SEBI ने अप्रैल 2019 से फिजिकल फॉर्म में पड़े शेयरों के ट्रांसफर पर रोक लगा दी थी. यानी, अगर आपके पास फिजिकल फॉर्म में शेयर पड़े हैं तो आप उसे किसी को ट्रांसफर या बेच नहीं सकते. हालांकि, SEBI की ओर से फिजिकल शेयर होल्ड करने पर पाबंदी नहीं है. लेकिन होल्ड करने से आपको कितना फायदा है ये आप खुद तय कर सकते हैं.
बेचने या फिजिकल फॉर्म में पड़े इन शेयरों से मुनाफा पाने के लिए आपको इन्हें डिमटीरियलाइज (Demat Form) कराना होगा. इसके लिए डीमैट खाता होना अनिवार्य है.
SEBI ने ये बदलाव फ्रॉड और मैन्युपुलेशन से जड़े रिस्क कम करने के लिए किया था. इसके अलावा, डीमैट में होने से निवेशकों को इनमें ट्रांजैक्शन करना ना सिर्फ ज्यादा आसान होगा बल्कि ज्यादा सुरक्षित भी रहेगा.
अगर आपके पास डीमैट खाता नहीं है तो सबसे पहले आपको डीमैट खाता (Demat Account) खुलवाना पड़ेगा. ये शेयरों में खरीदारी या बिक्री जैसे किसी भी ट्रांजैक्शन के लिए अनिवार्य है. डीमैट खाता खुलवाने के लिए आप किसी भी ब्रोकर (डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट) की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन खाता खुलवा सकते हैं. आपको नो यॉर कस्टमर (KYC) के लिए जरूरी कागजात स्कैन कर अपलोड करने होंगे. चार्ज वगैराह की जानकारी गौर से बढ़ें और तभी सब्मिट करें. कागजी प्रक्रिया पूरी होने के बाद आपकी ऐप्लीकेशन प्रोसेस की जाएगी, अप्रूवल के बाद आपको यूजर आईडी और पासवर्ड दिया जाएगा जिससे आप लॉग-इन कर सकते हैं.
फिजिकल फॉर्म में पड़े शेयर को डीमैट में तब्दील कराने के लिए आपको इस डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट के पास डीमैटिरियलाइजेशन रिक्वेस्ट फॉर्म (DRF) भरकर देना होगा. इस फॉर्म के साथ फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट भी देने होंगे. आप अपन पास इनकी फोटोकॉपी रख सकते हैं. अगर अलग-अलग कंपनियों के शेयर फिजिकल फॉर्म में पड़े हैं तो अलग-अलग DRF भरने होंगे.
इसके आगे प्रक्रिया को बढ़ाना डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट की जिम्मेदारी होती है. एक ब्रोकिंग कंपनी के CEO ने बताया कि प्रक्रिया पूरी होने के बाद आपको जानकारी दे दी जाएगी. इस प्रक्रिया में 15 दिन से एक महीने का समय लग सकता है.
एक ब्रोकिंग कंपनी के CEO ने हमसे चर्चा में कहा, “अगर आपके पास किसी ऐसी कंपनी के शेयर फिजिकल फॉर्म में पड़े हैं जो अब डीलिस्ट हो चुके हैं उनको भी डीमैटिरियलाइज (Demat Form) कराने की प्रक्रिया यही है लेकिन ऐसा करने से पहले निवेशक बारीकियां समझ लें. इन शेयरों में ट्रेडिंग नहीं हो सकती, इसलिए बिना किसी ट्रांजैक्शन के भी आपको डीमैट खाते के चार्जेस देने पड़ सकते हैं. जब तक ये शेयर डेड स्टॉक नहीं हो जाता आपको डीमैट खाते पर चार्जेस देने पड़ेंगे.”
वे कहते हैं कि आज के रेगुलेटरी माहौल में अच्छी कंपनियां डीलिस्ट नहीं होती. इसलिए अगर आपके पास ऐसी किसी डीलिस्ट हुई कंपनी के फिजिकल शेयर पड़े हैं तो उन्हें डीमैट में तब्दील कराने का कष्ट ना करें, उसे घाटा मान लें.
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