Auto Sector: कोरोना महामारी के कारण ऑटो सेक्टर ने काफी खराब दौर देखा है. इसका साफ असर बीती तिमाही में भी देखने को मिला है. लॉकडाउन की पाबंदियों के चलते तिमाही दर तिमाही की बात करें तो ऑटो कंपनियों के रेवेन्यू में 22.4 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. लेकिन लगातार निर्यात हालातों को संभाले हुए हैं. लॉकडाउन के अलावा, ऑटो सेक्टर को सेमी-कंडक्टर, कीमती धातु और कंटेंनरों की भारी किल्लत का सामना भी करना पड़ रहा है. इन सब के चलते EBITDA मार्जिन पर भी असर देखने को मिला है.
ऑटो कंपनियों पर शेरखान के विश्लेषण में सामने आया कि कुल कम्युलेटिव EBITDA मार्जिन में नेगेटिव ऑपरेटिंग लेवेरेज और कच्चे माल की कीमतों में इजाफे के कारण तिमाही-दर-तिमाही~ 240 बेसिस प्वाइंट की गिरावट देखी गई है.
शेरखान की रिपोर्ट के मुताबिक “वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में कंपनियां एडमिनिस्ट्रेटिव लागत पर नियंत्रण करने के लिए लगातार डिजिटलाइजेशन पर फोकस कर रही हैं और प्रोडेक्ट इनोवेशन के जरिए व्यापार को विस्तार दे रही हैं.”
OEMs (ऑरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर) के विपरीत, ऑटो सहायक कंपनियों ने ऑटोमोबाइल के निर्यात में मजबूती के साथ ऑटोमोबाइल कंपनियों से ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है.
कमजोर तिमाही के बावजूद, अधिकांश कंपनियों ने मांग में सुधार की उम्मीद के मद्देनजर बेहतर भविष्य की उम्मीद जताई है. इसके अलावा, बीते सालों में मजबूत खरीफ उत्पादन के कारण ग्रामीण क्षेत्र में बेहतरी की उम्मीद है.
शेयरखान का मानना है कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में मजबूत डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क रखने वाली कंपनियों को इससे फायदा होगा.
दोनों, OEMs और सहायक इकाइयां, इन्वेंट्री और ऑपरेशन को बेहतर ढंग से मैनेज करके तीसरी लहर या COVID-19 के किसी भी नए वैरिएंट से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं.
ब्रोकरेज फर्म कोविड -19 से संबंधित समस्याओं और चिपों की कमी की बावजूद ऑटो के क्षेत्र में पॉजिटिविटी बनी हुई है. पैसेंजर व्हीकल (PV) सेगमेंट यानि दो पहिया और चार पहिया वाहनों में कोरोना के बावजूद अच्छी मांग देखी जा रही है.
लोग अपने निजी वाहनों की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. दक्षिण और पश्चिमी भारत के ग्रामीण इलाकों में अच्छे मानसून सीजन, ज्यादा जलस्तर और अच्छी खरीफ की फसल के चलते ज्यादा मांग की उम्मीद जताई जा रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक “वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 में CV सेगमेंट में सबसे मजबूत रिकवरी, बेहतर आर्थिक गतिविधियों, कम ब्याज दर व्यवस्था और बेहतर फाइनेंसिंग उपलब्धता से प्रेरित है.” सेमी-कंडक्टर की आपूर्ति की समस्या और COVID-19 संक्रमण या वैक्सीनेशन रोलआउट से उबरने में देरी, ऑटो सेक्टर के लिए जोखिम की बात है.
ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में पॉजिटिव रेफरेंस के कारण दो पहिया वाहनों में, शेयरखान हीरो मोटोकॉर्प को तरजीह देता है. कार के मामले में शेर खान मारुति-सुजुकी को तरजीह मिलती है जिसका घरेलू मार्केट में अच्छा कब्जा और साथ ही अच्छी डिमांड की उम्मीद है.
ट्रैक्टर सेगमेंट में एमएंडएम अग्रणी स्थिति में है और एलसीवी (लाइट कमर्शियल वाहन) और यूवी (यूटिलिटी वाहन) जैसे अन्य क्षेत्रों में लगातार बेहद डिमांड देखी जा रही है.
ऑटो सहायक कंपनियों में शेयरखान बॉश, सुंदरम फास्टनरों, सुप्रजीत इंजीनियरिंग, रामकृष्ण फोर्जिंग, गेब्रियल इंडिया, ग्रीव्स कॉटन और अपोलो टायर्स को लेकर बुलिश है.
(डिस्क्लेमर: इस खबर में सिफारिशें संबंधित शोध और ब्रोकरेज फर्मों द्वारा बताई गईं हैं. Money9 और मैनेजमेंट उनकी निवेश सलाह के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं उठाता है. निवेश करने से पहले कृपया अपने निवेश सलाहकार से सलाह जरूर लें)
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