कोरोना महामारी जैसे संकट के वक्त भी BSE का मार्केट कैप 3 लाख करोड़ डॉलर (3 ट्रिलियन डॉलर) के पार निकला है. 2.5 लाख करोड़ से 3 लाख करोड़ का सफर 159 दिनों में यानी 6 महीने से भी कम के समय में हासिल किया गया है.
दूसरी ओर, भारतीय बाजार में कुल निवेशकों की संख्या 7 करोड़ के ऊपर चली गई है. BSE के MD और CEO आशीष चौहान मानते हैं कि 5 लाख करोड़ डॉलर का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं होगा. वे मानते हैं कि निवेशकों के लिए नए उभरते सेक्टर में बड़े मौके हैं.
मनी9 से खास चर्चा में आशीष चौहान ने कहा, “BSE पर जो कुछ भी होता है वो समाज और कॉरपोरेट जगत में जो हो रहा है उसी का प्रतिबिंब है. 31 मार्च 2002 को हमारा मार्केट कैप 125 अरब डॉलर था. 3 लाख करोड़ डॉलर का लक्ष्य हासिल करने में 19 साल लगे हैं. इस लिहाज से BSE ने 19% CAGR दर्ज की है.”
नई कंपनियों की लिस्टिंग, पहले से लिस्टेड कंपनियों की ग्रोथ और अर्थव्यवस्था में मजबूती ने BSE के मार्केट कैप के उछाल को दिशा दी है.
BSE चेयरमैन का कहना है कि इस 19 फीसदी में से 6 फीसदी ग्रोथ नई लिस्टिंग की वजह से आई है, जबकि 13 फीसदी भागीदारी 2002 के पहले से लिस्टेड कंपनियों की ओर से रही. इसके अलावा, 1 से 2 फीसदी बतौर डिविडेंड यील्ड हासिल हुआ है. निवेशकों को कैपिटल पर साल-दर-साल 15-16 फीसदी का रिटर्न मिल रहा है.
चौहान का कहना है कि 2007 में 1 लाख करोड़ डॉलर का मार्केट कैप हासिल किया गया था. लेकिन उसके बाद फाइनेंशियल क्राइसिस से बाजार में 50-60 फीसदी तक की गिरावट आई. 2014 में मार्केट कैप 2 ट्रिलियन डॉलर के करीब पहुंचा था.
चौहान कहते हैं, “मार्केट कैप और GDP रेश्यो 112 पर है जो पहले के औसत से काफी ज्यादा है. लेकिन ये आकलन बेहद कम GDP ग्रोथ के आंकड़े के आधार पर है. मार्केट कैप में बदलाव आता रहता है लेकिन उतनी तेजी से ही GDP के आंकड़े जारी नहीं होते. जब मार्च तिमाही के ग्रोथ आंकड़े आएंगे तो ये बैलेंस होता दिखाई देगा.”
आशीष चौहान कहते हैं कि अगले 5 साल में ही 5 लाख करोड़ डॉलर का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. उनके मुताबिक, इस 60 फीसदी की रफ्तार को हासिल करने के लिए भारत को सामान्य ग्रोथ ही जारी रखनी होगी.
उनका कहना है, “भारत अगर 7.5 से 10 फीसदी की ग्रोथ भी हासिल करे तो 5 ट्रिलियन का लक्ष्य 5 साल में हासिल किया जा सकता है, ये आंकलन अमेरिकी महंगाई दर के हिसाब से है. भारत ने इससे बेहतर ग्रोथ भी हासिल की है इसलिए ये ग्रोथ बिल्कुल हासिल हो सकती है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि महामारी जैसा कोई और संकट ना आए.”
उनका कहना है कि न्यू एज कंपनियों, जोमैटे जैसी कंपनियों और LIC जैसे दिग्गज इस तेजी को ड्राइव कर सकते हैं. नई कंपनियों की लिस्टिंग पुरानी कंपनियों के मुकाबले ज्यादा तेजी से वैल्यू जोड़ती हैं. इसके लिए आशीष चौहान IT सेक्टर में इन्फोसिस का उदाहरण देते हैं. IT और इनसे जुड़ी कंपनियां जो ज्यादा तेजी से स्केल-अप कर सकती हैं उन कंपनियों में ग्रोथ की संभावना है.
फार्मा सेक्टर पर भी सरकार अब काम कर रही है. यही वजह है कि वे फार्मा, बायोटेक्नोलॉजी और एग्री क्षेत्र पर बुलिश हैं.
वे सोलर एनर्जी, रोबॉटिक्स, ड्रोन जैसे नए उभरते क्षेत्र से भी उम्मीदें रखते हैं.
आशीष चौहान कहते हैं कि कोरोना की शुरुआत में 4.5 करोड़ निवेशक थे लेकिन अब अब तकरीबन 7 करोड़ निवेशक हैं. इस तरह की ग्रोथ पहले नहीं देखी गई है. भारत में निवेशकों की संख्या कई देशों की आबादी से भी ज्यादा हो गई है. लेकिन ये भारत की आबादी का सिर्फ 5 फीसदी है जो आगे और बढ़नी चाहिए.
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