राकेश झुनझुनवाला के पसंदीदा स्टॉक पर ब्रोकरेज का भरोसा, हो सकती है अच्छी ग्रोथ

Tata Company Brokerage Report: एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग ने टाटा ग्रुप की इस लग्जरी प्रॉडक्ट्स बेचने वाली कंपनी का टार्गेट प्राइस 2,228 रुपये रखा है

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टाइटन के शेयर 2 सितंबर, 2021, से बीते एक साल के अंदर 66% उछलकर 1,966 रुपये पर पहुंच गए हैं. बेंचमार्क BSE सेंसेक्स में इस दौरान 48% बढ़त हुई है

टाइटन के शेयर 2 सितंबर, 2021, से बीते एक साल के अंदर 66% उछलकर 1,966 रुपये पर पहुंच गए हैं. बेंचमार्क BSE सेंसेक्स में इस दौरान 48% बढ़त हुई है

एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग ने टाइटन कंपनी को कवरेज देना शुरू कर दिया है. ब्रोकरेज ने टाटा ग्रुप की इस लग्जरी प्रॉडक्ट्स बेचने वाली कंपनी का टार्गेट प्राइस 2,228 रुपये रखा है. उसने कंपनी की आमदनी में अच्छी ग्रोथ होने से प्रीमियम वैल्यूएशन बने रहने की उम्मीद जताई है.

टाइटन के शेयर 2 सितंबर, 2021, से बीते एक साल के अंदर 66 प्रतिशत उछलकर 1,966 रुपये पर पहुंच गए हैं. दूसरी तरफ, बेंचमार्क BSE सेंसेक्स में इस दौरान 48 फीसदी बढ़त हुई है. शेयर बाजार में ‘बिग बुल’ के नाम से मशहूर निवेशक राकेश झुनझुनवाला के पास 30 जून तक टाइटन के 4.26 करोड़ शेयर थे.

एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग को उम्मीद है कि ज्वैलरी सेगमेंट वित्त वर्ष 2020-24 के बीच रेवेन्यू और EBIT में 15 प्रतिशत की सालाना ग्रोथ दर्ज करेगा. मार्केट शेयर में बढ़त, स्टोर्स में विस्तार और इनोवेटिव आइडिया के बल पर यह अच्छी ग्रोथ करेगा. ऑर्गनाइज्ड ज्वैलरी रिटेल शेयर वित्त वर्ष 2021 में 32 प्रतिशत पहुंच चुका है, जो वित्त वर्ष 2007 में छह फीसदी पर था.

ब्रोकरेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘टाइटन में ज्वैलरी सेक्टर में होने वाली लॉन्ग-टर्म ग्रोथ को भुनाने की क्षमता है. मार्केट शेयर में अपनी हिस्सेदारी यह लगातार बढ़ा पाएगी. मार्केट शेयर में होने वाली बढ़त के दम पर ही तनिष्क ने अपना दबदबा बढ़ाया है, जबकि इंडस्ट्री की ग्रोथ बीते पांच साल में कमजोर रही है. वित्त वर्ष 2016-20 के बीच ज्वैलरी सेगमेंट का रेवेन्यू सालाना आधार पर 18 फीसदी बढ़ा है. इससे मार्केट शेयर गेन की तस्वीर साफ होती है. तनिष्क का मार्केट शेयर मिड-सिंगल डिजिट में बना हुआ है. वहीं, सेगमेंट की कई कंपनियां कोरोना के कारण मुश्किल वक्त से गुजर रही हैं. ऐसे में टाइटन के लिए ग्रोथ का अच्छा रास्ता बनता दिख रहा है.’

ज्वैलरी इंडस्ट्री में 2013 से कई रेगुलेटरी बदलाव हुए हैं. इससे टाइटन जैसी ऑर्गनाइज्ड कंपनियों को फायदा मिला है. ‘गोल्ड ऑन लीज’ (gold on lease) पर बैन लगने, आयात में 80:20 का नियम लागू होने, दो लाख की कैश लिमिट किए जाने, नोटबंदी और GST के आने से कई परिवर्तन हो चुके हैं. इनकी मदद से ऑर्गनाइज्ड प्लेयर्स के मार्केट शेयर बढ़े हैं.

एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग का कहना है, ‘ऐसे बदलावों के चलते उपभोक्ता ऑर्गनाइज्ड सेक्टर पर अधिक भरोसा करने लगे हैं. इसके कारण अनऑर्गनाइज्ड कंपनियों को पैसे की कमी होने लगी है. इससे उनका ऑपरेशन घट रहा है और ऑर्गनाइज्ड फर्मों को अधिक मौका मिल रहा है.’

Published - September 3, 2021, 06:35 IST