Loan Moratorium: लोन में छूट की उम्मीद कर रहे लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) योजना को और आगे बढ़ाए जाने की याचिका को खारिज कर दिया.
साथ ही याचिकाकर्ता से कहा कि वे अपनी मांग के लिए केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास जाएं. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ‘सरकार के पास है और भी काम”
कोरोना काल में आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं लोग पिछली बार की तरह इस बार भी लोन में छूट की उम्मीद कर रहे थे. मगर उनकी ये आस सुप्रीम कोर्ट के फैसले से टूट गई.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम योजना (Loan Moratorium Scheme) को और आगे बढ़ाने एवं इंटरेस्ट माफ किए जाने की याचिका को खारिज कर दिया. साथ ही कहा, सरकार के पास और भी काम हैं, उन्हें लोगों को टीका लगाना है और अप्रवासी मजदूरों की समस्या को सुलझाना है. कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि वह सरकारी नीतियों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती. कोर्ट सरकार की नीतियों का तब तक ज्यूडिशियल रिव्यू नहीं सकती, जब तक कि वे मनमाने और दुर्भावनापूर्ण न हो.
इन दिनों सराकर भी कोरोना के कारण भयंकर वित्तीय संकट से जूझ रही है. सरकार के पास और भी कई महत्वूपर्ण काम हैं, जो इस समय देश की प्राथमिकता है. ऐसे में याचिकाकर्ता अपनी इस मांग के लिए केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास जाएं.
याचिकाकर्ता ने अपील में कहा था कि कोविड की नई लहर को देखते हुए एक बार फिर लोन मोरेटोरियम स्कीम को लागू किया जाए. कई राज्यों में अभी तक लगाए गए लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा है. लोगों के रोजगार छिन गए हैं.
वहीं बड़ी संख्या में लोगों के संक्रमित होने से उनका काफी पैसा इलाज में खर्च हो रहा है. ऐसे में वे ईएमआई चुकाने में असमर्थ हैं. इससे पहले 24 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 11 जून तक टाल दी थी.
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