BSE के चेयरमैन आशीष कुमार चौहान ने कहा कि मोबाइल ट्रेडिंग की वजह से फाइनेंशियल मार्केट में लोगों की संख्या बढ़ रही है. उन्होंने यह भी कहा कि जन धन-आधार-मोबाइल (JAM), जिसने एक साल के अंदर लगभग 30 करोड़ अकाउंट जोड़े, भारत को फाइनेंशियल इन्क्लूजन मॉडल में ले आया है.
BSE के चेयरमैन ने कहा कि 1 जनवरी 2020 से वर्तमान तक निवेशकों की संख्या में 60% का इजाफा हुआ है, जिसमें रोजाना औसतन 70,000 लोग जुड़ रहे हैं, जो कुल टैली को 7.5 करोड़ निवेशकों तक ले जाते हैं. साल 2008 में बीएसई के पास एक करोड़ इन्वेस्टर अकाउंट थे, जबकि जनवरी 2021 में यह संख्या बढ़कर छह करोड़ इन्वेस्टर अकाउंट तक पहुंच गई थी.
मोबाइल ट्रेडिंग का ग्रोथ में बड़ा योगदान
बीएसई के अध्यक्ष ने कहा कि मोबाइल की बड़ी भौगोलिक पहुंच के कारण मोबाइल ट्रेडिंग के जरिए बड़ी संख्या में लोग फाइनेंशियल मार्केट में एंटर कर रहे हैं. जब संख्या की बात आती है, तो पश्चिमी क्षेत्र में सबसे अधिक 34% अकाउंट हैं, जिसने 25% की बढ़त देखी, इसके बाद उत्तरी क्षेत्र में कुल अकाउंट 28% है, जिसमें 67% की वृद्धि देखी गई.
दक्षिणी क्षेत्र में कुल अकाउंट 23% है, जिसने 61% की बढ़त देखी, और अंत में पूर्वी क्षेत्र में, जिसमें 13% की हिस्सेदारी है, इसके कस्टमर अकाउंट की संख्या में 68% की बढ़ोतरी हुई. उन्होंने कहा कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप में लोग JAM का इस्तेमाल म्यूचुअल फंड खरीदने के लिए करते हैं.
चौहान के अनुसार, विभिन्न क्षेत्रों में फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट आ रहे हैं, क्योंकि स्टॉक एक्सचेंज सहित ट्रेडिशनल इंस्टीट्यूट बिजनेस मॉडल को बनाए रखने के लिए जबरदस्त दबाव में हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ट्रेडिशनल इंस्टीट्यूट भी अपने बिजनेस मॉडल को बनाए रखने के लिए नए नियम बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि भारत को ज्यादा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट बनाने चाहिए, ताकि यदि कोई इंस्टीट्यूट छोटी या लंबी अवधि के लिए बंद हो जाए, तो बाकी इकोसिस्टम काम करना जारी रखे.