शेयरों और म्यूचुअल फंड पर मिलेगा कितना लोन, लगेगा कितना ब्याज?

Loan Against Securities: म्यूचुअल फंड और शेयरों पर बैंक और NBFCs आमतौर पर अधिकतम 36 महीने यानी 3 साल की अवधि के लिए लोन देते हैं.

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Loan Against Securities: सिक्योरिटीज (शेयरों और अन्य निवेश) में निवेश आपको सिर्फ अच्छा रिटर्न ही नहीं देती, बल्कि जरूरत के समय आप इसे तुरंत बेचकर अपनी जरूरतों को पूरा भी कर सकते हैं. लेकिन अगर आप अपने इन्वेस्टमेंट को तोड़ना नहीं चाहते हैं तो सिक्योरिटीज पर लोन भी ले सकते हैं.

कोविड 19 की वजह से कई लोगों की नौकरियां जा चुकी है. एसे में पैसों की जरूरत को पूरा करने के लिए शेयरों, म्यूचुअल फंड और बॉन्ड में किए अपने निवेश के बदले में लोन ले सकते हैं. इस तरह से लोन काफी आसानी से मिल जाता है. हालांकि, इस तरह के निवेश के बदले कर्ज लेने के पहले बैंक की शर्तें, ब्याज दरें और प्रोसेसिंग शुल्क पर जरूर गौर करें.

आखिर कितना मिल सकता है कर्ज

अगर आप किसी निवेश जैसे शेयर, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड या बीमा पॉलिसी के बदले लोन लेने का मन बना रहे हैं तो आपको निवेश राशि के बदले 50 से 60 फीसदी तक लोन मिल सकता है. वहीं डेट म्यूचुअल फंड के बदले बैंक ज्यादा राशि का लोन दे सकते हैं, क्योंकि उसके रिटर्न में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को नहीं मिलता है. वहीं शेयरों में जोखिम ज्यादा देखने को मिलता है जिसकी वजह से उनपर लोन कम मिलता है.

ब्याज कितना लगेगा

शेयर बाजार और बीमा से जुड़े निवेश के बदले बैंक होम लोन की ब्याज दरों से दो से तीन फीसदी ऊंची दर पर कर्ज की पेशकश करते हैं. यह दरें पर्सनल लोन के मुकाबले काफी सस्ती होती हैं. मौजूदा समय में विभिन्न बैंक और एनबीएफसी 9.25 फीसदी से लेकर 18 फीसदी दर पर शेयरों के बदले कर्ज दे रही हैं.

कम समय के लिए मिलता है लोन

बैंक और NBFCs आमतौर पर लोन अगेंस्ट सिक्योरिटीज अधिकतम 36 महीने यानी 3 साल की अवधि के लिए देते हैं. कुछ लेंडर लोन चुकाने के लिए फ्लेक्सिबल रीपेमेंट ऑप्शन उपलब्ध कराते हैं, जिसमें लोन लेने वाला व्यक्ति हर महीने इंटरेस्ट चुकाता है और लोन का टेन्योर समाप्त होने पर प्रिंसिपल अमाउंट चुकाना होता है.

शेयर बाजार में गिरावट का पड़ता है असर

अगर लोन अवधि के दौरान शेयरों की कीमत में भारी गिरावट आती है, यानी आपके शेयर की वैल्यू काफी हद तक गिर जाती है, तो बैंक आपके गिरवी रखे गए शेयर के वैल्यू को बढ़ाने के लिए और अधिक शेयर कोलेट्रल रखकर या आवश्यक कैश फंड डालकर उस कमी को पूरा करने के लिए कह सकता है.

सिक्योरिटीज पर लोन लेने पर बैंक आपके प्रोसेसिंग फीस के अलावा लोन एग्रीमेंट पर लगने वाला स्टैंप ड्यूटी चार्ज और प्लेज क्रिएशन फीस आदि चार्ज कर सकता है.

Published - June 10, 2021, 02:51 IST