डिफॉल्ट मामलों के निपटान से क्यों डर रहे बैंक?

केंद्रीय बैंक की ओर से जारी निर्देश को अमल में लाने के लिए बैंकों ने मांगा 6 महीने का वक्‍त

  • Updated Date - June 28, 2023, 01:50 IST
डिफॉल्ट मामलों के निपटान से क्यों डर रहे बैंक?

fraud case settlement

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धोखाधड़ी या जानबूझ कर किए गए डिफॉल्‍ट मामलों के निपटान को लेकर बैंक अभी तैयार नहीं हैं. इस बारे में आरबीआई की ओर से हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया गया था. मगर बैंक इस आदेश के पालन को छह महीने के लिए टालना चाहते हैं. दरअसल बैंक इस समय का उपयोग करके एक ऐसा फ्रेमवर्क तैयार करना चाहते हैं जिससे भविष्य में होने वाले डील में कानूनी प्रक्रिया को कम किया जा सके.

बता दें केंद्रीय बैंक ने सर्कुलर जारी कर ऐसे खातों के पारदर्शी, लेकिन तुरंत समाधान और वसूली का निर्देश दिया था. ये आमतौर पर एकमुश्त समाधान होंगे. मगर बैंक इस प्रस्ताव पर धीमी गति से आगे बढ़ना चाहते हैं. बैंकों ने मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए आरबीआई को पत्र लिखकर इस मसले पर बात भी की थी. साथ ही वित्‍त मंत्रालय से भी संपर्क किया था.

क्‍या है बैंकों की प्रमुख चिंता?
बैंकों की मुख्‍य चिंता उनके अधिकारियों की कानून सुरक्षा है. एक मीडिया रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से बताया गया कि बैंक का कहना है कि यदि वे फ्रॉड और जानबूझ कर डिफॉल्‍ट करने वाले देनदारों से समझौता करते हैं, जिनकी गतिविधि पहले से ही संदिग्‍ध है, ऐसे में बैंक अधिकारियों को भी जांच का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में इन मसलों पर ध्‍यान दिए जाने की जरूरत है. अगर बैंक एकमुश्त समाधान (ओटीएस) समझौते के लिए आगे बढ़ते हैं, तो क्या उन्हें उसी स्तर की सुरक्षा मिलेगी जो दिवालियापन संहिता के तहत हल किए जाने वाले मामलों में उपलब्ध कराए जाते हैं.

इससे साफ है कि अगर बाद में ऐसे सेटलमेंट पर सवाल उठाए गए तो बैंक अधिकारियों को विजिलेंस और जांच एजेंसियों की ओर से किए जाने वाले जांच का सामना करना पड़ेगा, जिसका उन्‍हें डर सता रहा है. इसलिए बैंक इस मामले पर केंद्रीय बैंक से स्पष्ट आश्वासन चाहते हैं. उन्‍होंने खत में यह भी लिखा है कि उनकी चिंताओं का अब तक समाधान नहीं किया गया है.

बोर्ड से मंजूरी लेने पर भी फंसा पेंच
केंद्रीय बैंक ने आठ जून के परिपत्र में कहा था कि निपटान और समझौता करने के लिए बैंकों के बोर्ड को एक पक्ष बनाया जाना चाहिए. बैंक अब यह भी जानना चाहते हैं कि क्या पूर्ण बोर्ड को बातचीत के जरिए निपटान को मंजूरी देनी होगी या बोर्ड की विभिन्न उप-समितियां यह जिम्मेदारी ले सकती हैं. हालांकि बैंक यूनियनों ने आरबीआई के नए सर्कुलर का यह तर्क देते हुए विरोध किया है कि यह, अन्य बातों के अलावा, उन उधारकर्ताओं के लिए हतोत्साहित करने वाला होगा जो समय पर और नियम के अनुसार भुगतान करने की कोशिश करते हैं.

Published - June 28, 2023, 01:49 IST