बेटी के स्कूल एडमिशन के लिए 40,000 रुपए के एकमुश्त डिपॉजिट की मांग ने आशीष सिंह की नींद उड़ा दी. कोविड के दौरान लोन चुकाने में हुई देरी ने क्रेडिट स्कोर गिरा दिया. बैंक या गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान यानी NBFC से लोन मिलना आसान नहीं होता. आशीष जैसे लोग जिन्हें वित्तीय संस्थान लोन नहीं देते उनके लिए P2P लेंडिंग प्लेटफॉर्म आसानी से लोन दिलवा देते हैं. इसी खूबी की वजह से भारत में P2P लेंडिंग का कारोबार खूब चल रहा है. मार्केट रिसर्च कंपनी इंडस्ट्री ARC की रिपोर्ट बताती है कि भारत में P2P लेंडिंग का साइज 2021- 2026 तक 21 से 25 फीसद की दर से बढ़ेगा. इस गति से 2026 तक यह कारोबार 10.5 अरब डॉलर का हो जाएगा.
क्या होती है P2P लेंडिंग?
देश में करीब 20 फिनटेक कंपनियां हैं जो पीयर टू पीयर प्लेटफॉर्म मुहैया कराती हैं. ये प्लेटफॉर्म कर्ज देने वाले और कर्ज लेने वालों को जोड़ने का काम करती हैं. यहां पर कोई बैंक या संस्थान कर्ज नहीं देते बल्कि निवेशकों के पैसे से ही कर्ज दिया जाता है. निवेशक वो होते हैं जो अपने सरप्लस फंड पर रिटर्न पाने के लिए इन प्लेटफॉर्म को अपना पैसा देते हैं. इन प्लेटफॉर्म पर इन्हें 10-18 फीसद का रिटर्न मिल जाता है जो सभी लघु बचत योजनाओं की तुलना में काफी ज्यादा है.
कौन लोग लेते हैं P2P प्लेटफॉर्म से कर्ज?
पीयर टू पीयर लेंडिंग प्लेटफॉर्म LenDen Club के को-फाउंडर एवं CEO भाविन पटेल बताते हैं कि 23 से 45 साल के व्यक्ति जिनकी महीने की आय 12,000 रुपए के आसपास रहती है वो उनके प्लेटफॉर्म पर 5,000 से 25,000 के लोन लेने के लिए सबसे ज्यादा आते हैं. कम पेपरवर्क में बगैर सिबिल स्कोर पर जोर, बिना गारंटर वाली छोटी राशि का लोन बैंक तो देने से रहे. लेकिन जिनका पैसा कर्ज पर दिया जा रहा है उन्हें अगर 10 से 18 फीसद का रिटर्न का वादा किया जा रहा है तो इसकी वसूली दिए जाने वाले लोन के ब्याज से होती है. इनकी वेबसाइट पर 6.5 और 9 फीसद का ब्याज दिखाया जाएगा लेकिन हर कर्ज लेने वाले का लोन लौटाने की क्षमता के अनुसार प्रोफाइल तैयार होता है. इसी के आधार पर ब्याज तय होता है. 10,000 रुपए का लोन 6.5 फीसद की ब्याज दर पर भी मिल सकता है और 15 फीसद की दर पर भी. कुछ लेंडर्स और उनकी ब्याज दर इस तरह से हैं- लेनदेन क्लब 6.5% से ब्याज की शुरुआत कर रहा है 25,000 से 5 लाख रुपए तक का लोन मिल सकता है जिसे 3 से 24 महीने में अदा करना है. इसके लिए 750 रुपए की रजिस्ट्रेशन फीस देनी होगी.
P2P को कौन करता है रेगुलेट?
पीयर टू पीयर प्लेटफॉर्म को रिजर्व बैंक से P2P- NBFC लाइसेंस लेना पड़ता है. इनके पास सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन होना चाहिए. इनके काम करने का तौर तरीका रिजर्व बैंक के अंतर्गत आता है. एक निवेशक इस तरह की कंपनी में 50 लाख रुपए से ज्यादा जमा नहीं कर सकता है. वहीं एक कर्ज लेने वाला 10 लाख रुपए से ज्यादा का कर्ज नहीं ले सकता. P2P प्लेटफॉर्म एक व्यक्ति को 50,000 रुपए से ज्यादा का कर्ज नहीं दे सकता. यही वो मैकेनिज्म है जिसके तहत एक व्यक्ति का सारा पैसा अलग-अलग लोगों में बांट कर उसके रिस्क को कम किया जाता है. लेकिन लोन का लेनदेन कितना रिस्क-फ्री है, यह बड़ा सवाल है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
सुपरफाइन माइक्रोफाइनेंस के फाउंडर जितेन्द्र नेहरा बताते हैं कि P2P लेंडिंग प्लेटफॉर्म में 4 से 10 फीसद लोन डिफॉल्ट होते हैं. कंपनियां लोन लौटाने की क्षमता का प्रोफाइल तो बना लेती हैं लेकिन छोटे लोन लेने वाले अस्थायी रोजगार से जुड़े रहते हैं. ये लोग कमाई का जरिया ठप होने से कई बार लोन नहीं लौटा पाते. ऐसा भी देखने को मिलता है कि एक लोन को चुकाने के लिए दूसरा और तीसरा लोन ले लिया और लोन का पहाड़ खड़ा हो गया. इस तरह पी2पी से जुड़ कर निवेश करना और लोन लेना, यानी दोनों ही विकल्प भारी साबित हो सकते हैं.
मनी 9 की सलाह
जब आचानक पैसों की जरूरत पड़ती है तो लोन लेने वालों के लिए पी2पी प्लेटफॉर्म संकटमोचन का काम करते हैं. लोन लेने वाले का काम तो मिनटों में बन जाता है लेकिन जो लोग ऊंचे रिटर्न के लालच में अपना पैसा यहां लगाते हैं उन्हें सावधान रहने की जरूरत है. इस तरह के लोन पर डिफॉल्ट होने पर पैसे के डूबने का डर बना रहता है. इसलिए जिस प्लेटफॉर्म को कर्ज देने के लिए आप पैसा देंगे उनका बैकग्राउंड चेक जरूर करें.