Global Investing: भारतीय शेयर बाजार में अच्छी रौनक देखने को मिल रही है. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप पहली बार 3 ट्रिलियन डॉलर के पार निकला है. लेकिन अगर आप अमेरिका, युनाइटेड किंग्डम, सिंगापुर या किसी अन्य देश के शेयर बाजार पर दांव लगाना चाहते हैं तो कैसे करें?
निवेशक लिब्रलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत विदेशों के शेयरों, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF), म्यूचुअल फंड्स (गैर-अमेरिकी) और फिक्स्ड इनकम प्रोडक्ट्स में एक साल में अधिकतम 250,000 डॉलर का निवेश कर सकते हैं. रुपये के मौजूदा भाव के मुताबिक ये रकम पौने 2 करोड़ रुपये से ज्यादा आती है.
मार्केट एक्सपर्ट अविनाश गोरक्षकर मानते हैं कि निवेशकों में अमेरिकी बाजार की ओर रुझान बढ़ा है. उनका कहना है, “खास तौर पर नेटफ्लिक्स, गूगल, अमेजॉन जैसी टेक्नोलॉजी कंपनियों में जोरदार तेजी ने निवेशकों को आकर्षित किया है. ये वो कंपनियां हैं जिन्होंने अमेरिकी बाजार मे निवेशकों के लिए सबसे ज्यादा वेल्थ क्रिएशन किया है. ऐसे कई HNIs हैं जिन्होंने पहले ही भारतीय बाजार में काफई एक्सपोजर लिया हुआ है और अब विदेश में पैसा लगाना चाहते हैं क्योंकि किसी अन्य हार्ड कमोडिटी में पैसा लगाने से बेहतर है इन शेयरों में पैसा लगाना.”
गोरक्षकर का कहना है कि इससे निवेशकों डायवर्सिफिकेशन में आसानी होगी. साथ ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए KYC और निवेश की प्रक्रिया आसान हुई है.
गौरतलब है कि अमेरिकी बाजार में शेयरों में फ्रैक्शनल ओनरशिप (Fractional Ownership) और बिना किसी न्यूनतम लिमिट के निवेश की सुविधा देते हैं जिससे रिटेल निवेशक फायदा उठा सकते हैं.
ऐसे कई म्यूचुअल फंड्स हैं जो विदेशी बाजार में निवेश (Global Investing) करते हैं. कुछ फंड्स ऐसे हैं जिनमें विदेशी शेयरों का एक्सपोजर है जबकि ज्यादातर फंड ऑफ फंड के जरिए विदेशी बाजार में निवेश करते हैं.
अगर आप सीधे शेयरों मे निवेश करना चाहते हैं तो आपके पास कई विकल्प हैं जिन्हें हम आपको बता रहे हैं.
आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने विस्तार करते हुए सोमवार से यूके, सिंगापुर, जापान और जर्मनी के शेयर बाजारों में भी निवेश करने का रास्ता खोल दिया है. इससे पहले कंपनी ने अगस्त 2020 में अमेरिकी बाजार के लिए सेवाएं पहले ही शुरू कर दी हैं. ये सुविधा अमेरिका की ब्रोकरेज कंपनी इंटरएक्टिव ब्रोकर्स के साथ करार किया है. कंपनी का कहना है कि अमेरिका के बाद अन्य ग्लोबल मार्केट्स के लिए निवेशकों में रुझान और मांग थी जिसके चलते 5 अन्य देशों के शेयर बाजार के लिए मौका दिया जा रहा है.
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के हेड- प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट अनुपम गुहा का कहना है कि इससे कंपनी के 55 लाख ग्राहकों को रेगुलेटेड विदेशी बाजार में निवेश करने और पोर्टफोलियो में जियोग्रॉफी कंसंट्रेशन के लिहाज से जोखिम कम करने का मौका मिलेगा.
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के जरिए ग्लोबल इन्वेस्टिंग की जा सकती है. इसके लिए कंपनी ने स्टॉकल के साथ करार किया है. ऐसे ग्राहक जो विदेशी बाजार में निवेश करना चाहते हैं उन्हें HDFC सिक्योरिटीज स्टॉकल (Stockal) पर रेफर करता है जहां से इन्वेस्टर विदेशी शेयरों में पैसा लगा सकते हैं.
स्टॉकल एक प्लेटफॉर्म की तरह काम करता है जिसके जरिए निवेशक ग्लोबल ऐसेट्स में एक खाते के जिरए निवेश कर सकते हैं. स्टॉकल अपनी वेबसाइट के मुताबिक कंपनी का हेडक्वार्टर न्यू यॉर्क में है और भारत में बंगलुरू में ऑफिस है. इस स्टार्टअप में भारत, यूके, सिंगापुर और अमेरिका के कई निवेशक शामिल हैं.
एक्सिस डायरेक्ट वेस्टेड फाइनेंस (Vested Finance) के साथ मिलकर ग्लोबल इन्वेस्टिंग का प्लेटफॉर्म मुहैया कराता है. एक्सिस डायरेक्ट भी वेस्टेड फाइनेंस के लिए बतौर रेफरर का ही काम करता है.
कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक SIPC (सिक्योरिटीज इन्वेस्टर प्रोटेक्शन कॉरपोरेशन) के जरिए हर खाते में 500K डॉलर और फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (FDIC) के तहत 250K डॉलर तक का इंश्योरेंस है.
वेस्टेड फाइनेंस खुद को अमेरिकी बाजार में निवेश के लिए जीरो कमीशन इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म बताता है. भारत में रहने वाले निवेशकों के साथ ही NRIs भी इस खाते का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस प्लेटफॉर्म के जरिए अमेरिकी बाजार और ETF में निवेश करना मुमिकन है.
अन्य प्लेटफॉर्मस की ही तरह विदेशी बाजार में निवेश के लिए कोटक स्कियोरिटीज ने इंटरैक्टिव ब्रोकर्स के साथ करार किया है. इंटरैक्टिव ब्रोकर्स निवेशकों को ग्लोबल शेयरों, वायदा बाजार (फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस), बॉन्ड्स और फंड में एक इंटिग्रेटेड खाते से निवेश करने का मौका देता है. खाते में किसी भी अन्य करेंसी के जरिए फंड कर सकते हैं. कंपनी का कहना है कि निवेशक के पास 33 देशों में पैसा लगाने का मौका प्लेटफॉर्म देता है.
शेयर बाजार में निवेश जोखिम भरा रहता है. अमेरिकी बाजार पर छोटी अवधि के रिस्क बताते हुए मार्केट एक्सपर्ट अविनाश गोरक्षकर कहते हैं, “अगर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन चुनाव में किए वादे पूरे नहीं कर पाते हैं तो उससे जोखिम बढ़ेगा. टेक्नोलॉजी कंपनियों को ट्रंप सरकार ने कई राहत दी थी. लेकिन अगर बाइडन टैक्स पर फैसले वापस लेते हैं तो उससे छोटी अवधि में थोड़ा दबाव दिख सकता है. लेकिन इन कंपनियों में लागत कम है और इनमें रिकवरी भी जल्दी होगी.”
वे मानते हैं कि फिलहाल अमेरिकी बाजारों में ही निवेशकों का रुझान ज्यादा है. अन्य बाजारों में रुचि बढ़ने में समय लग सकता है.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।