E-Voting in Stock Market: क्या आप भी शेयर बाजार में निवेश करते हैं? जिस कंपनी के शेयर में निवेश है, क्या आप उस कंपनी की एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) या ई-वोटिंग में भाग लेते हैं? अगर आपने इंफोसिस या HUL जैसे शेयरों में निवेश किया है तो आपको हाल ही में जरूर एक ई-मेल और मैसेज आया होगा. इस ई-मेल को आपने शायद नजरअंदाज किया हो. ये मैसेज होता है कंपनी की ई-वोटिंग को लेकर. इसमें भाग लेने की झंझट से आप शायद दूर ही रहना चाहते हों, और ऐसा करने वाले आप इकलौते नहीं हैं. ऐसे लाखों रिटेल शेयर धारक हैं जो कंपनियों की ई-वोटिंग का हिस्सा नहीं बनते. लेकिन, ये आपके लिए ही नुकसानदेय है.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटीज मार्केट (NISM) की वित्त वर्ष 2019-2020 की एक सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में एक फीसदी से भी कम रिटेल शेयरधारक ई-वोटिंग का हिस्सा बनते हैं. वहीं, इसी इंस्टीट्यूट की फैकल्टी के कृष्णमूर्ति की एक स्टडी में बताया गया है कि साल 2018-19 में ई-वोटिंग में सिर्फ 0.6 फीसदी रिटेल शेयरधारकों ने ई-वोटिंग में हिस्सा लिया.
ऐसा कई बार होता है जब किसी कंपनी को शेयर बायबैक, AGM जैसे कुछ फैसले लेने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी लेनी होती है. पहले कंपनियां रेजॉल्यूशन पास करती थी जिसमें मौजूद शेयरधारक किसी फैसले पर अपनी हामी देते थे या नहीं. ये पहले पेपर के जरिए होता था. पोस्ट के जरिए भी कंपनियां रेजॉल्यूशन पर मंजूरी ली जाती थी.
वोट लेने की इसी प्रक्रिया को इलेक्ट्रिक किया गया है ताकि ज्यादा शेयरधारक वोट डाल सकें. इस सर्विस के जरिए शेयरधारक वोटिंग प्लेफॉर्म के जरिए वे घर या ऑफिस से भी सुरक्षित तरीके से वोटिंग कर सकते हैं.
इसके लिए पात्र शेयरधारकों को यूजर आईडी और पासवर्ड दिया जाता है और सम की भी जानकारी दी जाती है.
इस प्रक्रिया के जरिए कई अहम फैसले लिए जाते हैं. शेयर बाजार की समझ बढ़ाने से लेकर आपका पैसा जिस कंपनी में लगा है वो आगे किस तरह के प्लान बना रही है, कहां खर्च कर रही है इसपर आपकी मंजूरी भी जरूरी है.
इस ई-वोटिंग के जरिए बायबैक, डिविडेंड, शेयर कैपिटल का इस्तेमाल, बोर्ड और मैनेजमेंट का चुनाव, इक्विटी शेयर जारी करना, मैनेजमेंट की दी जाने वाली इनकम जैसे कई अहम फैसले लिए जाते हैं. ये फैसले आपके पैसे की ग्रोथ और आपके मुनाफे पर भी असर डालेंगे.
यही वजह है कि SEBI ने भी इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए नियम बनाए हैं.