कई सफल आईपीओ के मद्देनजर देश में डीमैट अकाउंट (demat account) की संख्या में अचानक आई तेजी ने बढ़ती चिंताओं को जन्म दिया है. रिटेल निवेशक प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों बाजारों में तेजी से मुनाफा कमाने की उम्मीद में आ रहे हैं. असल बात है कि इनमें से आधों को मार्केट के बारे में आधी भी जानकारी नहीं है और ज्यादा पैसा बनाने के सपनों को लेकर वो कूद रहे हैं. जो नियामकों के लिए एक चिंता का विषय है.
भारत में अभी तक 6.3 करोड़ डिमैच अकाउंट (demat account) हैं, जो 2019-20 में 4 करोड़ तक के आंकड़े पर थे. यह 15 महीने की छोटी सी अवधि में 58% की वृद्धि है, जो देश में सबसे तेज वृद्धि दर्ज कर रहा है.
सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (CDSL) ने हाल में नया रिकॉर्ड दर्ज किया है, जब डीमैट अकाउंट्स ने जून में 4 करोड़ का बेंचमार्क पार किया था. CDSL और प्रतिद्वंद्वी नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी (NSDL) के पास भारत में डीमैट खातों की कुल संख्या जून के अंत तक 6 करोड़ का आंकड़ा पार कर गई थी.
मार्केट के जानकारों के मुताबिक “शेयर बाजार में बड़े आईपीओ जैसे लाइफ इंश्योरेंस कॉर्प और पेटीएम जैसे नाम पाइपलाइन में हैं, इन दोनों को देखते हुए डीमैट अकाउंट की संख्या में अभी और इजाफा होने की जरूरत है.” महाराष्ट्र और गुजरात दो ऐसे राज्य हैं, जहां शेयर बाजार में हिस्सा लेने वाले निवेशकों की संख्या सबसे ज्यादा है.
जैसा कि देश अभी भी एक भयानक महामारी के दौर से गुजर रहा है, महत्वाकांक्षी मध्यम वर्ग की इक्विटी बाजार में अपनी किस्मत आजमा रहा है, जो एक चिंता का विषय भी है.
एक फैक्ट ये भी है कि देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़ने पर खुदरा निवेशकों की संख्या बढ़ने की संभावना होती है. भविष्य में मध्यम और उच्च मध्यम वर्गों से सबसे ज्यादा खुदरा निवेशकों के आने की उम्मीद है. लेकिन इसमें चिंता की बात ये है कि भारतीय निवेशक अभी बाजार को लेकर इतना समझदार नहीं हुआ है, उसके ज्यादातर फैसलेबाजार में निहित स्वार्थों से प्रेरित हैं.
बाजार में रिटेल निवेशक गतिविधि को बढ़ावा देने के हिस्से के रूप में, मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज और एक्सचेंज बोर्ड ने मिलकर निवेशक की समझ और वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने के संयुक्त प्रयास किए थे. एक्सचेंज, डिपॉजिटरी और अलग ट्रेड निकाय जैसे एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया के साथ सहयोग करते हुए, इसने सालों से निवेशक शिक्षा गतिविधियों की एक श्रृंखला शुरू की है. रेगुलेटर ने जागरूकता पैदा करने के लिए बिजनेस चैनलों के साथ-साथ निवेशकों की शिक्षा पर रीजनल सेमिनारों के जरिए काफी कोशिशें की हैं.
इस तरह की शुरुआत ने कुल मिलाकर रिटेल इनवेस्टर्स की फाइनेंशियल जागरुकता और समझ पर सकारात्मक असर डाला है. बड़ी संख्या में नए लोग स्टॉक्स में निवेश करने के लिए बिना जानकारी और समझ पैदा किए बाजार में उतर रहे हैं. इसके कारण वो मौजूदा बाजार की हालत हो देखते हुए अपना नुकसान कर रहे हैं.
मुंबई में मौजूद एक ब्रोकर के मुताबिक “बाजार रेगुलेटर के साथ साथ स्टॉक एक्सचेंज रिटेल निवेशकों को जागरुक और वित्तीय समझ पैदा करने के लिए कैंपेन चला रहा है. रिटेल निवेशकों के लिए सलाह है कि वो स्टॉक मार्केट में अपनी गतिविधियां जारी रखें लेकिन उनके शॉक एग्जिट से बचें.”
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