मुकेश कर्ज के जाल में फंस गए हैं. कार लोन, होम लोन, पर्सनल लोन. ऊपर से क्रेडिट कार्ड की पेमेंट. खर्चे बढ़ने की वजह से कई ईएमआई बाउंस होने लगी हैं. कर्ज का पहाड़ बन गया है. कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या किया जाए. मुकेश के दोस्त क्रेडिट काउंसलर से एडवाइस लेने का सुझाव देते हैं. मुकेश जैसे लोन लेने वाले लोग कई बार तमाम वजहों से पेमेंट नहीं कर पाते हैं, यही एक-एक कर बिना चुकाया गया पेमेंट धीरे-धीरे कर्ज का जाल बन जाता है, जिससे निकलना मुश्किल होता है. कर्ज के दलदल से बाहर कैसे निकला जाए उससे पहले बात करते हैं भारतीयों के खर्च करने के तरीके पर क्योंकि अंधाधुंध खर्च कर्ज में फंसने की पहली सीढ़ी है.
कर्ज को लेकर हाल ही में भारतीयों की भूख बढ़ी है. खासकर क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन जैसे अनसिक्योर्ड लोन के मामले में. आरबीआई (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक, भारतीयों ने जून 2023 में क्रेडिट कार्ड के जरिए ऑनलाइन करीब 88,379.85 करोड़ रुपए खर्च किए, जबकि डेबिट कार्ड के जरिए कुल 17,012.92 करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ. यह दिखाता है कि लोगों में कर्ज लेकर खर्च करने की आदत बढ़ी है.
कैसे फंसते हैं कर्ज के जाल में?
क्रेडिट कार्ड या पर्सनल लोन लेकर खर्च करना वित्तीय सेहत के लिए नुकसानदायक है. बिना डॉक्यूमेंट के तुरंत पैसे मिलना और कम ईएमआई जैसी चीजें देखकर लोग इसे आसान सौदा समझ बैठते हैं. लेकिन, पैसे चुकाने में एक बार भी देरी होने पर आप भारी ब्याज और जुर्माने के फेर में फंस जाते हैं. क्रेडिट कार्ड का टाइमली पेमेंट नहीं करने पर 3 से 4 फीसदी महीने यानी 36 से 48 फीसदी सालाना का ब्याज लगता है. इसका सीधा-सा मतलब हुआ कि हर 100 रुपए पर 48 रुपए ब्याज देना पड़ सकता है.
क्या होते हैं क्रेडिट काउंसिलिंग प्लेटफॉर्म?
कर्ज के दलदल से बाहर निकालने में क्रेडिट काउंसिलिंग प्लेटफॉर्म आपकी मदद कर सकते हैं. इसकी शुरुआत बैंक ऑफ इंडिया ने साल 2006 में ‘अभय’ क्रेडिट काउंसिलिंग सेंटर स्थापित करके की थी. साल 2007 में ICICI बैंक ने ‘दिशा’ सेंटर स्थापित किए थे. ये लोगों से किसी तरह की फीस नहीं लेते थे. हालांकि, अब ये सेंटर काम नहीं कर रहे हैं. और अब FREED, SingleDebt, RectifyCredit और Settle Loan जैसे कई निजी क्रेडिट काउंसिलिंग प्लेटफॉर्म शुरू हो गए हैं.
‘क्रेडिट काउंसिलिंग कंपनियां ‘कर्ज से आजादी दिलाने’ की बात करती हैं, ये सुनना भले ही अच्छा लगे, लेकिन इनके पास जाने से पहले आपको सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि ऐसे प्लेटफॉर्म्स के नियंत्रण के लिए रिजर्व बैंक के कोई नियम नहीं हैं. यही नहीं, ज्यादातर प्लेटफॉर्म कर्ज से निजात दिलाने से पहले फीस लेते हैं. ऐसा भी हो सकता है कि आपसे फीस ले ली जाए और लोन सेटल ही न हुआ हो. ऐसे में आप कर्ज के और ज्यादा बुरे दलदल में फंस सकते हैं.
काउंसिलिंग की क्या है प्रक्रिया?
क्रेडिट काउंसलर कर्ज में फंसे व्यक्ति की वित्तीय दिक्कतें जानने के बाद उनकी कमाई और खर्च का लेखा-जोखा बनाते हैं ताकि ये पता चल सके कि व्यक्ति असल में कितने पैसे चुका सकता है. फिर व्यक्ति को खर्च कम करके कुछ पैसे बचाने की सलाह दी जाती है. इन पैसों को एक अलग अकाउंट में जमा किया जाता है जो कर्ज चुकाने के काम आता है. ज्यादा इंटरेस्ट वाले लोन या क्रेडिट कार्ड के बिल को पहले चुकाने की कोशिश की जाती है. काउंसलर आपकी ओर से बैंक से लोन का इंटरेस्ट रेट कम करने, पेनाल्टी और दूसरे चार्ज हटाने की बात करते हैं. आपके पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड लोन के लिए लेंडिंग पार्टनर से बात करते हैं. फिर आपको मंथली बेसिस पर कम ब्याज के साथ पैसा चुकाना होता है. यही नहीं, लोन न चुका पाने से खराब हुए क्रेडिट स्कोर को सुधारने का भी काम करते हैं ताकि आगे नया लोन मिल सके. कई प्लेटफॉर्म रिकवरी एजेंट के फोन कॉल और प्रताड़ना से निपटने का भी दावा करते हैं.
कितनी लगती है फीस?
प्राइवेट काउंसिलिंग प्लेटफॉर्म कर्ज से बाहर निकालने के लिए चार्ज लेते हैं. जैसे FREED 649 से 1,299 रुपए की मंथली प्लेटफॉर्म फीस लेता है. कर्ज निपटाने से बचने वाले पैसे पर 10 फीसदी अतिरिक्त फीस भी लेता है…FREED लोन कॉस्ट को 45 फीसदी तक कम करने का दावा करता है. SingleDebt दो महीने की खर्च करने योग्य इनकम (Disposable Income) सेटअप फीस के तौर पर लेता है…वहीं, Rectify Credit का बेस चार्ज 5000 रुपए है.
कैसे चुनें क्रेडिट काउंसलर?
मुकेश की तरह आप भी कर्ज के दल-दल में फंस गए तो क्रेडिट काउंसलर चुनते समय आपको फूंक-फूंककर कदम रखना होगा. क्रेडिट काउंसलर के पास जाने से पहले उसकी साख और रेप्युटेशन के बारे में जरूर पता करें. ऐसे लोगों से बात करें जिन्होंने इनके जरिए अपना लोन सेटल किया हो. लोगों के पिछले अनुभव को जाने बगैर इनकी मदद लेना सुरक्षित नहीं है.
फंस गए तो क्या न करें?
क्रेडिट काउंसलिंग कंपनी की वेबसाइट पर रिव्यू पढ़कर भरोसा न करें बल्कि लोगों को ढूंढकर उनसे बात करें. लेकिन अगर आप लोन के जाल में फंस गए हैं तो अब यह भी जानिए कि आपको क्या नहीं करना है. कॉल एवॉयड करने के लिए फोन नंबर और मकान न बदलें. लोन एजेंट का फोन उठाना बंद न करें. कर्ज को भगवान भरोसे न छोड़ें. बैंक से लोन की EMI घटाने और टेन्योर बढ़ाने, रिफाइनेंसिंग के लिए बात करें. लोन एजेंट किसी तरह की बदतमीजी करें तो बैंक में शिकायत करें.