Home Construction Loan: ड्रीम होम का सपना सबका होता है, लेकिन उसे पूरा करने के लिए काफी पैसों की जरूरत पड़ती है.
मगर, परेशान होने की जरूरत नहीं है. आपका यह सपना होम कंस्ट्रक्शन लोन (Home Construction Loan) लेकर पूरा हो सकता है.
रेडी टू मूव इन हाउस खरीदने या फिर अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी को बुक करने के अलावा लोग प्लॉट पर घर बनवाने के लिए भी होम लोन लेते हैं.
ऐसे लोन्स को कंस्ट्रक्शन लोन्स भी कहा जाता है. कंस्ट्रक्शन लोन एक शॉर्ट-टर्म अंतरिम लोन है, जो किसी बिल्डिंग को बनवाने के लिए लिया जाता है.
कंस्ट्रक्शन लोन तीन तरह के लोगों को मिलता है. वेतनभोगी, बिजनेसमैन, सेल्फ एम्प्लॉयड. वेतनभोगी की सैलरी उसके एकाउंट में जमा होनी चाहिए, तभी लोन मिलेगा.
कैश में मिलने वाली सैलरी पर लोन नहीं मिलता है. अगर आप बिजनेसमैन हैं, तो आपके पास आपके बिजनेस के सारे डॉक्यूमेंट्स होने चाहिए. जैसे आइटीआर, बैलेंसशीट आदि. इसके अलावा वकील, सीए, डॉक्टर जैसे सेल्फ एम्प्लॉयड के केस में भी सभी दस्तावेजों के साथ अपने प्रोफेशन की डिग्री भी होनी जरूरी है.
कंस्ट्रक्शन लोन के लिए रेसिडेंशियल लैंड होनी जरूरी है. अगर जमीन घर के किसी सदस्य यानी भाई, बहन, पत्नी के नाम से हैं, तो उसको को-एप्लीकेंट बनाना पड़ेगा.
इसके अलावा लोन लेने के लिए आपकी उम्र 24 से 55 साल की होनी चाहिए. बैंक लोन लेने के लिए सिबिल स्कोर भी ध्यान में रखते हैं.
इसके अलावा स्थाई इनकम, लो डेब्ट-टू-इनकम रेशियो, 20 प्रतिशत डाउन पेमेंट भी जरूरी है. इसके अलावा ऋणदाता आपके डीटेल्ड इन्फार्मेशन जैसे घर का साइज़, नक्शा, इस्तेमाल किए जाने वाले मैटेरियल और एप्रूव्ड आर्किटेक्ट द्वारा तैयार एस्टीमेट, कॉन्ट्रैक्टर द्वारा घर में किए जाने वाले काम संबधी जानकारी भी लेंगे.
अगर घर बनाने का खर्च 30 लाख के अंदर है, तो बैंक 90% तक लोन एप्रूव कर सकता है.
लोन से पहले आप अलग अलग बैंको के इंटरेस्ट रेट की तुलना कर लें. सबसे कम इंटरेस्ट रेट वाले बैंक से लोन लें. ध्यान रहे कि कॉन्ट्रैक्टर के साथ काम करने से पहले कंस्ट्रक्शन लोन प्री-अप्रूव करा लें.
यहां एक बात को ध्यान में रखें कि बैंक कंस्ट्रक्शन लोन किस्तों में देता है. इसलिए हो सके, तो कम समय में घर का कंस्ट्रक्शन पूरा करने का प्रयत्न करें.
नो योर कस्टमर (केवाईसी) और आय के दस्तावेजों के अलावा आपके स्वामित्व वाली जमीन पर घर बनवाने के लिए आपको बैंक को वो दस्तावेज दिखाने होंगे, जो भूमि पर आपका मालिकाना हक साबित करें.
यानी सेल डीड, एलॉटमेंट लेटर, बिल्डर या हाउसिंग सोसायटी से एनओसी, पजेशन सर्टिफिकेट आदि. प्लॉट के दस्तावेजों के अलावा, प्रस्तावित घर का प्लान और लेआउट सब्मिट करना होगा, जिसे ग्राम पंचायत या फिर स्थानीय निकाय संस्थाओं ने मंजूरी दी हो.
आपको निर्माण में आने वाली कंस्ट्रक्शन कोस्ट (लागत) का अनुमान भी बताना होगा, जिसे किसी आर्किटेक्ट या सिविल इंजीनियर ने सर्टिफाई किया हो.
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